पवित्र बाइबिल - Hindi Holy Bible

अध्याय   1  2  3  4  5  2 पतरस 1  2  3  

 1 पतरस - अध्याय 1

1 पतरस की ओर से जो यीशु मसीह का प्रेरित है, उन परदेशियों के नाम, जो पुन्तुस, गलतिया, कप्पदुकिया, आसिया, और बिथुनिया में तित्तर बित्तर होकर रहते हैं।

2 और परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार, आत्मा के पवित्र करने के द्वारा आज्ञा मानने, और यीशु मसीह के लोहू के छिड़के जाने के लिये चुने गए हैं। तुम्हें अत्यन्त अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे॥

3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने यीशु मसीह के हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया।

4 अर्थात एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिये।

5 जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी है, जिन की रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से, विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है।

6 और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो।

7 और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।

8 उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।

9 और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो।

10 इसी उद्धार के विषय में उन भविष्यद्वक्ताओं ने बहुत ढूंढ़-ढांढ़ और जांच-पड़ताल की, जिन्हों ने उस अनुग्रह के विषय में जो तुम पर होने को था, भविष्यद्वाणी की थी।

11 उन्होंने इस बात की खोज की कि मसीह का आत्मा जो उन में था, और पहिले ही से मसीह के दुखों की और उन के बाद होने वाली महिमा की गवाही देता था, वह कौन से और कैसे समय की ओर संकेत करता था।

12 उन पर यह प्रगट किया गया, कि वे अपनी नहीं वरन तुम्हारी सेवा के लिये ये बातें कहा करते थे, जिन का समाचार अब तुम्हें उन के द्वारा मिला जिन्हों ने पवित्र आत्मा के द्वारा जो स्वर्ग से भेजा गया: तुम्हें सुसमाचार सुनाया, और इन बातों को स्वर्गदूत भी ध्यान से देखने की लालसा रखते हैं॥

13 इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलने वाला है।

14 और आज्ञाकारी बालकों की नाईं अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो।

15 पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो।

16 क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।

17 और जब कि तुम, हे पिता, कह कर उस से प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात हर एक के काम के अनुसार न्याय करता है, तो अपने परदेशी होने का समय भय से बिताओ।

18 क्योंकि तुम जानते हो, कि तुम्हारा निकम्मा चाल-चलन जो बाप दादों से चला आता है उस से तुम्हारा छुटकारा चान्दी सोने अर्थात नाशमान वस्तुओं के द्वारा नहीं हुआ।

19 पर निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने अर्थात मसीह के बहुमूल्य लोहू के द्वारा हुआ।

20 उसका ज्ञान तो जगत की उत्पत्ति के पहिले ही से जाना गया था, पर अब इस अन्तिम युग में तुम्हारे लिये प्रगट हुआ।

21 जो उसके द्वारा उस परमेश्वर पर विश्वास करते हो, जिस ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, और महिमा दी; कि तुम्हारा विश्वास और आशा परमेश्वर पर हो।

22 सो जब कि तुम ने भाईचारे की निष्कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन मन लगा कर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो।

23 क्योंकि तुम ने नाशमान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।

24 क्योंकि हर एक प्राणी घास की नाईं है, और उस की सारी शोभा घास के फूल की नाईं है: घास सूख जाती है, और फूल झड़ जाता है।

25 परन्तु प्रभु का वचन युगानुयुग स्थिर रहेगा: और यह ही सुसमाचार का वचन है जो तुम्हें सुनाया गया था॥

 1 पतरस - अध्याय 2

1 इसलिये सब प्रकार का बैर भाव और छल और कपट और डाह और बदनामी को दूर करके।

2 नये जन्मे हुए बच्चों की नाईं निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ।

3 यदि तुम ने प्रभु की कृपा का स्वाद चख लिया है।

4 उसके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया, परन्तु परमेश्वर के निकट चुना हुआ, और बहुमूल्य जीवता पत्थर है।

5 तुम भी आप जीवते पत्थरों की नाईं आत्मिक घर बनते जाते हो, जिस से याजकों का पवित्र समाज बन कर, ऐसे आत्मिक बलिदान चढ़ाओ, जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर को ग्राह्य हों।

6 इस कारण पवित्र शास्त्र में भी आया है, कि देखो, मैं सिय्योन में कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर धरता हूं: और जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह किसी रीति से लज्ज़ित नहीं होगा।

7 सो तुम्हारे लिये जो विश्वास करते हो, वह तो बहुमूल्य है, पर जो विश्वास नहीं करते उन के लिये जिस पत्थर को राजमिस्त्रीयों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया।

8 और ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान हो गया है: क्योंकि वे तो वचन को न मान कर ठोकर खाते हैं और इसी के लिये वे ठहराए भी गए थे।

9 पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की ) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो।

10 तुम पहिले तो कुछ भी नहीं थे, पर अब परमेश्वर ही प्रजा हो: तुम पर दया नहीं हुई थी पर अब तुम पर दया हुई है॥

11 हे प्रियों मैं तुम से बिनती करता हूं, कि तुम अपने आप को परदेशी और यात्री जान कर उस सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे रहो।

12 अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें॥

13 प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिये कि वह सब पर प्रधान है।

14 और हाकिमों के, क्योंकि वे कुकिर्मयों को दण्ड देने और सुकिर्मयों की प्रशंसा के लिये उसके भेजे हुए हैं।

15 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम भले काम करने से निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्द कर दो।

16 और अपने आप को स्वतंत्र जानो पर अपनी इस स्वतंत्रता को बुराई के लिये आड़ न बनाओ, परन्तु अपने आप को परमेश्वर के दास समझ कर चलो।

17 सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो, परमेश्वर से डरो, राजा का सम्मान करो॥

18 हे सेवकों, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के आधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी।

19 क्योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार करके अन्याय से दुख उठाता हुआ क्लेश सहता है, तो यह सुहावना है।

20 क्योंकि यदि तुम ने अपराध करके घूंसे खाए और धीरज धरा, तो उस में क्या बड़ाई की बात है? पर यदि भला काम करके दुख उठाते हो और धीरज धरते हो, तो यह परमेश्वर को भाता है।

21 और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो।

22 न तो उस ने पाप किया, और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली।

23 वह गाली सुन कर गाली नहीं देता था, और दुख उठा कर किसी को भी धमकी नहीं देता था, पर अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौपता था।

24 वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।

25 क्योंकि तुम पहिले भटकी हुई भेड़ों की नाईं थे, पर अब अपने प्राणों के रखवाले और अध्यक्ष के पास फिर आ गए हो।

 1 पतरस - अध्याय 3

1 हे पत्नियों, तुम भी अपने पति के आधीन रहो।

2 इसलिये कि यदि इन में से कोई ऐसे हो जो वचन को न मानते हों, तौभी तुम्हारे भय सहित पवित्र चालचलन को देख कर बिना वचन के अपनी अपनी पत्नी के चालचलन के द्वारा खिंच जाएं।

3 और तुम्हारा सिंगार, दिखावटी न हो, अर्थात बाल गूंथने, और सोने के गहने, या भांति भांति के कपड़े पहिनना।

4 वरन तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्ज़ित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।

5 और पूर्वकाल में पवित्र स्त्रियां भी, जो परमेश्वर पर आशा रखती थीं, अपने आप को इसी रीति से संवारती और अपने अपने पति के आधीन रहती थीं।

6 जैसे सारा इब्राहीम की आज्ञा में रहती और उसे स्वामी कहती थी: सो तुम भी यदि भलाई करो, और किसी प्रकार के भय से भयभीत न हो तो उस की बेटियां ठहरोगी॥

7 वैसे ही हे पतियों, तुम भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो और स्त्री को निर्बल पात्र जान कर उसका आदर करो, यह समझ कर कि हम दोनों जीवन के वरदान के वारिस हैं, जिस से तुम्हारी प्रार्थनाएं रुक न जाएं॥

8 निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो।

9 बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।

10 क्योंकि जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे।

11 वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्न में रहे।

12 क्योंकि प्रभु की आंखे धमिर्यों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है॥

13 और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है?

14 और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।

15 पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।

16 और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो तुम्हारे मसीही अच्छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों।

17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।

18 इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात अधमिर्यों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।

19 उसी में उस ने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया।

20 जिन्होंने उस बीते समय में आज्ञा न मानी जब परमेश्वर नूह के दिनों में धीरज धर कर ठहरा रहा, और वह जहाज बन रहा था, जिस में बैठकर थोड़े लोग अर्थात आठ प्राणी पानी के द्वारा बच गए।

21 और उसी पानी का दृष्टान्त भी, अर्थात बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; ( उस से शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाने का अर्थ है )।

22 वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके आधीन किए गए हैं॥

 1 पतरस - अध्याय 4

1 सो जब कि मसीह ने शरीर में होकर दुख उठाया तो तुम भी उस ही मनसा को धारण करके हथियार बान्ध लो क्योंकि जिसने शरीर में दुख उठाया, वह पाप से छूट गया।

2 ताकि भविष्य में अपना शेष शारीरिक जीवन मनुष्यों की अभिलाषाओं के अनुसार नहीं वरन परमेश्वर की इच्छा के अनुसार व्यतीत करो।

3 क्योंकि अन्यजातियों की इच्छा के अनुसार काम करने, और लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, पियक्कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा में जहां तक हम ने पहिले समय गंवाया, वही बहुत हुआ।

4 इस से वे अचम्भा करते हैं, कि तुम ऐसे भारी लुचपन में उन का साथ नहीं देते, और इसलिये वे बुरा भला कहते हैं।

5 पर वे उस को जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करने को तैयार है, लेखा देंगे।

6 क्योंकि मरे हुओं को भी सुसमाचार इसी लिये सुनाया गया, कि शरीर में तो मनुष्यों के अनुसार उन का न्याय हो, पर आत्मा में वे परमेश्वर के अनुसार जीवित रहें॥

7 सब बातों का अन्त तुरन्त होने वाला है; इसलिये संयमी होकर प्रार्थना के लिये सचेत रहो।

8 और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढांप देता है।

9 बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो।

10 जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए।

11 यदि कोई बोले, तो ऐसा बोले, मानों परमेश्वर का वचन है; यदि कोई सेवा करे; तो उस शक्ति से करे जो परमेश्वर देता है; जिस से सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो: महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी की है। आमीन॥

12 हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है।

13 पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो।

14 फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्दा की जाती है, तो धन्य हो; क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है।

15 तुम में से कोई व्यक्ति हत्यारा या चोर, या कुकर्मी होने, या पराए काम में हाथ डालने के कारण दुख न पाए।

16 पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे।

17 क्योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्या अन्त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?

18 और यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?

19 इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें॥

 1 पतरस - अध्याय 5

1 तुम में जो प्राचीन हैं, मैं उन की नाईं प्राचीन और मसीह के दुखों का गवाह और प्रगट होने वाली महिमा में सहभागी होकर उन्हें यह समझाता हूं।

2 कि परमेश्वर के उस झुंड की, जो तुम्हारे बीच में हैं रखवाली करो; और यह दबाव से नहीं, परन्तु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आनन्द से, और नीच-कमाई के लिये नहीं, पर मन लगा कर।

3 और जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार न जताओ, वरन झुंड के लिये आदर्श बनो।

4 और जब प्रधान रखवाला प्रगट होगा, तो तुम्हें महिमा का मुकुट दिया जाएगा, जो मुरझाने का नहीं।

5 हे नवयुवकों, तुम भी प्राचीनों के आधीन रहो, वरन तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्धे रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का साम्हना करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।

6 इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।

7 और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।

8 सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।

9 विश्वास में दृढ़ हो कर, और यह जान कर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।

10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिस ने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।

11 उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन॥

12 मैं ने सिलवानुस के हाथ, जिस मैं विश्वासयोग्य भाई समझता हूं, संक्षेप में लिख कर तुम्हें समझाया है और यह गवाही दी है कि परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह यही है, इसी में स्थिर रहो।

13 जो बाबुल में तुम्हारी नाईं चुने हुए लोग हैं, वह और मेरा पुत्र मरकुस तुम्हें नमस्कार कहते हैं।

14 प्रेम से चुम्बन ले लेकर एक दूसरे को नमस्कार करो॥ तुम सब को जो मसीह में हो शान्ति मिलती रहे॥

 2 पतरस - अध्याय 1

1 शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्त किया है।

2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।

3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।

4 जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्वभाव के समभागी हो जाओ।

5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।

6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।

7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।

8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्फल न होने देंगी।

9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्धा है, और धुन्धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है।

10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे।

11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

12 इसलिये यद्यपि तुम ये बातें जानते हो, और जो सत्य वचन तुम्हें मिला है, उस में बने रहते हो, तौभी मैं तुम्हें इन बातों की सुधि दिलाने को सर्वदा तैयार रहूंगा।

13 और मैं यह अपने लिये उचित समझता हूं, कि जब तक मैं इस डेरे में हूं, तब तक तुम्हें सुधि दिला दिलाकर उभारता रहूं।

14 क्योंकि यह जानता हूं, कि मसीह के वचन के अनुसार मेरे डेरे के गिराए जाने का समय शीघ्र आने वाला है।

15 इसलिये मैं ऐसा यत्न करूंगा, कि मेरे कूच करने के बाद तुम इन सब बातों को सर्वदा स्मरण कर सको।

16 क्योंकि जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था वरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था।

17 कि उस ने परमेश्वर पिता से आदर, और महिमा पाई जब उस प्रतापमय महिमा में से यह वाणी आई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है जिस से मैं प्रसन्न हूं।

18 और जब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे, तो स्वर्ग से यही वाणी आते सुनी।

19 और हमारे पास जो भविष्यद्वक्ताओं का वचन है, वह इस घटना से दृढ़ ठहरा है और तुम यह अच्छा करते हो, कि जो यह समझ कर उस पर ध्यान करते हो, कि वह एक दीया है, जो अन्धियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे, और भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे।

20 पर पहिले यह जान लो कि पवित्र शास्त्र की कोई भी भविष्यद्वाणी किसी के अपने ही विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती।

21 क्योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे॥

 2 पतरस - अध्याय 2

1 और जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यद्वक्ता थे उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करने वाले पाखण्ड का उद्घाटन छिप छिपकर करेंगे और उस स्वामी का जिस ने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे और अपने आप को शीघ्र विनाश में डाल देंगे।

2 और बहुतेरे उन की नाईं लुचपन करेंगे, जिन के कारण सत्य के मार्ग की निन्दा की जाएगी।

3 और वे लोभ के लिये बातें गढ़ कर तुम्हें अपने लाभ का कारण बनाएंगे, और जो दण्ड की आज्ञा उन पर पहिले से हो चुकी है, उसके आने में कुछ भी देर नहीं, और उन का विनाश ऊंघता नहीं।

4 क्योंकि जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को जिन्हों ने पाप किया नहीं छोड़ा, पर नरक में भेज कर अन्धेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें।

5 और प्रथम युग के संसार को भी न छोड़ा, वरन भक्तिहीन संसार पर महा जल-प्रलय भेजकर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया।

6 और सदोम और अमोरा के नगरों को विनाश का ऐसा दण्ड दिया, कि उन्हें भस्म करके राख में मिला दिया ताकि वे आने वाले भक्तिहीन लोगों की शिक्षा के लिये एक दृष्टान्त बनें।

7 और धर्मी लूत को जो अधमिर्यों के अशुद्ध चाल-चलन से बहुत दुखी था छुटकारा दिया।

8 ( क्योंकि वह धर्मी उन के बीच में रहते हुए, और उन के अधर्म के कामों को देख देख कर, और सुन सुन कर, हर दिन अपने सच्चे मन को पीडित करता था)।

9 तो प्रभु के भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधमिर्यों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है।

10 निज करके उन्हें जो अशुद्ध अभिलाषाओं के पीछे शरीर के अनुसार चलते, और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं: वे ढीठ, और हठी हैं, और ऊंचे पद वालों को बुरा भला कहने से नहीं डरते।

11 तौभी स्वर्गदूत जो शक्ति और सामर्थ में उन से बड़े हैं, प्रभु के साम्हने उन्हें बुरा भला कह कर दोष नहीं लगाते।

12 पर ये लोग निर्बुद्धि पशुओं ही के तुल्य हैं, जो पकड़े जाने और नाश होने के लिये उत्पन्न हुए हैं; और जिन बातों को जानते ही नहीं, उन के विषय में औरों को बुरा भला कहते हैं, वे अपनी सड़ाहट में आप ही सड़ जाएंगे।

13 औरों का बुरा करने के बदले उन्हीं का बुरा होगा: उन्हें दिन दोपहर सुख-विलास करना भला लगता है; यह कलंक और दोष है- जब वे तुम्हारे साथ खाते पीते हैं, तो अपनी ओर से प्रेम भोज करके भोग-विलास करते हैं।

14 उन ही आंखों में व्यभिचार बसा हुआ है, और वे पाप किए बिना रूक नहीं सकते: वे चंचल मन वालों को फुसला लेते हैं; उन के मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है, वे सन्ताप के सन्तान हैं।

15 वे सीधे मार्ग को छोड़कर भटक गए हैं, और बओर के पुत्र बिलाम के मार्ग पर हो लिए हैं; जिस ने अधर्म की मजदूरी को प्रिय जाना।

16 पर उसके अपराध के विषय में उलाहना दिया गया, यहां तक कि अबोल गदही ने मनुष्य की बोली से उस भविष्यद्वक्ता को उसके बावलेपन से रोका।

17 ये लोग अन्धे कुंए, और आन्धी के उड़ाए हुए बादल हैं, उन के लिये अनन्त अन्धकार ठहराया गया है।

18 वे व्यर्थ घमण्ड की बातें कर करके लुचपन के कामों के द्वारा, उन लोगों को शारीरिक अभिलाषाओं में फंसा लेते हैं, जो भटके हुओं में से अभी निकल ही रहे हैं।

19 वे उन्हें स्वतंत्र होने की प्रतिज्ञा तो देते हैं, पर आप ही सड़ाहट के दास हैं, क्योंकि जो व्यक्ति जिस से हार गया है, वह उसका दास बन जाता है।

20 और जब वे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की पहचान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता से बच निकले, और फिर उन में फंस कर हार गए, तो उन की पिछली दशा पहिली से भी बुरी हो गई है।

21 क्योंकि धर्म के मार्ग में न जानना ही उन के लिये इस से भला होता, कि उसे जान कर, उस पवित्र आज्ञा से फिर जाते, जो उन्हें सौंपी गई थी। उन पर यह कहावत ठीक बैठती है,

22 कि कुत्ता अपनी छांट की ओर और धोई हुई सुअरनी कीचड़ में लोटने के लिये फिर चली जाती है॥

 2 पतरस - अध्याय 3

1 हे प्रियो, अब मैं तुम्हें यह दूसरी पत्री लिखता हूं, और दोनों में सुधि दिला कर तुम्हारे शुद्ध मन को उभारता हूं।

2 कि तुम उन बातों को, जो पवित्र भविश्यद्वक्ताओं ने पहिले से कही हैं और प्रभु, और उद्धारकर्ता की उस आज्ञा को स्मरण करो, जो तुम्हारे प्रेरितों के द्वारा दी गई थी।

3 और यह पहिले जान लो, कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।

4 और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई? क्योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्टि के आरम्भ से था?

5 वे तो जान बूझ कर यह भूल गए, कि परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीन काल से वर्तमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है।

6 इन्हीं के द्वारा उस युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया।

7 पर वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी उसी वचन के द्वारा इसलिये रखे हैं, कि जलाए जाएं; और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे॥

8 हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं।

9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।

10 परन्तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे।

11 तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।

12 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे।

13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी॥

14 इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्न करो कि तुम शान्ति से उसके साम्हने निष्कलंक और निर्दोष ठहरो।

15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।

16 वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्त्र की और बातों की नाईं खींच तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।

17 इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधमिर्यों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो।

18 पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन॥

 

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