पवित्र बाइबिल - Hindi Holy Bible
अध्याय 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14
1 यहोवा ने मिलापवाले तम्बू में से मूसा को बुलाकर उससे कहा,
2 इस्त्राएलियों से कह, कि तुम में से यदि कोई मनुष्य यहोवा के लिये पशु का चढ़ावा चढ़ाए, तो उसका बलिपशु गाय-बैलों वा भेड़-बकरियों में से एक का हो।
3 यदि वह गाय बैलों में से होमबलि करे, तो निर्दोष नर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर चढ़ाए, कि यहोवा उसे ग्रहण करे।
4 और वह अपना हाथ होमबलिपशु के सिर पर रखे, और वह उनके लिये प्रायश्चित्त करने को ग्रहण किया जाएगा।
5 तब वह उस बछड़े को यहोवा के साम्हने बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे लोहू को समीप ले जा कर उस वेदी की चारों अलंगों पर छिड़के जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है।
6 फिर वह होमबलिपशु की खाल निकाल कर उस पशु को टुकड़े टुकड़े करे;
7 तब हारून याजक के पुत्र वेदी पर आग रखें, और आग पर लकड़ी सजाकर धरें;
8 और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे सिर और चरबी समेत पशु के टुकड़ों को उस लकड़ी पर जो वेदी की आग पर होगी सजाकर धरें;
9 और वह उसकी अंतडिय़ों और पैरों को जल से धोए। तब याजक सब को वेदी पर जलाए, कि वह होमबलि यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे॥
10 और यदि वह भेड़ों वा बकरों का होमबलि चढ़ाए, तो निर्दोष नर को चढ़ाए।
11 और वह उसको यहोवा के आगे वेदी की उत्तरवाली अलंग पर बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे उसके लोहू को वेदी की चारों अलंगों पर छिड़कें।
12 और वह उसको टुकड़े टुकड़े करे, और सिर और चरबी को अलग करे, और याजक इन सब को उस लकड़ी पर सजाकर धरे जो वेदी की आग पर होगी;
13 और वह उसकी अंतडिय़ों और पैरों को जल से धोए। और याजक सब को समीप ले जा कर वेदी पर जलाए, कि वह होमबलि और यहोवा के लिये सुगन्धदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे॥
14 और यदि वह यहोवा के लिये पक्षियों का होमबलि चढ़ाए, तो पंडुकों वा कबूतरों को चढ़ावा चढ़ाए।
15 याजक उसको वेदी के समीप ले जा कर उसका गला मरोड़ के सिर को धड़ से अलग करे, और वेदी पर जलाए; और उसका सारा लोहू उस वेदी की अलंग पर गिराया जाए;
16 और वह उसका ओझर मल सहित निकाल कर वेदी की पूरब की ओर से राख डालने के स्थान पर फेंक दे;
17 और वह उसको पंखों के बीच से फाड़े, पर अलग अलग न करे। तब याजक उसको वेदी पर उस लकड़ी के ऊपर रखकर जो आग पर होगी जलाए, कि वह होमबलि और यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे॥
1 और जब कोई यहोवा के लिये अन्नबलि का चढ़ावा चढ़ाना चाहे, तो वह मैदा चढ़ाए; और उस पर तेल डालकर उसके ऊपर लोबान रखे;
2 और वह उसको हारून के पुत्रों के पास जो याजक हैं लाए। और अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से इस तरह अपनी मुट्ठी भरकर निकाले कि सब लोबान उस में आ जाए; और याजक उन्हें स्मरण दिलाने वाले भाग के लिये वेदी पर जलाए, कि यह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धित हवन ठहरे।
3 और अन्नबलि में से जो बचा रहे सो हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; यह यहोवा के हवनों में से परमपवित्र वस्तु होगी॥
4 और जब तू अन्नबलि के लिये तन्दूर में पकाया हुआ चढ़ावा चढ़ाए, तो वह तेल से सने हुए अखमीरी मैदे के फुलकों, वा तेल से चुपड़ी हुई अखमीरी चपातियों का हो।
5 और यदि तेरा चढ़ावा तवे पर पकाया हुआ अन्नबलि हो, तो वह तेल से सने हुए अखमीरी मैदे का हो;
6 उसको टुकड़े टुकड़े करके उस पर तेल डालना, तब वह अन्नबलि हो जाएगा।
7 और यदि तेरा चढ़ावा कढ़ाही में तला हुआ अन्नबलि हो, तो वह मैदे से तेल में बनाया जाए।
8 और जो अन्नबलि इन वस्तुओं में से किसी का बना हो उसे यहोवा के समीप ले जाना; और जब वह याजक के पास लाया जाए, तब याजक उसे वेदी के समीप ले जाए।
9 और याजक अन्नबलि में से स्मरण दिलानेवाला भाग निकाल कर वेदी पर जलाए, कि वह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे;
10 और अन्नबलि में से जो बचा रहे वह हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; वह यहोवा के हवनों में परमपवित्र वस्तु होगी।
11 कोई अन्नबलि जिसे तुम यहोवा के लिये चढ़ाओ खमीर मिलाकर बनाया न जाए; तुम कभी हवन में यहोवा के लिये खमीर और मधु न जलाना।
12 तुम इन को पहिली उपज का चढ़ावा करके यहोवा के लिये चढ़ाना, पर वे सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर चढ़ाए न जाएं।
13 फिर अपने सब अन्नबलियों को नमकीन बनाना; और अपना कोई अन्नबलि अपने परमेश्वर के साथ बन्धी हुई वाचा के नमक से रहित होने न देना; अपने सब चढ़ावों के साथ नमक भी चढ़ाना॥
14 और यदि तू यहोवा के लिये पहिली उपज का अन्नबलि चढ़ाए, तो अपनी पहिली उपज के अन्नबलि के लिये आग से झुलसाई हुई हरी हरी बालें, अर्थात हरी हरी बालों को मींजके निकाल लेना, तब अन्न को चढ़ाना।
15 और उस में तेल डालना, और उसके ऊपर लोबान रखना; तब वह अन्नबलि हो जाएगा।
16 और याजक सींजकर निकाले हुए अन्न को, और तेल को, और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाला भाग करके जला दे; वह यहोवा के लिये हवन ठहरे॥
1 और यदि उसका चढ़ावा मेंलबलि का हो, और यदि वह गाय-बैलों में से किसी को चढ़ाए, तो चाहे वह पशु नर हो या मादा, पर जो निर्दोष हो उसी को वह यहोवा के आगे चढ़ाए।
2 और वह अपना हाथ अपने चढ़ावे के पशु के सिर पर रखे और उसको मिलापवाले तम्बू के द्वार पर बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक है वे उसके लोहू को वेदी की चारों अलंगों पर छिड़कें।
3 और वह मेलबलि में से यहोवा के लिये हवन करे, अर्थात जिस चरबी से अंतडिय़ां ढपी रहती हैं, और जो चरबी उन में लिपटी रहती है वह भी,
4 और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चरबी जो कमर के पास रहती है, और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली, इन सभों को वह अलग करे।
5 और हारून के पुत्र इन को वेदी पर उस होमबलि के ऊपर जलाएं, जो उन लकडिय़ों पर होगी जो आग के ऊपर हैं, कि यह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे॥
6 और यदि यहोवा के मेलबलि के लिये उसका चढ़ावा भेड़-बकरियों में से हो, तो चाहे वह नर हो या मादा, पर जो निर्दोष हो उसी को वह चढ़ाए।
7 यदि वह भेड़ का बच्चा चढ़ाता हो, तो उसको यहोवा के साम्हने चढ़ाए,
8 और वह अपने चढ़ावे के पशु के सिर पर हाथ रखे और उसको मिलापवाले तम्बू के आगे बलि करे; और हारून के पुत्र उसके लोहू को वेदी की चारों अलंगों पर छिड़कें।
9 और मेलबलि में से चरबी को यहोवा के लिये हवन करे, अर्थात उसकी चरबी भरी मोटी पूंछ को वह रीढ़ के पास से अलग करे, और जो चरबी उन में लिपटी रहती है,
10 और दोनों गुर्दे, और जो चरबी उनके ऊपर कमर के पास रहती है, और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली, इन सभों को वह अलग करे।
11 और याजक इन्हें वेदी पर जलाए; यह यहोवा के लिये हवन रूपी भोजन ठहरे॥
12 और यदि वह बकरा वा बकरी चढ़ाए, तो उसे यहोवा के साम्हने चढ़ाए।
13 और वह अपना हाथ उसके सिर पर रखे, और उसको मिलापवाले तम्बू के आगे बलि करे; और हारून के पुत्र उसके लोहू को वेदी की चारों अलंगों पर छिड़के।
14 और वह उस में से अपना चढ़ावा यहोवा के लिये हवन करके चढ़ाए, अर्थात जिस चरबी से अंतडिय़ां ढपी रहती हैं, और जो चरबी उन में लिपटी रहती है वह भी,
15 और दोनों गुर्दे और जो चरबी उनके ऊपर कमर के पास रहती है, और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली, इन सभों को वह अलग करे।
16 और याजक इन्हें वेदी पर जलाए; यह तो हवन रूपी भोजन है जो सुखदायक सुगन्ध के लिये होता है; क्योंकि सारी चरबी यहोवा की हैं।
17 यह तुम्हारे निवासों में तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरेगी कि तुम चरबी और लोहू कभी न खाओ॥
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा
2 कि इस्त्राएलियों से यह कह, कि यदि कोई मनुष्य उन कामों में से जिन को यहोवा ने मना किया है किसी काम को भूल से करके पापी हो जाए;
3 और यदि अभिषिक्त याजक ऐसा पाप करे, जिस से प्रजा दोषी ठहरे, तो अपने पाप के कारण वह एक निर्दोष बछड़ा यहोवा को पापबलि करके चढ़ाए।
4 और वह उस बछड़े को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के आगे ले जा कर उसके सिर पर हाथ रखे, और उस बछड़े को यहोवा के साम्हने बलि करे।
5 और अभिषिक्त याजक बछड़े के लोहू में से कुछ ले कर मिलापवाले तम्बू में ले जाए;
6 और याजक अपनी उंगली लोहू में डुबो डुबोकर और उस में से कुछ ले कर पवित्रस्थान के बीच वाले पर्दे के आगे यहोवा के साम्हने सात बार छिड़के।
7 और याजक उस लोहू में से कुछ और ले कर सुगन्धित धूप की वेदी के सींगो पर जो मिलापवाले तम्बू में है यहोवा के साम्हने लगाए; फिर बछड़े के सब लोहू को वेदी के पाए पर जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उंडेल दे।
8 फिर वह पापबलि के बछड़े की सब चरबी को उससे अलग करे, अर्थात जिस चरबी से अंतडिय़ां ढपी रहती हैं, और जितनी चरबी उन में लिपटी रहती है,
9 और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चरबी जो कमर के पास रहती है, और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली, इन सभों को वह ऐसे अलग करे,
10 जैसे मेलबलि वाले चढ़ावे के बछड़े से अलग किए जाते हैं, और याजक इन को होमबलि की वेदी पर जलाए।
11 और उस बछड़े की खाल, पांव, सिर, अंतडिय़ां, गोबर,
12 और सारा मांस, निदान समूचा बछड़ा छावनी से बाहर शुद्ध स्थान में, जहां राख डाली जाएगी, ले जा कर लकड़ी पर रखकर आग से जलाए; जहां राख डाली जाती है वह वहीं जलाया जाए॥
13 और यदि इस्त्राएल की सारी मण्डली अज्ञानता के कारण पाप करे और वह बात मण्डली की आंखों से छिपी हो, और वे यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध कुछ करके दोषी ठहरें हों;
14 तो जब उनका किया हुआ पाप प्रगट हो जाए तब मण्डली एक बछड़े को पापबलि करके चढ़ाए। वह उसे मिलापवाले तम्बू के आगे ले जाए,
15 और मण्डली के वृद्ध लोग अपने अपने हाथों को यहोवा के आगे बछड़े के सिर पर रखें, और वह बछड़ा यहोवा के साम्हने बलि किया जाए।
16 और अभिषिक्त याजक बछड़े के लोहू में से कुछ मिलापवाले तम्बू में ले जाए;
17 और याजक अपनी उंगली लोहू में डुबो डुबोकर उसे बीच वाले पर्दे के आगे सात बार यहोवा के साम्हने छिड़के।
18 और उसी लोहू में से वेदी के सींगों पर जो यहोवा के आगे मिलापवाले तम्बू में है लगाए; और बचा हुआ सब लोहू होमबलि की वेदी के पाए पर जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उंडेल दे।
19 और वह बछड़े की कुल चरबी निकाल कर वेदी पर जलाए।
20 और जैसे पापबलि के बछड़े से किया था वैसे ही इस से भी करे; इस भांति याजक इस्त्राएलियों के लिये प्रायश्चित्त करे, तब उनका पाप क्षमा किया जाएगा।
21 और वह बछड़े को छावनी से बाहर ले जा कर उसी भांति जलाए जैसे पहिले बछड़े को जलाया था; यह तो मण्डली के निमित्त पापबलि ठहरेगा॥
22 जब कोई प्रधान पुरूष पाप करके, अर्थात अपने परमेश्वर यहोवा कि किसी आज्ञा के विरुद्ध भूल से कुछ करके दोषी हो जाए,
23 और उसका पाप उस पर प्रगट हो जाए, तो वह एक निर्दोष बकरा बलिदान करने के लिये ले आए;
24 और बकरे के सिर पर अपना हाथ धरे, और बकरे को उस स्थान पर बलि करे जहां होमबलि पशु यहोवा के आगे बलि किये जाते हैं; यह तो पापबलि ठहरेगा।
25 और याजक अपनी उंगली से पापबलि पशु के लोहू में से कुछ ले कर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए, और उसका लोहू होमबलि की वेदी के पाए पर उंडेल दे।
26 और वह उसकी कुल चरबी को मेलबलि की चरबी की नाईं वेदी पर जलाए; और याजक उसके पाप के विषय में प्रायश्चित्त करे, तब वह क्षमा किया जाएगा॥
27 और यदि साधारण लोगों में से कोई अज्ञानता से पाप करे, अर्थात कोई ऐसा काम जिसे यहोवा ने मना किया हो करके दोषी हो, और उसका वह पाप उस पर प्रगट हो जाए,
28 तो वह उस पाप के कारण एक निर्दोष बकरी बलिदान के लिये ले आए;
29 और वह अपना हाथ पापबलि पशु के सिर पर रखे, और होमबलि के स्थान पर पापबलि पशु का बलिदान करे।
30 और याजक उसके लोहू में से अपनी उंगली से कुछ ले कर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए, और उसके सब लोहू को उसी वेदी के पाए पर उंडेल दे।
31 और वह उसकी सब चरबी को मेलबलिपशु की चरबी की नाईं अलग करे, तब याजक उसको वेदी पर यहोवा के निमित्त सुखदायक सुगन्ध के लिये जलाए; और इस प्रकार याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, तब उसे क्षमा मिलेगी॥
32 और यदि वह पापबलि के लिये एक भेड़ी का बच्चा ले आए, तो वह निर्दोष मादा हो,
33 और वह अपना हाथ पापबलि पशु के सिर पर रखे, और उसको पापबलि के लिये वहीं बलिदान करे जहां होमबलिपशु बलि किया जाता है।
34 और याजक अपनी उंगली से पापबलि के लोहू में से कुछ ले कर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए, और उसके सब लोहू को वेदी के पाए पर उंडेल दे।
35 और वह उसकी सब चरबी को मेलबलि वाले भेड़ के बच्चे की चरबी की नाईं अलग करे, और याजक उसे वेदी पर यहोवा के हवनों के ऊपर जलाए; और इस प्रकार याजक उसके पाप के लिये प्रायश्चित्त करे, और वह क्षमा किया जाएगा॥
1 और यदि कोई साक्षी हो कर ऐसा पाप करे कि शपथ खिलाकर पूछने पर भी, कि क्या तू ने यह सुना अथवा जानता है, और वह बात प्रगट न करे, तो उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा।
2 और यदि कोई किसी अशुद्ध वस्तु को अज्ञानता से छू ले, तो चाहे वह अशुद्ध बनैले पशु की, चाहे अशुद्ध रेंगने वाले जीव-जन्तु की लोथ हो, तो वह अशुद्ध हो कर दोषी ठहरेगा।
3 और यदि कोई मनुष्य किसी अशुद्ध वस्तु को अज्ञानता से छू ले, चाहे वह अशुद्ध वस्तु किसी भी प्रकार की क्यों न हो जिस से लोग अशुद्ध हो जाते हैं तो जब वह उस बात को जान लेगा तब वह दोषी ठहरेगा।
4 और यदि कोई बुरा वा भला करने को बिना सोचे समझे शपथ खाए, चाहे किसी प्रकार की बात वह बिना सोचे विचारे शपथ खाकर कहे, तो ऐसी बात में वह दोषी उस समय ठहरेगा जब उसे मालूम हो जाएगा।
5 और जब वह इन बातों में से किसी भी बात में दोषी हो, तब जिस विषय में उसने पाप किया हो वह उसको मान ले,
6 और वह यहोवा के साम्हने अपना दोषबलि ले आए, अर्थात उस पाप के कारण वह एक भेड़ वा बकरी पापबलि करने के लिये ले आए; तब याजक उस पाप के विषय उसके लिये प्रायश्चित्त करे।
7 और यदि उसे भेड़ वा बकरी देने की सामर्थ्य न हो, तो अपने पाप के कारण दो पंडुकी वा कबूतरी के दो बच्चे दोषबलि चढ़ाने के लिये यहोवा के पास ले आए, उन में से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये।
8 और वह उन को याजक के पास ले आए, और याजक पापबलि वाले को पहिले चढ़ाए, और उसका सिर गले से मरोड़ डाले, पर अलग न करे,
9 और वह पापबलिपशु के लोहू में से कुछ वेदी की अलंग पर छिड़के, और जो लोहू शेष रहे वह वेदी के पाए पर गिराया जाए; वह तो पापबलि ठहरेगा।
10 और दूसरे पक्षी को वह विधी के अनुसार होमबलि करे, और याजक उसके पाप का प्रायश्चित्त करे, और तब वह क्षमा किया जाएगा॥
11 और यदि वह दो पंडुकी वा कबूतरी के दो बच्चे भी न दे सके, तो वह अपने पाप के कारण अपना चढ़ावा एपा का दसवां भाग मैदा पापबलि करके ले आए; उसपर न तो वह तेल डाले, और न लोबान रखे, क्योंकि वह पापबलि होगा।
12 वह उसको याजक के पास ले जाए, और याजक उस में से अपनी मुट्ठी भर स्मरण दिलानेवाला भाग जानकर वेदी पर यहोवा के हवनों के ऊपर जलाए; वह तो पापबलि ठहरेगा।
13 और इन बातों में से किसी भी बात के विषय में जो कोई पाप करे, याजक उसका प्रायश्चित्त करे, और तब वह पाप क्षमा किया जाएगा। और इस पापबलि का शेष अन्नबलि के शेष की नाईं याजक का ठहरेगा॥
14 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
15 यदि कोई यहोवा की पवित्र की हुई वस्तुओं के विषय में भूल से विश्वासघात करे और पापी ठहरे, तो वह यहोवा के पास एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए; उसका दाम पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार उतने ही शेकेल रूपये का हो जितना याजक ठहराए।
16 और जिस पवित्र वस्तु के विषय उसने पाप किया हो, उस में वह पांचवां भाग और बढ़ाकर याजक को दे; और याजक दोषबलि का मेढ़ा चढ़ाकर उसके लिये प्रायश्चित्त करे, तब उसका पाप क्षमा किया जाएगा॥
17 और यदि कोई ऐसा पाप करे, कि उन कामों में से जिन्हें यहोवा ने मना किया है किसी काम को करे, तो चाहे वह उसके अनजाने में हुआ हो, तौभी वह दोषी ठहरेगा, और उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा।
18 इसलिये वह एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि करके याजक के पास ले आए, वह उतने दाम का हो जितना याजक ठहराए, और याजक उसके लिये उसकी उस भूल का जो उसने अनजाने में की हो प्रायश्चित्त करे, और वह क्षमा किया जाएगा।
19 यह दोषबलि ठहरे; क्योंकि वह मनुष्य नि:सन्देह यहोवा के सम्मुख दोषी ठहरेगा॥
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, वा लेनदेन, वा लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, वा उस पर अन्धेर करे,
3 वा पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों न हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं,
4 तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वस्तु उसने लूट, वा अन्धेर करके, वा धरोहर, वा पड़ी पाई हो;
5 चाहे कोई वस्तु क्यों न हो जिसके विषय में उसने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे, और पांचवां भाग भी बढ़ाकर भर दे, जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है, उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे।
6 और वह यहोवा के सम्मुख अपना दोषबलि भी ले आए, अर्थात एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये याजक के पास ले आए, वह उतने ही दाम का हो जितना याजक ठहराए।
7 इस प्रकार याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे, और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी॥
8 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
9 हारून और उसके पुत्रों को आज्ञा देकर यह कह, कि होमबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात होमबलि ईधन के ऊपर रात भर भोर तब वेदी पर पड़ा रहे, और वेदी की अग्नि वेदी पर जलती रहे।
10 और याजक अपने सनी के वस्त्र और अपने तन पर अपनी सनी की जांघिया पहिनकर होमबलि की राख, जो आग के भस्म करने से वेदी पर रह जाए, उसे उठा कर वेदी के पास रखे।
11 तब वह अपने वस्त्र उतारकर दूसरे वस्त्र पहिनकर राख को छावनी से बाहर किसी शुद्ध स्थान पर ले जाए।
12 और वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और याजक भोर भोर उस पर लकडिय़ां जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजाकर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाया करे।
13 वेदी पर आग लगातार जलती रहे; वह कभी बुझने न पाए॥
14 अन्नबलि की व्यवस्था इस प्रकार है, कि हारून के पुत्र उसको वेदी के आगे यहोवा के समीप ले आएं।
15 और वह अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से मुट्ठी भर और उस पर का सब लोबान उठा कर अन्नबलि के स्मरणार्थ के इस भाग को यहोवा के सम्मुख सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर जलाए।
16 और उस में से जो शेष रह जाए उसे हारून और उसके पुत्र खा जाएं; वह बिना खमीर पवित्र स्थान में खाया जाए, अर्थात वे मिलापवाले तम्बू के आंगन में उसे खाएं।
17 वह खमीर के साथ पकाया न जाए; क्योंकि मैं ने अपने हव्य में से उसको उनका निज भाग होने के लिये उन्हें दिया है; इसलिये जैसा पापबलि और दोषबलि परमपवित्र है वैसा ही वह भी है।
18 हारून के वंश के सब पुरूष उस में से खा सकते हैं तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में यहोवा के हवनों में से यह उनका भाग सदैव बना रहेगा; जो कोई उन हवनों को छूए वह पवित्र ठहरेगा॥
19 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
20 जिस दिन हारून का अभिषेक हो उस दिन वह अपने पुत्रों के साथ यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अर्थात एपा का दसवां भाग मैदा नित्य अन्नबलि में चढ़ाए, उस में से आधा भोर को और आधा सन्ध्या के समय चढ़ाए।
21 वह तवे पर तेल के साथ पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना, इस अन्नबलि के पड़े हुए टुकड़े यहोवा के सुखदायक सुगन्ध के लिये चढ़ाना।
22 और उसके पुत्रों में से जो भी उस याजकपद पर अभिषिक्त होगा, वह भी उसी प्रकार का चढ़ावा चढ़ाया करे; यह विधी सदा के लिये है, कि यहोवा के सम्मुख वह सम्पूर्ण चढ़ावा जलाया जाये।
23 याजक के सम्पूर्ण अन्नबलि भी सब जलाए जाएं; वह कभी न खाया जाए॥
24 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
25 हारून और उसके पुत्रों से यह कह, कि पापबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात जिस स्थान में होमबलिपशु वध किया जाता है उसी में पापबलिपशु भी यहोवा के सम्मुख बलि किया जाए; वह परमपवित्र है।
26 और जो याजक पापबलि चढ़ावे वह उसे खाए; वह पवित्र स्थान में, अर्थात मिलापवाले तम्बू के आँगन में खाया जाए।
27 जो कुछ उसके मांस से छू जाए, वह पवित्र ठहरेगा; और यदि उसके लोहू के छींटे किसी वस्त्र पर पड़ जाएं, तो उसे किसी पवित्रस्थान में धो देना।
28 और वह मिट्टी का पात्र जिस में वह पकाया गया हो तोड़ दिया जाए; यदि वह पीतल के पात्र में सिझाया गया हो, तो वह मांजा जाए, और जल से धो लिया जाए।
29 और याजकों में से सब पुरूष उसे खा सकते हैं; वह परमपवित्र वस्तु है।
30 पर जिस पापबलिपशु के लोहू में से कुछ भी खून मिलापवाले तम्बू के भीतर पवित्रस्थान में प्रायश्चित्त करने को पहुंचाया जाए तब तो उसका मांस कभी न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए॥
1 फिर दोषबलि की व्यवस्था यह है। वह परमपवित्र है;
2 जिस स्थान पर होमबलिपशु का वध करते हैं उसी स्थान पर दोषबलिपशु का भी बलि करें, और उसके लोहू को याजक वेदी पर चारों ओर छिड़के।
3 और वह उस में की सब चरबी को चढ़ाए, अर्थात उसकी मोटी पूंछ को, और जिस चरबी से अंतडिय़ां ढपी रहती हैं वह भी,
4 और दोनों गुर्दे और जो चरबी उनके ऊपर और कमर के पास रहती है, और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली; इन सभों को वह अलग करे;
5 और याजक इन्हें वेदी पर यहोवा के लिये हवन करे; तब वह दोषबलि होगा।
6 याजकों में के सब पुरूष उस में से खा सकते हैं; वह किसी पवित्रस्थान में खाया जाए; क्योंकि वह परमपवित्र है।
7 जैसा पापबलि है वैसा ही दोषबलि भी है, उन दोनों की एक ही व्यवस्था है; जो याजक उन बलियों को चढ़ा के प्रायश्चित्त करे वही उन वस्तुओं को ले ले।
8 और जो याजक किसी के लिये होमबलि को चढ़ाए उस होमबलिपशु की खाल को वही याजक ले ले।
9 और तंदूर में, वा कढ़ाही में, वा तवे पर पके हुए सब अन्नबलि उसी याजक की होंगी जो उन्हें चढ़ाता है।
10 और सब अन्नबलि, जो चाहे तेल से सने हुए हों चाहे रूखे हों, वे हारून के सब पुत्रों को एक समान मिले॥
11 और मेलबलि की जिसे कोई यहोवा के लिये चढ़ाए व्यवस्था यह है।
12 यदि वह उसे धन्यवाद के लिये चढ़ाए, तो धन्यवाद-बलि के साथ तेल से सने हुए अखमीरी फुलके, और तेल से चुपड़ी हुई अखमीरी फुलके, और तेल से चुपड़ी हुई अखमीरी रोटियां, और तेल से सने हुए मैदे के फुलके तेल से तर चढ़ाए।
13 और वह अपने धन्यवाद वाले मेलबलि के साथ अखमीरी रोटियां भी चढ़ाए।
14 और ऐसे एक एक चढ़ावे में से वह एक एक रोटी यहोवा को उठाने की भेंट करके चढ़ाए; वह मेलबलि के लोहू के छिड़कने वाले याजक की होगी।
15 और उस धन्यवाद वाले मेलबलि का मांस बलिदान चढ़ाने के दिन ही खाया जाए; उस में से कुछ भी भोर तक शेष न रह जाए।
16 पर यदि उसके बलिदान का चढ़ावा मन्नत का वा स्वेच्छा का हो, तो उस बलिदान को जिस दिन वह चढ़ाया जाए उसी दिन वह खाया जाए, और उस में से जो शेष रह जाए वह दूसरे दिन भी खाया जाए।
17 परन्तु जो कुछ बलिदान के मांस में से तीसरे दिन तक रह जाए वह आग में जला दिया जाए।
18 और उसके मेलबलि के मांस में से यदि कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए, तो वह ग्रहण न किया जाएगा, और न पुन में गिना जाएगा; वह घृणित कर्म समझा जाएगा, और जो कोई उस में से खाए उसका अधर्म उसी के सिर पर पड़ेगा।
19 फिर जो मांस किसी अशुद्ध वस्तु से छू जाए वह न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए। फिर मेलबलि का मांस जितने शुद्ध होंवे ही खाएं,
20 परन्तु जो अशुद्ध हो कर यहोवा के मेलबलि के मांस में से कुछ खाए वह अपने लोगों में से नाश किया जाए।
21 और यदि कोई किसी अशुद्ध वस्तु को छूकर यहोवा के मेलबलिपशु के मांस में से खाए, तो वह भी अपने लोगों में से नाश किया जाए, चाहे वह मनुष्य की कोई अशुद्ध वस्तु वा अशुद्ध पशु वा कोई भी अशुद्ध और घृणित वस्तु हो॥
22 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
23 इस्त्राएलियों से इस प्रकार कह, कि तुम लोग न तो बैल की कुछ चरबी खाना और न भेड़ वा बकरी की।
24 और जो पशु स्वयं मर जाए, और जो दूसरे पशु से फाड़ा जाए, उसकी चरबी और और काम में लाना, परन्तु उसे किसी प्रकार से खाना नहीं।
25 जो कोई ऐसे पशु की चरबी खाएगा जिस में से लोग कुछ यहोवा के लिये हवन करके चढ़ाया करते हैं वह खानेवाला अपने लोगों में से नाश किया जाएगा।
26 ओर तुम अपने घर में किसी भांति का लोहू, चाहे पक्षी का चाहे पशु का हो, न खाना।
27 हर एक प्राणी जो किसी भांति का लोहू खाएगा वह अपने लोगों में से नाश किया जाएगा॥
28 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
29 इस्त्राएलियों से इस प्रकार कह, कि जो यहोवा के लिये मेलबलि चढ़ाए वह उसी मेलबलि में से यहोवा के पास भेंट ले आए;
30 वह अपने ही हाथों से यहोवा के हव्य को, अर्थात छाती समेत चरबी को ले आए, कि छाती हिलाने की भेंट करके यहोवा के साम्हने हिलाई जाए।
31 और याजक चरबी को तो वेदी पर जलाए, परन्तु छाती हारून और उसके पुत्रों की होगी।
32 फिर तुम अपने मेलबलियों में से दाहिनी जांघ को भी उठाने की भेंट करके याजक को देना;
33 हारून के पुत्रों में से जो मेलबलि के लोहू और चरबी को चढ़ाए दाहिनी जांघ उसी का भाग होगा।
34 क्योंकि इस्त्राएलियों के मेलबलियों में से हिलाने की भेंट की छाती और उठाने की भेंट की जांघ को ले कर मैं ने याजक हारून और उसके पुत्रों को दिया है, कि यह सर्वदा इस्त्राएलियों की ओर से उनका हक बना रहे॥
35 जिस दिन हारून और उसके पुत्र यहोवा के समीप याजक पद के लिये आए गए उसी दिन यहोवा के हव्यों में से उनका यही अभिषिक्त भाग ठहराया गया;
36 अर्थात जिस दिन यहोवा ने उसका अभिषेक किया उसी दिन उसने आज्ञा दी कि उन को इस्त्राएलियों की ओर से ये ही भाग नित मिला करें; उनकी पीढ़ी पीढ़ी के लिये उनका यही हक ठहराया गया।
37 होमबलि, अन्नबलि, पापबलि, दोषबलि, याजकों के संस्कार बलि, और मेलबलि की व्यवस्था यही है;
38 जब यहोवा ने सीनै पर्वत के पास के जंगल में मूसा को आज्ञा दी कि इस्त्राएली मेरे लिये क्या क्या चढ़ावे चढ़ाएं, तब उसने उन को यही व्यवस्था दी थी॥
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 तू हारून और उसके पुत्रों के वस्त्रों को, और अभिषेक के तेल, और पापबलि के बछड़े, और दोनों मेढ़ों, और अखमीरी रोटी की टोकरी को
3 मिलापवाले तम्बू के द्वार पर ले आ, और वहीं सारी मण्डली को इकट्ठा कर।
4 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने किया; और मण्डली मिलापवाले तम्बू के द्वार पर इकट्ठी हुई।
5 तब मूसा ने मण्डली से कहा, जो काम करने की आज्ञा यहोवा ने दी है वह यह है।
6 फिर मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को समीप ले जा कर जल से नहलाया।
7 तब उसने उन को अंगरखा पहिनाया, और कटिबन्द लपेटकर बागा पहिना दिया, और एपोद लगाकर एपोद के काढ़े हुए पटुके से एपोद को बान्धकर कस दिया।
8 और उसने उनके चपरास लगाकर चपरास में ऊरीम और तुम्मीम रख दिए।
9 तब उसने उसके सिर पर पगड़ी बान्धकर पगड़ी के साम्हने पर सोने के टीके को, अर्थात पवित्र मुकुट को लगाया, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
10 तब मूसा ने अभिषेक का तेल ले कर निवास का और जो कुछ उस में था उन सब को भी अभिषेक करके उन्हें पवित्र किया।
11 और उस तेल में से कुछ उसने वेदी पर सात बार छिड़का, और कुल सामान समेत वेदी का और पाए समेत हौदी का अभिषेक करके उन्हें पवित्र किया।
12 और उसने अभिषेक के तेल में से कुछ हारून के सिर पर डालकर उसका अभिषेक करके उसे पवित्र किया।
13 फिर मूसा ने हारून के पुत्रों को समीप ले आकर, अंगरखे पहिनाकर, फेटे बान्ध के उनके सिर पर टोपी रख दी, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
14 तब वह पापबलि के बछड़े को समीप ले गया; और हारून और उसके पुत्रों ने अपने अपने हाथ पापबलि के बछड़े के सिर पर रखे
15 तब वह बलि किया गया, और मूसा ने लोहू को ले कर उंगली से वेदी के चारों सींगों पर लगाकर पवित्र किया, और लोहू को वेदी के पाए पर उंडेल दिया, और उसके लिये प्रायश्चित्त करके उसको पवित्र किया।
16 और मूसा ने अंतडिय़ों पर की सब चरबी, और कलेजे पर की झिल्ली, और चरबी समेत दोनों गुर्दों को ले कर वेदी पर जलाया।
17 ओर बछड़े में से जो कुछ शेष रह गया उसको, अर्थात गोबर समेत उसकी खाल और मांस को उसने छावनी से बाहर आग में जलाया, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
18 फिर वह होमबलि के मेढ़े को समीप ले गया, और हारून और उसके पुत्रों ने अपने अपने हाथ मेंढ़े के सिर पर रखे।
19 तब वह बलि किया गया, और मूसा ने उसका लोहू वेदी पर चारों ओर छिड़का।
20 किया गया, और मूसा ने सिर ओर चरबी समेत टुकड़ों को जलाया।
21 तब अंतडिय़ां और पांव जल से धोये गए, और मूसा ने पूरे मेढ़े को वेदी पर जलाया, और वह सुखदायक सुगन्ध देने के लिये होमबलि और यहोवा के लिये हव्य हो गया, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
22 फिर वह दूसरे मेढ़े को जो संस्कार का मेढ़ा था समीप ले गया, और हारून और उसके पुत्रों ने अपने अपने हाथ मेढ़े के सिर पर रखे।
23 तब वह बलि किया गया, और मूसा ने उसके लोहू में से कुछ ले कर हारून के दाहिने कान के सिरे पर और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर लगाया।
24 और वह हारून के पुत्रों को समीप ले गया, और लोहू में से कुछ एक एक के दाहिने कान के सिरे पर और दाहिने हाथ ओर दाहिने पांव के अंगूठों पर लगाया; और मूसा ने लोहू को वेदी पर चारों ओर छिड़का।
25 और उसने चरबी, और मोटी पूंछ, ओर अंतडिय़ों पर की सब चरबी, और कलेजे पर की झिल्ली समेत दोनों गुर्दे, और दाहिनी जांघ, ये सब ले कर अलग रखे;
26 ओर अखमीरी रोटी की टोकरी जो यहोवा के आगे रखी गई थी उस में से एक रोटी, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक रोटी ले कर चरबी और दाहिनी जांघ पर रख दी;
27 और ये सब वस्तुएं हारून और उसके पुत्रों के हाथों पर धर दी गई, और हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाई गई।
28 और मूसा ने उन्हें फिर उनके हाथों पर से ले कर उन्हें वेदी पर होमबलि के ऊपर जलाया, यह सुखदायक सुगन्ध देने के लिये संस्कार की भेंट और यहोवा के लिये हव्य था।
29 तब मूसा ने छाती को ले कर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के आगे हिलाया; और संस्कार के मेढ़ें में से मूसा का भाग यही हुआ जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
30 और मूसा ने अभिषेक के तेल ओर वेदी पर के लोहू, दोनों में से कुछ ले कर हारून और उसके वस्त्रों पर, और उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों पर भी छिड़का; और उसने वस्त्रों समेत हारून को ओर वस्त्रों समेत उसके पुत्रों को भी पवित्र किया।
31 और मूसा ने हारून और उसके पुत्रों से कहा, मांस को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर पकाओ, और उस रोटी को जो संस्कार की टोकरी में है वहीं खाओ, जैसा मैं ने आज्ञा दी है, कि हारून और उसके पुत्र उसे खाएं।
32 और मांस और रोटी में से जो शेष रह जाए उसे आग में जला देना।
33 और जब तक तुम्हारे संस्कार के दिन पूरे न हों तब तक, अर्थात सात दिन तक मिलापवाले तम्बू के द्वार के बाहर न जाना, क्योंकि वह सात दिन तक तुम्हारा संस्कार करता रहेगा।
34 जिस प्रकार आज किया गया है वैसा ही करने की आज्ञा यहोवा ने दी है, जिस से तुम्हारा प्रायश्चित्त किया जाए।
35 इसलिये तुम मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सात दिन तक दिन रात ठहरे रहना, और यहोवा की आज्ञा को मानना, ताकि तुम मर न जाओ; क्योंकि ऐसी ही आज्ञा मुझे दी गई है।
36 तब यहोवा की इन्हीं सब आज्ञाओं के अनुसार जो उसने मूसा के द्वारा दी थीं हारून ओर उसके पुत्रों ने उनका पालन किया॥
1 आठवें दिन मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को और इस्त्राएली पुरनियों को बुलवाकर हारून से कहा,
2 पापबलि के लिये एक निर्दोष बछड़ा, और होमबलि के लिये एक निर्दोष मेढ़ा ले कर यहोवा के साम्हने भेंट चढ़ा।
3 और इस्त्राएलियों से यह कह, कि तुम पापबलि के लिये एक बकरा, और होमबलि के लिये एक बछड़ा और एक भेड़ को बच्चा लो, जो एक वर्ष के होंऔर निर्दोष हों,
4 और मेलबलि के लिये यहोवा के सम्मुख चढ़ाने के लिये एक बैल और एक मेढ़ा, और तेल से सने हुए मैदे का एक अन्नबलि भी ले लो; क्योंकि आज यहोवा तुम को दर्शन देगा।
5 और जिस जिस वस्तु की आज्ञा मूसा ने दी उन सब को वे मिलापवाले तम्बू के आगे ले आए; और सारी मण्डली समीप जा कर यहोवा के साम्हने खड़ी हुई।
6 तब मूसा ने कहा, यह वह काम है जिसके करने के लिये यहोवा ने आज्ञा दी है कि तुम उसे करो; और यहोवा की महिमा का तेज तुम को दिखाई पड़ेगा।
7 और मूसा ने हारून से कहा, यहोवा की आज्ञा के अनुसार वेदी के समीप जा कर अपने पापबलि और होमबलि को चढ़ाकर अपने और सब जनता के लिये प्रायश्चित्त कर; और जनता के चढ़ावे को भी चढ़ाकर उनके लिए प्रायश्चित कर।
8 इसलिये हारून ने वेदी के समीप जा कर अपने पापबलि के बछड़े को बलिदान किया।
9 और हारून के पुत्र लोहू को उसके पास ले गए, तब उसने अपनी उंगली को लोहू में डुबाकर वेदी के सींगों पर लोहू को लगाया, और शेष लोहू को वेदी के पाए पर उंडेल दिया;
10 और पापबलि में की चरबी और गुर्दों और कलेजे पर की झिल्ली को उसने वेदी पर जलाया, जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
11 और मांस और खाल को उसने छावनी से बाहर आग में जलाया।
12 तब होमबलिपशु को बलिदान किया; और हारून के पुत्रों ने लोहू को उसके हाथ में दिया, और उसने उसको वेदी पर चारों ओर छिड़क दिया।
13 तब उन्होंने होमबलिपशु का टुकड़ा टुकड़ा करके सिर सहित उसके हाथ में दे दिया और उसने उन को वेदी पर जला दिया।
14 और उसने अंतडिय़ों और पांवों को धोकर वेदी पर होमबलि के ऊपर जलाया।
15 और उसने लोगों के चढ़ावे को आगे ले कर और उस पापबलि के बकरे को जो उनके लिये था ले कर उसका बलिदान किया, और पहिले के समान उसे भी पापबलि करके चढ़ाया।
16 और उसने होमबलि को भी समीप ले जा कर विधि के अनुसार चढ़ाया।
17 और अन्नबलि को भी समीप ले जा कर उस में से मुट्ठी भर वेदी पर जलाया, यह भोर के होमबलि के अलावा चढ़ाया गया।
18 और बैल और मेढ़ा, अर्थात जो मेलबलिपशु जनता के लिये थे वे भी बलि किये गए; और हारून के पुत्रों ने लोहू को उसके हाथ में दिया, और उसने उसको वेदी पर चारों ओर छिड़क दिया;
19 और उन्होंने बैल की चरबी को, और मेढ़े में से मोटी पूंछ को, और जिस चरबी से अतडिय़ां ढपी रहती हैं उसको, ओर गुर्दों सहित कलेजे पर की झिल्ली को भी उसके हाथ में दिया;
20 और उन्होंने चरबी को छातियों पर रखा; और उसने वह चरबी वेदी पर जलाई,
21 परन्तु छातियों और दाहिनी जांघ को हारून ने मूसा की आज्ञा के अनुसार हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाया।
22 तब हारून ने लोगों की ओर हाथ बढ़ाकर उन्हें आशीर्वाद दिया; और पापबलि, होमबलि, और मेलबलियों को चढ़ाकर वह नीचे उतर आया।
23 तब मूसा और हारून मिलापवाले तम्बू में गए, और निकलकर लोगों को आशीर्वाद दिया; तब यहोवा का तेज सारी जनता को दिखाई दिया।
24 और यहोवा के साम्हने से आग निकलकर चरबी सहित होमबलि को वेदी पर भस्म कर दिया; इसे देखकर जनता ने जयजयकार का नारा मारा, और अपने अपने मुंह के बल गिरकर दण्डवत किया॥
1 तब नादाब और अबीहू नामक हारून के दो पुत्रों ने अपना अपना धूपदान लिया, और उन में आग भरी, और उस में धूप डालकर उस ऊपरी आग की जिसकी आज्ञा यहोवा ने नहीं दी थी यहोवा के सम्मुख आरती दी।
2 तब यहोवा के सम्मुख से आग निकलकर उन दोनों को भस्म कर दिया, और वे यहोवा के साम्हने मर गए।
3 तब मूसा ने हारून से कहा, यह वही बात है जिसे यहोवा ने कहा था, कि जो मेरे समीप आए अवश्य है कि वह मुझे पवित्र जाने, और सारी जनता के साम्हने मेरी महिमा करे। और हारून चुप रहा।
4 तब मूसा ने मीशाएल और एलसाफान को जो हारून के चाचा उज्जीएल के पुत्र थे बुलाकर कहा, निकट आओ, और अपने भतीजों को पवित्रस्थान के आगे से उठा कर छावनी के बाहर ले जाओ।
5 मूसा की इस आज्ञा के अनुसार वे निकट जा कर उन को अंगरखों सहित उठा कर छावनी के बाहर ले गए।
6 तब मूसा ने हारून से और उसके पुत्र एलीआजर और ईतामार से कहा, तुम लोग अपने सिरों के बाल मत बिखराओ, और न अपने वस्त्रों को फाड़ो, ऐसा न हो कि तुम भी मर जाओ, और सारी मण्डली पर उसका क्रोध भड़क उठे; परन्तु वह इस्त्राएल के कुल घराने के लोग जो तुम्हारे भाईबन्धु हैं यहोवा की लगाई हुई आग पर विलाप करें।
7 और तुम लोग मिलापवाले तम्बू के द्वार के बाहर न जाना, ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; क्योंकि यहोवा के अभिषेक का तेल तुम पर लगा हुआ है। मूसा के इस वचन के अनुसार उन्होंने किया॥
8 फिर यहोवा ने हारून से कहा,
9 कि जब जब तू वा तेरे पुत्र मिलापवाले तम्बू में आएं तब तब तुम में से कोई न तो दाखमधु पिए हो न और किसी प्रकार का मद्य, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह विधि प्रचलित रहे,
10 जिस से तुम पवित्र और अपवित्र में, और शुद्ध और अशुद्ध में अन्तर कर सको ;
11 और इस्त्राएलियों को उन सब विधियों को सिखा सको जिसे यहोवा ने मूसा के द्वारा उन को सुनवा दी हैं॥
12 फिर मूसा ने हारून से और उसके बचे हुए दोनों पुत्र ईतामार और एलीआजर से भी कहा, यहोवा के हव्य में से जो अन्नबलि बचा है उसे ले कर वेदी के पास बिना खमीर खाओ, क्योंकि वह परमपवित्र है;
13 और तुम उसे किसी पवित्रस्थान में खाओ, वह तो यहोवा के हव्य में से तेरा और तेरे पुत्रों का हक है; क्योंकि मैं ने ऐसी ही आज्ञा पाई है।
14 और हिलाई हुई भेंट की छाती और उठाई हुई भेंट की जांघ को तुम लोग, अर्थात तू और बेटे-बेटियां सब किसी शुद्ध स्थान में खाओ; क्योंकि वे इस्त्राएलियों के मेलबलियों में से तुझे और तेरे लड़केबालों की हक ठहरा दी गई हैं।
15 चरबी के हव्यों समेत जो उठाई हुई जांघ और हिलाई हुई छाती यहोवा के साम्हने हिलाने के लिये आया करेंगी, ये भाग यहोवा की आज्ञा के अनुसार सर्वदा की विधी की व्यवस्था से तेरे और तेरे लड़केबालों के लिये हैं॥
16 फिर मूसा ने पापबलि के बकरे की जो ढूंढ़-ढांढ़ की, तो क्या पाया, कि वह जलाया गया है, सो एलीआज़र और ईतामार जो हारून के पुत्र बचे थे उन से वह क्रोध में आकर कहने लगा,
17 कि पापबलि जो परमपवित्र है और जिसे यहोवा ने तुम्हे इसलिये दिया है कि तुम मण्डली के अधर्म का भार अपने पर उठा कर उनके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करो, तुम ने उसका मांस पवित्रस्थान में क्यों नहीं खाया?
18 देखो, उसका लोहू पवित्रस्थान के भीतर तो लाया ही नहीं गया, नि:सन्देह उचित था कि तुम मेरी आज्ञा के अनुसार उसके मांस को पवित्रस्थान में खाते।
19 इसका उत्तर हारून ने मूसा को इस प्रकार दिया, कि देख, आज ही उन्होंने अपने पापबलि और होमबलि को यहोवा के साम्हने चढ़ाया; फिर मुझ पर ऐसी विपत्तियां आ पड़ी हैं! इसलिये यदि मैं आज पापबलि का मांस खाता तो क्या यह बात यहोवा के सम्मुख भली होती?
20 जब मूसा ने यह सुना तब उसे संतोष हुआ॥
1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
2 इस्त्राएलियों से कहो, कि जितने पशु पृथ्वी पर हैं उन सभों में से तुम इन जीवधारियों का मांस खा सकते हो।
3 पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।
4 परन्तु पागुर करने वाले वा फटे खुर वालों में से इन पशुओं को न खाना, अर्थात ऊंट, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है।
5 और शापान, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
6 और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
7 और सूअर, जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
8 इनके मांस में से कुछ न खाना, और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है॥
9 फिर जितने जलजन्तु हैं उन में से तुम इन्हें खा सकते हों, अर्थात समुद्र वा नदियों के जलजन्तुओं में से जितनों के पंख और चोंयेटे होते हैं उन्हें खा सकते हो।
10 और जलचरी प्राणियों में से जितने जीवधारी बिना पंख और चोंयेटे के समुद्र वा नदियों में रहते हैं वे सब तुम्हारे लिये घृणित हैं।
11 वे तुम्हारे लिये घृणित ठहरें; तुम उनके मांस में से कुछ न खाना, और उनकी लोथों को अशुद्ध जानना।
12 जल में जिस किसी जन्तु के पंख और चोंयेटे नहीं होते वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है॥
13 फिर पक्षियों में से इन को अशुद्ध जानना, ये अशुद्ध होने के कारण खाए न जाएं, अर्थात उकाब, हड़फोड़, कुरर,
14 शाही, और भांति भांति की चील,
15 और भांति भांति के सब काग,
16 शुतुर्मुर्ग, तखमास, जलकुक्कुट, और भांति भांति के बाज,
17 हवासिल, हाड़गील, उल्लू,
18 राजहँस, धनेश, गिद्ध,
19 लगलग, भांति भांति के बगुले, टिटीहरी और चमगीदड़॥
20 जितने पंख वाले चार पांवों के बल चरते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
21 पर रेंगने वाले और पंख वाले जो चार पांवों के बल चलते हैं, जिनके भूमि पर कूदने फांदने को टांगे होती हैं उन को तो खा सकते हो।
22 वे ये हैं, अर्थात भांति भांति की टिड्डी, भांति भांति के फनगे, भांति भांति के हर्गोल, और भांति भांति के हागाब।
23 परन्तु और सब रेंगने वाले पंख वाले जो चार पांव वाले होते हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं॥
24 और इनके कारण तुम अशुद्ध ठहरोगे; जिस किसी से इनकी लोथ छू जाए वह सांझ तक अशुद्ध ठहरे।
25 और जो कोई इनकी लोथ में का कुछ भी उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे।
26 फिर जितने पशु चिरे खुर के होते है। परन्तु न तो बिलकुल फटे खुर और न पागुर करने वाले हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उन्हें छूए वह अशुद्ध ठहरेगा।
27 और चार पांव के बल चलने वालों में से जितने पंजों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।
28 और जो कोई उनकी लोथ उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं॥
29 और जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उन में से ये रेंगने वाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं, अर्थात नेवला, चूहा, और भांति भांति के गोह,
30 और छिपकली, मगर, टिकटिक, सांडा, और गिरगिटान।
31 सब रेंगने वालों में से ये ही तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई इनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।
32 और इन में से किसी की लोथ जिस किसी वस्तु पर पड़ जाए वह भी अशुद्ध ठहरे, चाहे वह काठ का कोई पात्र हो, चाहे वस्त्र, चाहे खाल, चाहे बोरा, चाहे किसी काम का कैसा ही पात्रादि क्यों न हो; वह जल में डाला जाए, और सांझ तक अशुद्ध रहे, तब शुद्ध समझा जाए।
33 और यदि मिट्टी का कोई पात्र हो जिस में इन जन्तुओं में से कोई पड़े, तो उस पात्र में जो कुछ हो वह अशुद्ध ठहरे, और पात्र को तुम तोड़ डालना।
34 उस में जो खाने के योग्य भोजन हो, जिस में पानी का छुआव हों वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे।
35 और यदि इनकी लोथ में का कुछ तंदूर वा चूल्हे पर पड़े तो वह भी अशुद्ध ठहरे, और तोड़ डाला जाए; क्योंकि वह अशुद्ध हो जाएगा, वह तुम्हारे लिये भी अशुद्ध ठहरे।
36 परन्तु सोता वा तालाब जिस में जल इकट्ठा हो वह तो शुद्ध ही रहे; परन्तु जो कोई इनकी लोथ को छूए वह अशुद्ध ठहरे।
37 और यदि इनकी लोथ में का कुछ किसी प्रकार के बीज पर जो बोने के लिये हो पड़े, तो वह बीज शुद्ध रहे;
38 पर यदि बीज पर जल डाला गया हो और पीछे लोथ में का कुछ उस पर पड़ जाए, तो वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरे॥
39 फिर जिन पशुओं के खाने की आज्ञा तुम को दी गई है यदि उन में से कोई पशु मरे, तो जो कोई उसकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।
40 और उसकी लोथ में से जो कोई कुछ खाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; और जो कोई उसकी लोथ उठाए वह भी अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे।
41 और सब प्रकार के पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु घिनौने हैं; वे खाए न जाएं।
42 पृथ्वी पर सब रेंगने वालों में से जितने पेट वा चार पांवों के बल चलते हैं, वा अधिक पांव वाले होते हैं, उन्हें तुम न खाना; क्योंकि वे घिनौने हैं।
43 तुम किसी प्रकार के रेंगने वाले जन्तु के द्वारा अपने आप को घिनौना न करना; और न उनके द्वारा अपने को अशुद्ध करके अपवित्र ठहराना।
44 क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं; इस प्रकार के रेंगने वाले जन्तु के द्वारा जो पृथ्वी पर चलता है अपने आप को अशुद्ध न करना।
45 क्योंकि मैं वह यहोवा हूं जो तुम्हें मिस्र देश से इसलिये निकाल ले आया हूं कि तुम्हारा परमेश्वर ठहरूं; इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं॥
46 पशुओं, पक्षियों, और सब जलचरी प्राणियों, और पृथ्वी पर सब रेंगने वाले प्राणियों के विषय में यही व्यवस्था है,
47 कि शुद्ध अशुद्ध और भक्षय और अभक्षय जीवधारियों में भेद किया जाए॥
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 इस्त्राएलियों से कह, कि जो स्त्री गभिर्णी हो और उसके लड़का हो, तो वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगी; जिस प्रकार वह ऋतुमती हो कर अशुद्ध रहा करती।
3 और आठवें दिन लड़के का खतना किया जाए।
4 फिर वह स्त्री अपने शुद्ध करने वाले रूधिर में तेंतीस दिन रहे; और जब तक उसके शुद्ध हो जाने के दिन पूरे न हों तब तक वह न तो किसी पवित्र वस्तु को छुए, और न पवित्रस्थान में प्रवेश करे।
5 और यदि उसके लड़की पैदा हो, तो उसको ऋतुमती की सी अशुद्धता चौदह दिन की लगे; और फिर छियासठ दिन तक अपने शुद्ध करने वाले रूधिर में रहे।
6 और जब उसके शुद्ध हो जाने के दिन पूरे हों, तब चाहे उसके बेटा हुआ हो चाहे बेटी, वह होमबलि के लिये एक वर्ष का भेड़ी का बच्चा, और पापबलि के लिये कबूतरी का एक बच्चा वा पंडुकी मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास लाए।
7 तब याजक उसको यहोवा के साम्हने भेंट चढ़ाके उसके लिये प्रायश्चित्त करे; और वह अपने रूधिर के बहने की अशुद्धता से छूटकर शुद्ध ठहरेगी। जिस स्त्री के लड़का वा लड़की उत्पन्न हो उसके लिये यही व्यवस्था है।
8 और यदि उसके पास भेड़ वा बकरी देने की पूंजी न हो, तो दो पंडुकी वा कबूतरी के दो बच्चे, एक तो होमबलि और दूसरा पापबलि के लिये दे; और याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, तब वह शुद्ध ठहरेगी॥
1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
2 जब किसी मनुष्य के शरीर के चर्म में सूजन वा पपड़ी वा फूल हो, और इस से उसके चर्म में कोढ़ की व्याधि सा कुछ देख पड़े, तो उसे हारून याजक के पास था उसके पुत्र जो याजक हैं उन में से किसी के पास ले जाएं।
3 जब याजक उसके चर्म की व्याधि को देखे, और यदि उस व्याधि के स्थान के रोएं उजले हो गए हों और व्याधि चर्म से गहरी देख पड़े, तो वह जान ले कि कोढ़ की व्याधि है; और याजक उस मनुष्य को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए।
4 और यदि वह फूल उसके चर्म में उजला तो हो, परन्तु चर्म से गहरा न देख पड़े, और न वहां के रोएं उजले हो गए हों, तो याजक उन को सात दिन तक बन्दकर रखे;
5 और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि जैसी की तैसी बनी रहे और उसके चर्म में न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दिन तक बन्दकर रखे;
6 और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए।
7 और यदि याजक की उस जांच के पश्चात जिस में वह शुद्ध ठहराया गया था, वह पपड़ी उसके चर्म पर बहुत फैल जाए, तो वह फिर याजक को दिखाया जाए;
8 और यदि याजक को देख पड़े कि पपड़ी चर्म में फैल गई है, तो वह उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ ही है॥
9 यदि कोढ़ की सी व्याधि किसी मनुष्य के हो, तो वह याजक के पास पहुंचाया जाए;
10 और याजक उसको देखे, और यदि वह सूजन उसके चर्म में उजली हो, और उसके कारण रोएं भी उजले हो गए हों, और उस सूजन में बिना चर्म का मांस हो,
11 तो याजक जाने कि उसके चर्म में पुराना कोढ़ है, इसलिये वह उसको अशुद्ध ठहराए; और बन्द न रखे, क्योंकि वह तो अशुद्ध है।
12 और यदि कोढ़ किसी के चर्म में फूटकर यहां तक फैल जाए, कि जहां कहीं याजक देखें व्याधित के सिर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चर्म को छा लिया हो,
13 जो याजक ध्यान से देखे, और यदि कोढ़ ने उसके सारे शरीर को छा लिया हो, तो वह उस व्याधित को शुद्ध ठहराए; और उसका शरीर जो बिलकुल उजला हो गया है वह शुद्ध ही ठहरे।
14 पर जब उस में चर्महीन मांस देख पड़े, तब तो वह अशुद्ध ठहरे।
15 और याजक चर्महीन मांस को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वैसा चर्महीन मांस अशुद्ध ही होता है; वह कोढ़ है।
16 पर यदि वह चर्महीन मांस फिर उजला हो जाए, तो वह मनुष्य याजक के पास जाए,
17 और याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि फिर से उजली हो गई हो, तो याजक व्याधित को शुद्ध जाने; वह शुद्ध है॥
18 फिर यदि किसी के चर्म में फोड़ा हो कर चंगा हो गया हो,
19 और फोड़े के स्थान में उजली सी सूजन वा लाली लिये हुए उजला फूल हो, तो वह याजक को दिखाया जाए।
20 और याजक उस सूजन को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरा देख पड़े, और उसके रोएं भी उजले हो गए हों, तो याजक यह जानकर उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है जो फोड़े में से फूटकर निकली है।
21 और यदि याजक देखे कि उस में उजले रोएं नहीं हैं, और वह चर्म से गहिरी नहीं, और उसकी चमक कम हुई है, तो याजक उस मनुष्य को सात दिन तक बन्द कर रखे।
22 और यदि वह व्याधि उस समय तक चर्म में सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है।
23 परन्तु यदि वह फूल न फैले और अपने स्थान ही पर बना रहे, तो वह फोड़े को दाग है; याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए॥
24 फिर यदि किसी के चर्म में जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव में चर्महीन फूल लाली लिये हुए उजला वा उजला ही हो जाए,
25 तो याजक उसको देखे, और यदि उस फूल में के रोएं उजले हो गए हों और वह चर्म से गहिरा देख पड़े, तो वह कोढ़ है; जो उस जलने के दाग में से फूट निकला है; याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उस में कोढ़ की व्याधि है।
26 और यदि याजक देखे, कि फूल में उजले रोएं नहीं और न वह चर्म से कुछ गहिरा है, और उसकी चमक कम हुई है, तो वह उसको सात दिन तक बन्द कर रखे,
27 और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैल गई हो, तो वह उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसको कोढ़ की व्याधि है।
28 परन्तु यदि वह फूल चर्म में नहीं फैला और अपने स्थान ही पर जहां का तहां ही बना हो, और उसकी चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है, याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; क्योंकि वह दाग जल जाने के कारण से है॥
29 फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के सिर पर, वा पुरूष की डाढ़ी में व्याधि हो,
30 तो याजक व्याधि को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरी देख पड़े, और उस में भूरे भूरे पतले बाल हों, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; वह व्याधि सेंहुआं, अर्थात सिर वा डाढ़ी का कोढ़ है।
31 और यदि याजक सेंहुएं की व्याधि को देखे, कि वह चर्म से गहिरी नहीं है और उस में काले काले बाल नहीं हैं, तो वह सेंहुएं के व्याधित को सात दिन तक बन्द कर रखे,
32 और सातवें दिन याजक व्याधि को देखे, तब यदि वह सेंहुआं फैला न हो, और उस में भूरे भूरे बाल न हों, और सेंहुआं चर्म से गहिरा न देख पड़े,
33 तो यह मनुष्य मूंड़ा जाए, परन्तु जहां सेंहुआं हो वहां न मूंड़ा जाए; और याजक उस सेंहुएं वाले को और भी सात दिन तक बन्द करे;
34 और सातवें दिन याजक सेहुएं को देखे, और यदि वह सेंहुआं चर्म में फैला न हो और चर्म से गहिरा न देख पड़े, तो याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; और वह अपने वस्त्र धो के शुद्ध ठहरे।
35 और यदि उसके शुद्ध ठहरने के पश्चात सेंहुआं चर्म में कुछ भी फैले,
36 तो याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैला हो, तो याजक यह भूरे बाल न ढूंढ़े, क्योंकि मनुष्य अशुद्ध है।
37 परन्तु यदि उसकी दृष्टि में वह सेंहुआं जैसे का तैसा बना हो, और उस में काले काले बाल जमे हों, तो वह जाने की सेंहुआं चंगा हो गया है, और वह मनुष्य शुद्ध है; याजक उसको शुद्ध ही ठहराए॥
38 फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के चर्म में उजले फूल हों,
39 तो याजक देखे, और यदि उसके चर्म में वे फूल कम उजले हों, तो वह जाने कि उसको चर्म में निकली हुई चाईं ही है; वह मनुष्य शुद्ध ठहरे॥
40 फिर जिसके सिर के बाल झड़ गए हों, तो जानना कि वह चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।
41 और जिसके सिर के आगे के बाल झड़ गए हों, तो वह माथे का चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।
42 परन्तु यदि चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर लाली लिये हुए उजली व्याधि हो, तो जानना कि वह उसके चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर निकला हुआ कोढ़ है।
43 इसलिये याजक उसको देखे, और यदि व्याधि की सूजन उसके चन्दुले सिर वा चन्दुले माथे पर ऐसी लाली लिये हुए उजली हो जैसा चर्म के कोढ़ में होता है,
44 तो वह मनुष्य कोढ़ी है और अशुद्ध है; और याजक उसको अवश्य अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह व्याधि उसके सिर पर है॥
45 और जिस में वह व्याधि हो उस कोढ़ी के वस्त्र फटे और सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपर वाले होंठ को ढांपे हुए अशुद्ध, अशुद्ध पुकारा करे।
46 जितने दिन तक वह व्याधि उस में रहे उतने दिन तक वह तो अशुद्ध रहेगा; और वह अशुद्ध ठहरा रहे; इसलिये वह अकेला रहा करे, उसका निवास स्थान छावनी के बाहर हो॥
47 फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का,
48 वह व्याधि चाहे उस सनी वा ऊन के वस्त्र के ताने में हो चाहे बाने में, वा वह व्याधि चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हो,
49 यदि वह व्याधि किसी वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हरी हो वा लाल सी हो, तो जानना कि वह कोढ़ की व्याधि है और वह याजक को दिखाई जाए।
50 और याजक व्याधि को देखे, और व्याधिवाली वस्तु को सात दिन के लिये बन्द करे;
51 और सातवें दिन वह उस व्याधि को देखे, और यदि वह वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में फैल गई हो, तो जानना कि व्याधि गलित कोढ़ है, इसलिये वह वस्तु, चाहे कैसे ही काम में क्यों न आती हो, तौभी अशुद्ध ठहरेगी।
52 वह उस वस्त्र को जिसके ताने वा बाने में वह व्याधि हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, वा चमड़े की वस्तु हो, उसको जला दे, वह व्याधि गलित कोढ़ की है; वह वस्तु आग में जलाई जाए।
53 और यदि याजक देखे कि वह व्याधि उस वस्त्र के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में नहीं फैली,
54 तो जिस वस्तु में व्याधि हो उसके धोने की आज्ञा दे, तक उसे और भी सात दिन तक बन्द कर रखे;
55 और उसके धोने के बाद याजक उसको देखे, और यदि व्याधि का न तो रंग बदला हो, और न व्याधि फैली हो, तो जानना कि वह अशुद्ध है; उसे आग में जलाना, क्योंकि चाहे वह व्याधि भीतर चाहे ऊपरी हो तौभी वह खा जाने वाली व्याधि है।
56 और यदि याजक देखे, कि उसके धोने के पश्चात व्याधि की चमक कम हो गई, तो वह उसको वस्त्र के चाहे ताने चाहे बाने में से, वा चमड़े में से फाड़के निकाले;
57 और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्र के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में देख पड़े, तो जानना कि वह फूट के निकली हुई व्याधि है; और जिस में वह व्याधि हो उसे आग में जलाना।
58 और यदि उस वस्त्र से जिसके ताने वा बाने में व्याधि हो, वा चमड़े की जो वस्तु हो उससे जब धोई जाए और व्याधि जाती रही, तो वह दूसरी बार धुल कर शुद्ध ठहरे।
59 ऊन वा सनी के वस्त्र में के ताने वा बाने में, वा चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है॥
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 कोढ़ी के शुद्ध ठहराने की व्यवस्था यह है, कि वह याजक के पास पहुंचाया जाए।
3 और याजक छावनी के बाहर जाए, और याजक उस कोढ़ी को देखे, और यदि उसके कोढ़ की व्याधि चंगी हुई हो,
4 तो याजक आज्ञा दे कि शुद्ध ठहराने वाले के लिये दो शुद्ध और जीवित पक्षी, देवदारू की लकड़ी, और लाल रंग का कपड़ा और जूफा ये सब लिये जाएं;
5 और याजक आज्ञा दे कि एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलि किया जाए।
6 तब वह जीवित पक्षी को देवदारू की लकड़ी और लाल रंग के कपड़े और जूफा इन सभों को ले कर एक संग उस पक्षी के लोहू में जो बहते हुए जल के ऊपर बलि किया गया है डुबा दे;
7 और कोढ़ से शुद्ध ठहरने वाले पर सात बार छिड़ककर उसको शुद्ध ठहराए, तब उस जीवित पक्षी को मैदान में छोड़ दे।
8 और शुद्ध ठहरनेवाला अपने वस्त्रों को धोए, और सब बाल मुंड़वाकर जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा; और उसके बाद वह छावनी में आने पाए, परन्तु सात दिन तक अपने डेरे से बाहर ही रहे।
9 और सातवें दिन वह सिर, डाढ़ी और भौहों के सब बाल मुंड़ाए, और सब अंग मुण्डन कराए, और अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।
10 और आठवें दिन वह दो निर्दोष भेड़ के बच्चे, और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए।
11 और शुद्ध ठहरानेवाला याजक इन वस्तुओं समेत उस शुद्ध होने वाले मनुष्य को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा करे।
12 तब याजक एक भेड़ का बच्चा ले कर दोषबलि के लिये उसे और उस लोज भर तेल को समीप लाए, और इन दोनो को हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए;
13 तब याजक एक भेड़ के बच्चे को उसी स्थान में जहां वह पापबलि और होमबलि पशुओं का बलिदान किया करेगा, अर्थात पवित्रस्थान में बलिदान करे; क्योंकि जैसा पापबलि याजक का निज भाग होगा वैसा ही दोषबलि भी उसी का निज भाग ठहरेगा; वह परमपवित्र है।
14 तब याजक दोषबलि के लोहू में से कुछ ले कर शुद्ध ठहरने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।
15 और याजक उस लोज भर तेल में से कुछ ले कर अपने बाएं हाथ की हथेली पर डाले,
16 और याजक अपने दाहिने हाथ की उंगली को अपने बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उंगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के।
17 और जो तेल उसकी हथेली पर रह जाएगा याजक उस में से कुछ शुद्ध होने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के ऊपर लगाएं;
18 और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसको वह शुद्ध होने वाले के सिर पर डाल दे। और याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।
19 और याजक पापबलि को भी चढ़ाकर उसके लिये जो अपनी अशुद्धता से शुद्ध होनेवाला हो प्रायश्चित्त करे; और उसके बाद होमबलि पशु का बलिदान करके:
20 अन्नबलि समेत वेदी पर चढ़ाए: और याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, और वह शुद्ध ठहरेगा॥
21 परन्तु यदि वह दरिद्र हो और इतना लाने के लिये उसके पास पूंजी न हो, तो वह अपना प्रायश्चित्त करवाने के निमित्त, हिलाने के लिये भेड़ का बच्चा दोषबलि के लिये, और तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके, और लोज भर तेल लाए;
22 और दो पंडुक, वा कबूतरी के दो बच्चे लाए, जो वह ला सके; और इन में से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये हो।
23 और आठवें दिन वह इन सभों को अपने शुद्ध ठहरने के लिये मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के सम्मुख, याजक के पास ले आए;
24 तब याजक उस लोज भर तेल और दोष बलि वाले भेड़ के बच्चे को ले कर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए।
25 फिर दोषबलि के भेड़ के बच्चे का बलिदान किया जाए; और याजक उसके लोहू में से कुछ ले कर शुद्ध ठहरने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।
26 फिर याजक उस तेल में से कुछ अपने बाएं हाथ की हथेली पर डालकर,
27 अपने दाहिने हाथ की उंगली से अपनी बाईं हथेली पर के तेल में से कुछ यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के;
28 फिर याजक अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ शुद्ध ठहरने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के स्थान पर, लगाए।
29 और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसे वह शुद्ध ठहरने वाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करने को उसके सिर पर डाल दे।
30 तब वह पंडुकों वा कबूतरी के बच्चों में से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए,
31 अर्थात जो पक्षी वह ला सका हो, उन में से वह एक को पापबलि के लिये और अन्नबलि समेत दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; इस रीति से याजक शुद्ध ठहरने वाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।
32 जिसे कोढ़ की व्याधि हुई हो, और उसके इतनी पूंजी न हो कि वह शुद्ध ठहरने की सामग्री को ला सके, तो उसके लिये यही व्यवस्था है॥
33 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
34 जब तुम लोग कनान देश में पहुंचो, जिसे मैं तुम्हारी निज भूमि होने के लिये तुम्हें देता हूं, उस समय यदि मैं कोढ़ की व्याधि तुम्हारे अधिकार के किसी घर में दिखाऊं,
35 तो जिसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे, कि मुझे ऐसा देख पड़ता है कि घर में मानों कोई व्याधि है।
36 तब याजक आज्ञा दे, कि उस घर में व्याधि देखने के लिये मेरे जाने से पहिले उसे खाली करो, कहीं ऐसा न हो कि जो कुछ घर में हो वह सब अशुद्ध ठहरे; और पीछे याजक घर देखने को भीतर जाए।
37 तब वह उस व्याधि को देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर हरी हरी वा लाल लाल मानों खुदी हुई लकीरों के रूप में हो, और ये लकीरें दीवार में गहिरी देख पड़ती हों,
38 तो याजक घर से बाहर द्वार पर जा कर घर को सात दिन तक बन्द कर रखे।
39 और सातवें दिन याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर फैल गई हो,
40 तो याजक आज्ञा दे, कि जिन पत्थरों को व्याधि है उन्हें निकाल कर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में फेंक दें;
41 और वह घर के भीतर ही भीतर चारों ओर खुरचवाए, और वह खुरचन की मिट्टी नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में डाली जाए;
42 और उन पत्थरों के स्थान में और दूसरे पत्थर ले कर लगाएं और याजक ताजा गारा ले कर घर की जुड़ाई करे।
43 और यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले,
44 तो याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर में फैल गई हो, तो वह जान ले कि घर में गलित कोढ़ है; वह अशुद्ध है।
45 और वह सब गारे समेत पत्थर, लकड़ी और घर को खुदवाकर गिरा दे; और उन सब वस्तुओं को उठवाकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान पर फिंकवा दे।
46 और जब तक वह घर बन्द रहे तब तक यदि कोई उस में जाए तो वह सांझ तक अशुद्ध रहे;
47 और जो कोई उस घर में सोए वह अपने वस्त्रों को धोए; और जो कोई उस घर में खाना खाए वह भी अपने वस्त्रों को धोए।
48 और यदि याजक आकर देखे कि जब से घर लेसा गया है तब से उस में व्याधि नहीं फैली है, तो यह जानकर कि वह व्याधि दूर हो गई है, घर को शुद्ध ठहराए।
49 और उस घर को पवित्र करने के लिये दो पक्षी, देवदारू की लकड़ी, लाल रंग का कपड़ा और जूफा लिवा लाए,
50 और एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलिदान करे,
51 तब वह देवदारू की लकड़ी लाल रंग के कपड़े और जूफा और जीवित पक्षी इन सभों को ले कर बलिदान किए हुए पक्षी के लोहू में और बहते हुए जल में डूबा दे, और उस घर पर सात बार छिड़के।
52 और वह पक्षी के लोहू, और बहते हुए जल, और जूफा और लाल रंग के कपड़े के द्वारा घर को पवित्र करे;
53 तब वह जीवित पक्षी को नगर से बाहर मैदान में छोड़ दे; इसी रीति से वह घर के लिये प्रायश्चित्त करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।
54 सब भांति के कोढ़ की व्याधि, और सेहुएं,
55 और वस्त्र, और घर के कोढ़,
56 और सूजन, और पपड़ी, और फूल के विषय में,
57 शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की शिक्षा की व्यवस्था यही है। सब प्रकार के कोढ़ की व्यवस्था यही है॥
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