पवित्र बाइबिल - Hindi Holy Bible

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 यूहन्ना - अध्याय 11

1 मरियम और उस की बहिन मारथा के गांव बैतनिय्याह का लाजर नाम एक मनुष्य बीमार था।

2 यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पांवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाजर बीमार था।

3 सो उस की बहिनों ने उसे कहला भेजा, कि हे प्रभु, देख, जिस से तू प्रीति रखता है, वह बीमार है।

4 यह सुनकर यीशु ने कहा, यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।

5 और यीशु मारथा और उस की बहन और लाजर से प्रेम रखता था।

6 सो जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया।

7 फिर इस के बाद उस ने चेलों से कहा, कि आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।

8 चेलों ने उस से कहा, हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?

9 यीशु ने उत्तर दिया, क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता है, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है।

10 परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उस में प्रकाश नहीं।

11 उस ने ये बातें कहीं, और इस के बाद उन से कहने लगा, कि हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूं।

12 तब चेलों ने उस से कहा, हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा।

13 यीशु ने तो उस की मृत्यु के विषय में कहा था: परन्तु वे समझे कि उस ने नींद से सो जाने के विषय में कहा।

14 तब यीशु ने उन से साफ कह दिया, कि लाजर मर गया है।

15 और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूं कि मैं वहां न था जिस से तुम विश्वास करो, परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।

16 तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।

17 सो यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं।

18 बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था।

19 और बहुत से यहूदी मारथा और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे।

20 सो मारथा यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही।

21 मारथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।

22 और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।

23 यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।

24 मारथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।

25 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।

26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?

27 उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।

28 यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है।

29 वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई।

30 (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।)

31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये।

32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।

33 जब यीशु न उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?

34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले।

35 यीशु के आंसू बहने लगे।

36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।

37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिस ने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता

38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।

39 यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।

40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।

41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।

42 और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।

43 यह कहकर उस ने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।

44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ तें यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो॥

45 तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।

46 परन्तु उन में से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया॥

47 इस पर महायाजकों और फरीसियों ने मुख्य सभा के लोगों को इकट्ठा करके कहा, हम करते क्या हैं? यह मनुष्य तो बहुत चिन्ह दिखाता है।

48 यदि हम उसे यों ही छोड़ दे, तो सब उस पर विश्वास ले आएंगे और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे।

49 तब उन में से काइफा नाम एक व्यक्ति ने जो उस वर्ष का महायाजक था, उन से कहा, तुम कुछ नहीं जानते।

50 और न यह सोचते हो, कि तुम्हारे लिये यह भला है, कि हमारे लोगों के लिये एक मनुष्य मरे, और न यह, कि सारी जाति नाश हो।

51 यह बात उस ने अपनी ओर से न कही, परन्तु उस वर्ष का महायाजक होकर भविष्यद्वणी की, कि यीशु उस जाति के लिये मरेगा।

52 और न केवल उस जाति के लिये, वरन इसलिये भी, कि परमेश्वर की तित्तर बित्तर सन्तानों को एक कर दे।

53 सो उसी दिन से वे उसके मार डालने की सम्मति करने लगे॥

54 इसलिये यीशु उस समय से यहूदियों में प्रगट होकर न फिरा; परन्तु वहां से जंगल के निकट के देश में इफ्राईम नाम, एक नगर को चला गया; और अपने चेलों के साथ वहीं रहने लगा।

55 और यहूदियों का फसह निकट था, और बहुतेरे लोग फसह से पहिले देहात से यरूशलेम को गए कि अपने आप को शुद्ध करें।

56 सो वे यीशु को ढूंढ़ने और मन्दिर में खड़े होकर आपस में कहने लगे, तुम क्या समझते हो

57 क्या वह पर्व में नहीं आएगा? और महायाजकों और फरीसियों ने भी आज्ञा दे रखी थी, कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहां है तो बताए, कि उसे पकड़ लें॥

 यूहन्ना - अध्याय 12

1 फिर यीशु फतह से छ: दिन पहिले बैतनिय्याह में आया, जहां लाजर था: जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था।

2 वहां उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मारथा सेवा कर रही थी, और लाजर उन में से एक था, जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे।

3 तब मरियम ने जटामासी का आध सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पावों पर डाला, और अपने बालों से उसके पांव पोंछे, और इत्र की सुगंध से घर सुगन्धित हो गया।

4 परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नाम एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा।

5 यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर कंगालों को क्यों न दिया गया?

6 उस ने यह बात इसलिये न कही, कि उसे कंगालों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिये कि वह चोर था और उसके पास उन की थैली रहती थी, और उस में जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था।

7 यीशु ने कहा, उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे।

8 क्योंकि कंगाल तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूंगा॥

9 यहूदियों में से साधारण लोग जान गए, कि वह वहां है, और वे न केवल यीशु के कारण आए परन्तु इसलिये भी कि लाजर को देंखें, जिसे उस ने मरे हुओं में से जिलाया था।

10 तब महायाजकों ने लाजर को भी मार डालने की सम्मति की।

11 क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया॥

12 दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्व में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आता है।

13 खजूर की, डालियां लीं, और उस से भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, कि होशाना, धन्य इस्त्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।

14 जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो उस पर बैठा।

15 जैसा लिखा है, कि हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्चा पर चढ़ा हुआ चला आता है।

16 उसके चेले, ये बातें पहिले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उन को स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं; और लोगों ने उस से इस प्रकार का व्यवहार किया था।

17 तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उस ने लाजर को कब्र में से बुलाकर, मरे हुओं में से जिलाया था।

18 इसी कारण लोग उस से भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था, कि उस ने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है।

19 तब फरीसियों ने आपस में कहा, सोचो तो सही कि तुम से कुछ नहीं बन पड़ता: देखो, संसार उसके पीछे हो चला है॥

20 जो लोग उस पर्व में भजन करने आए थे उन में से कई यूनानी थे।

21 उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहने वाले फिलेप्पुस के पास आकर उस से बिनती की, कि श्रीमान् हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।

22 फिलेप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलेप्पुस ने यीशु से कहा।

23 इस पर यीशु ने उन से कहा, वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो।

24 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।

25 जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उस की रक्षा करेगा।

26 यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहां मैं हूं वहां मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।

27 जब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिये अब मैं क्या कहूं? हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा? परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुंचा हूं।

28 हे पिता अपने नाम की महिमा कर: तब यह आकाशवाणी हुई, कि मैं ने उस की महिमा की है, और फिर भी करूंगा।

29 तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरों ने कहा, कोई स्वर्गदूत उस से बोला।

30 इस पर यीशु ने कहा, यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है।

31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा।

32 और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सब को अपने पास खीचूंगा।

33 ऐसा कहकर उस ने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा।

34 इस पर लोगों ने उस से कहा, कि हम ने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊंचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है?

35 यह मनुष्य का पुत्र कौन है? यीशु ने उन से कहा, ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।

36 जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान होओ॥ ये बातें कहकर यीशु चला गया और उन से छिपा रहा।

37 और उस ने उन के साम्हने इतने चिन्ह दिखाए, तौभी उन्होंने उस पर विश्वास न किया।

38 ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उस ने कहा कि हे प्रभु हमारे समाचार की किस ने प्रतीति की है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?

39 इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने फिर भी कहा।

40 कि उस ने उन की आंखें अन्धी, और उन का मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आंखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं।

41 यशायाह ने ये बातें इसलिये कहीं, कि उस ने उस की महिमा देखी; और उस ने उसके विषय में बातें कीं।

42 तौभी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएं।

43 क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उन को परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी॥

44 यीशु ने पुकारकर कहा, जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन मेरे भेजने वाले पर विश्वास करता है।

45 और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजने वाले को देखता है।

46 मैं जगत में ज्योति होकर आया हूं ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अन्धकार में न रहे।

47 यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूं।

48 जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उस को दोषी ठहराने वाला तो एक है: अर्थात जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा।

49 क्योंकि मैं ने अपनी ओर से बातें नहीं कीं, परन्तु पिता जिस ने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या क्या कहूं और क्या क्या बोलूं

50 और मैं जानता हूं, कि उस की आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं॥

 यूहन्ना - अध्याय 13

1 फसह के पर्व से पहिले जब यीशु ने जान लिया, कि मेरी वह घड़ी आ पहुंची है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊं, तो अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम वह रखता था, अन्त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा।

2 और जब शैतान शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती के मन में यह डाल चुका था, कि उसे पकड़वाए, तो भोजन के समय।

3 यीशु ने यह जानकर कि पिता ने सब कुछ मेरे हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्वर के पास से आया हूं, और परमेश्वर के पास जाता हूं।

4 भोजन पर से उठकर अपने कपड़े उतार दिए, और अंगोछा लेकर अपनी कमर बान्धी।

5 तब बरतन में पानी भरकर चेलों के पांव धोने और जिस अंगोछे से उस की कमर बन्धी थी उसी से पोंछने लगा।

6 जब वह शमौन पतरस के पास आया: तब उस ने उस से कहा, हे प्रभु,

7 क्या तू मेरे पांव धोता है? यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि जो मैं करता हूं, तू अब नहीं जानता, परन्तु इस के बाद समझेगा।

8 पतरस ने उस से कहा, तू मेरे पांव कभी न धोने पाएगा: यह सुनकर यीशु ने उस से कहा, यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं।

9 शमौन पतरस ने उस से कहा, हे प्रभु, तो मेरे पांव ही नहीं, वरन हाथ और सिर भी धो दे।

10 यीशु ने उस से कहा, जो नहा चुका है, उसे पांव के सिवा और कुछ धोने का प्रयोजन नहीं; परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है: और तुम शुद्ध हो; परन्तु सब के सब नहीं।

11 वह तो अपने पकड़वाने वाले को जानता था इसी लिये उस ने कहा, तुम सब के सब शुद्ध नहीं॥

12 जब वह उन के पांव धो चुका और अपने कपड़े पहिनकर फिर बैठ गया तो उन से कहने लगा, क्या तुम समझे कि मैं ने तुम्हारे साथ क्या किया?

13 तुम मुझे गुरू, और प्रभु, कहते हो, और भला कहते हो, क्योंकि मैं वही हूं।

14 यदि मैं ने प्रभु और गुरू होकर तुम्हारे पांव धोए; तो तुम्हें भी एक दुसरे के पांव धोना चाहिए।

15 क्योंकि मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है, कि जैसा मैं ने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो।

16 मैं तुम से सच सच कहता हूं, दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं; और न भेजा हुआ अपने भेजने वाले से।

17 तुम तो ये बातें जानते हो, और यदि उन पर चलो, तो धन्य हो।

18 मैं तुम सब के विषय में नहीं कहता: जिन्हें मैं ने चुन लिया है, उन्हें मैं जानता हूं: परन्तु यह इसलिये है, कि पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हो, कि जो मेरी रोटी खाता है, उस ने मुझ पर लात उठाई।

19 अब मैं उसके होने से पहिले तुम्हें जताए देता हूं कि जब हो जाए तो तुम विश्वास करो कि मैं वहीं हूं।

20 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मेरे भेजे हुए को ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है, और जो मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजने वाले को ग्रहण करता है॥

21 ये बातें कहकर यीशु आत्मा में व्याकुल हुआ और यह गवाही दी, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।

22 चेले यह संदेह करते हुए, कि वह किस के विषय में कहता है, एक दूसरे की ओर देखने लगे।

23 उसके चेलों में से एक जिस से यीशु प्रेम रखता था, यीशु की छाती की ओर झुका हुआ बैठा था।

24 तब शमौन पतरस ने उस की ओर सैन करके पूछा, कि बता तो, वह किस के विषय में कहता है

25 तब उस ने उसी तरह यीशु की छाती की ओर झुक कर पूछा, हे प्रभु, वह कौन है? यीशु ने उत्तर दिया, जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा डुबोकर दूंगा, वही है।

26 और उस ने टुकड़ा डुबोकर शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती को दिया।

27 और टुकड़ा लेते ही शैतान उस में समा गया: तब यीशु ने उस से कहा, जो तू करता है, तुरन्त कर।

28 परन्तु बैठने वालों में से किसी ने न जाना कि उस ने यह बात उस से किस लिये कही।

29 यहूदा के पास थैली रहती थी, इसलिये किसी किसी ने समझा, कि यीशु उस से कहता है, कि जो कुछ हमें पर्व के लिये चाहिए वह मोल ले, या यह कि कंगालों को कुछ दे।

30 तब वह टुकड़ा लेकर तुरन्त बाहर चला गया, और रात्रि का समय था॥

31 जब वह बाहर चला गया तो यीशु ने कहा; अब मनुष्य पुत्र की महिमा हुई, और परमेश्वर की महिमा उस में हुई।

32 और परमेश्वर भी अपने में उस की महिमा करेगा, वरन तुरन्त करेगा।

33 हे बाल को, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूं: फिर तुम मुझे ढूंढोगे, और जैसा मैं ने यहूदियों से कहा, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूं।

34 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो।

35 यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो॥

36 शमौन पतरस ने उस से कहा, हे प्रभु, तू कहां जाता है यीशु ने उत्तर दिया, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तू अब मेरे पीछे आ नहीं सकता! परन्तु इस के बाद मेरे पीछे आएगा।

37 पतरस ने उस से कहा, हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपना प्राण दूंगा।

38 यीशु ने उत्तर दिया, क्या तू मेरे लिये अपना प्राण देगा? मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा।

 यूहन्ना - अध्याय 14

1 तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।

2 मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं।

3 और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।

4 और जहां मैं जाता हूं तुम वहां का मार्ग जानते हो।

5 थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू हां जाता है तो मार्ग कैसे जानें?

6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।

7 यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते, और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।

8 फिलेप्पुस ने उस से कहा, हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे: यही हमारे लिये बहुत है।

9 यीशु ने उस से कहा; हे फिलेप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूं, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है: तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा।

10 क्या तू प्रतीति नहीं करता, कि मैं पिता में हूं, और पिता मुझ में हैं? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूं, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है।

11 मेरी ही प्रतीति करो, कि मैं पिता में हूं; और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरी प्रतीति करो।

12 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूं।

13 और जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूंगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।

14 यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा।

15 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।

16 और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।

17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।

18 मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं।

19 और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे।

20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।

21 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।

22 उस यहूदा ने जो इस्करियोती न था, उस से कहा, हे प्रभु, क्या हुआ की तू अपने आप को हम पर प्रगट किया चाहता है, और संसार पर नहीं।

23 यीशु ने उस को उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे।

24 जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिस ने मुझे भेजा॥

25 ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं।

26 परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।

27 मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।

28 तुम ने सुना, कि मैं ने तुम से कहा, कि मैं जाता हूं, और तुम्हारे पास फिर आता हूं: यदि तुम मुझ से प्रेम रखते, तो इस बात से आनन्दित होते, कि मैं पिता के पास जाता हूं क्योंकि पिता मुझ से बड़ा है।

29 और मैं ने अब इस के होने से पहिले तुम से कह दिया है, कि जब वह हो जाए, तो तुम प्रतीति करो।

30 मैं अब से तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूंगा, क्योंकि इस संसार का सरदार आता है, और मुझ में उसका कुछ नहीं।

31 परन्तु यह इसलिये होता है कि संसार जाने कि मैं पिता से प्रेम रखता हूं, और जिस तरह पिता ने मुझे आज्ञा दी, मैं वैसे ही करता हूं: उठो, यहां से चलें॥

 यूहन्ना - अध्याय 15

1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है।

2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।

3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।

4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते।

5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।

6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।

7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।

8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।

9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।

10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।

11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।

12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।

13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।

14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।

15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।

16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।

17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

18 यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उस ने तुम से पहिले मुझ से भी बैर रखा।

19 यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है।

20 जो बात मैं ने तुम से कही थी, कि दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता, उस को याद रखो: यदि उन्होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएंगे; यदि उन्होंने मेरी बात मानी, तो तुम्हारी भी मानेंगे।

21 परन्तु यह सब कुछ वे मेरे नाम के कारण तुम्हारे साथ करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजने वाले को नहीं जानते।

22 यदि मैं न आता और उन से बातें न करता, तो वे पापी न ठहरते परन्तु अब उन्हें उन के पाप के लिये कोई बहाना नहीं।

23 जो मुझ से बैर रखता है, वह मेरे पिता से भी बैर रखता है।

24 यदि मैं उन में वे काम न करता, जो और किसी ने नहीं किए तो वे पापी नहीं ठहरते, परन्तु अब तो उन्होंने मुझे और मेरे पिता दोनों को देखा, और दोनों से बैर किया।

25 और यह इसलिये हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उन की व्यवस्था में लिखा है, कि उन्होंने मुझ से व्यर्थ बैर किया।

26 परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूंगा, अर्थात सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा।

27 और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो॥

 यूहन्ना - अध्याय 16

1 ये बातें मैं ने तुम से इसलिये कहीं कि तुम ठोकर न खाओ।

2 वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे, वरन वह समय आता है, कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा वह समझेगा कि मैं परमेश्वर की सेवा करता हूं।

3 और यह वे इसलिये करेंगे कि उन्होंने न पिता को जाना है और न मुझे जानते हैं।

4 परन्तु ये बातें मैं ने इसलिये तुम से कहीं, कि जब उन का समय आए तो तुम्हें स्मरण आ जाए, कि मैं ने तुम से पहिले ही कह दिया था: और मैं ने आरम्भ में तुम से ये बातें इसलिये नहीं कहीं क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था।

5 अब मैं अपने भेजने वाले के पास जाता हूं और तुम में से कोई मुझ से नहीं पूछता, कि तू कहां जाता है?

6 परन्तु मैं ने जो ये बातें तुम से कही हैं, इसलिये तुम्हारा मन शोक से भर गया।

7 तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।

8 और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।

9 पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।

10 और धामिर्कता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं,

11 और तुम मुझे फिर न देखोगे: न्याय के विषय में इसलिये कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है।

12 मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।

13 परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।

14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।

15 जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिये मैं ने कहा, कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।

16 थोड़ी देर तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे।

17 तब उसके कितने चेलों ने आपस में कहा, यह क्या है, जो वह हम से कहता है, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे? और यह इसलिये कि मैं कि मैं पिता के पास जाता हूं?

18 तब उन्होंने कहा, यह थोड़ी देर जो वह कहता है, क्या बात है? हम नहीं जानते, कि क्या कहता है।

19 यीशु ने यह जानकर, कि वे मुझ से पूछना चाहते हैं, उन से कहा, क्या तुम आपस में मेरी इस बाते के विषय में पूछ पाछ करते हो, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे।

20 मैं तुम से सच सच कहता हूं; कि तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनन्द करेगा: तुम्हें शोक होगा, परन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जाएगा।

21 जब स्त्री जनने लगती है तो उस को शोक होता है, क्योंकि उस की दु:ख की घड़ी आ पहुंची, परन्तु जब वह बालक जन्म चुकी तो इस आनन्द से कि जगत में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती।

22 और तुम्हें भी अब तो शोक है, परन्तु मैं तुम से फिर मिलूंगा और तुम्हारे मन में आनन्द होगा; और तुम्हारा आनन्द कोई तुम से छीन न लेगा।

23 उस दिन तुम मुझ से कुछ न पूछोगे: मैं तुम से सच सच कहता हूं, यदि पिता से कुछ मांगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा।

24 अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं मांगा; मांगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए॥

25 मैं ने ये बातें तुम से दृष्टान्तों में कही हैं, परन्तु वह समय आता है, कि मैं तुम से दृष्टान्तों में और फिर नहीं कहूंगा परन्तु खोलकर तुम्हें पिता के विषय में बताऊंगा।

26 उस दिन तुम मेरे नाम से मांगोगे, और मैं तुम से यह नहीं कहता, कि मैं तुम्हारे लिये पिता से बिनती करूंगा।

27 क्योंकि पिता तो आप ही तुम से प्रीति रखता है, इसलिये कि तुम ने मुझ से प्रीति रखी है, और यह भी प्रतीति की है, कि मैं पिता कि ओर से निकल आया।

28 मैं पिता से निकलकर जगत में आया हूं, फिर जगत को छोड़कर पिता के पास जाता हूं।

29 उसके चेलों ने कहा, देख, अब तो तू खोलकर कहता है, और कोई दृष्टान्त नहीं कहता।

30 अब हम जान गए, कि तू सब कुछ जानता है, और तुझे प्रयोजन नहीं, कि कोई तुझ से पूछे, इस से हम प्रतीति करते हैं, कि तू परमेश्वर से निकला है।

31 यह सुन यीशु ने उन से कहा, क्या तुम अब प्रतीति करते हो?

32 देखो, वह घड़ी आती है वरन आ पहुंची कि तुम सब तित्तर बित्तर होकर अपना अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे, तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है।

33 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीन लिया है॥

 यूहन्ना - अध्याय 17

1 यीशु ने ये बातें कहीं और अपनी आंखे आकाश की ओर उठाकर कहा, हे पिता, वह घड़ी आ पहुंची, अपने पुत्र की महिमा कर, कि पुत्र भी तेरी महिमा करे।

2 क्योंकि तू ने उस को सब प्राणियों पर अधिकार दिया, कि जिन्हें तू ने उस को दिया है, उन सब को वह अनन्त जीवन दे।

3 और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जाने।

4 जो काम तू ने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा करके मैं ने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है।

5 और अब, हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत के होने से पहिले, मेरी तेरे साथ थी।

6 मैं ने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तू ने जगत में से मुझे दिया: वे तेरे थे और तू ने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन को मान लिया है।

7 अब वे जान गए हैं, कि जो कुछ तू ने मुझे दिया है, सब तेरी ओर से है।

8 क्योंकि जो बातें तू ने मुझे पहुंचा दीं, मैं ने उन्हें उन को पहुंचा दिया और उन्होंने उन को ग्रहण किया: और सच सच जान लिया है, कि मैं तेरी ओर से निकला हूं, और प्रतीति कर ली है कि तू ही ने मुझे भेजा।

9 मैं उन के लिये बिनती करता हूं, संसार के लिये बिनती नहीं करता हूं परन्तु उन्हीं के लिये जिन्हें तू ने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं।

10 और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है; और जो तेरा है वह मेरा है; और इन से मेरी महिमा प्रगट हुई है।

11 मैं आगे को जगत में न रहूंगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूं; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तू ने मुझे दिया है, उन की रक्षा कर, कि वे हमारी नाईं एक हों।

12 जब मैं उन के साथ था, तो मैं ने तेरे उस नाम से, जो तू ने मुझे दिया है, उन की रक्षा की, मैं ने उन की चौकसी की और विनाश के पुत्र को छोड़ उन में से काई नाश न हुआ, इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो।

13 परन्तु अब मैं तेरे पास आता हूं, और ये बातें जगत में कहता हूं, कि वे मेरा आनन्द अपने में पूरा पाएं।

14 मैं ने तेरा वचन उन्हें पहुंचा दिया है, और संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।

15 मैं यह बिनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले, परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख।

16 जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।

17 सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है।

18 जैसे तू ने जगत में मुझे भेजा, वैसे ही मैं ने भी उन्हें जगत में भेजा।

19 और उन के लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूं ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएं।

20 मैं केवल इन्हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों।

21 जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा।

22 और वह महिमा जो तू ने मुझे दी, मैं ने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे की हम एक हैं।

23 मैं उन में और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएं, और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही उन से प्रेम रखा।

24 हे पिता, मैं चाहता हूं कि जिन्हें तू ने मुझे दिया है, जहां मैं हूं, वहां वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तू ने मुझे दी है, क्योंकि तू ने जगत की उत्पत्ति से पहिले मुझ से प्रेम रखा।

25 हे धामिर्क पिता, संसार ने मुझे नहीं जाना, परन्तु मैं ने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा।

26 और मैं ने तेरा नाम उन को बताया और बताता रहूंगा कि जो प्रेम तुझ को मुझ से था, वह उन में रहे और मैं उन में रहूं॥

 यूहन्ना - अध्याय 18

1 यीशु ये बातें कहकर अपने चेलों के साथ किद्रोन के नाले के पार गया, वहां एक बारी थी, जिस में वह और उसके चेले गए।

2 और उसका पकड़वाने वाला यहूदा भी वह जगह जानता था, क्योंकि यीशु अपने चेलों के साथ वहां जाया करता था।

3 तब यहूदा पलटन को और महायाजकों और फरीसियों की ओर से प्यादों को लेकर दीपकों और मशालों और हथियारों को लिए हुए वहां आया।

4 तब यीशु उन सब बातों को जो उस पर आनेवाली थीं, जानकर निकला, और उन से कहने लगा, किसे ढूंढ़ते हो?

5 उन्होंने उस को उत्तर दिया, यीशु नासरी को: यीशु ने उन से कहा, मैं ही हूं: और उसका पकड़वाने वाला यहूदा भी उन के साथ खड़ा था।

6 उसके यह कहते ही, कि मैं हूं, वे पीछे हटकर भूमि पर गिर पड़े।

7 तब उस ने फिर उन से पूछा, तुम किस को ढूंढ़ते हो।

8 वे बोले, यीशु नासरी को। यीशु ने उत्तर दिया, मैं तो तुम से कह चुका हूं कि मैं ही हूं, यदि मुझे ढूंढ़ते हो तो इन्हें जाने दो।

9 यह इसलिये हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उस ने कहा था कि जिन्हें तू ने मुझे दिया, उन में से मैं ने एक को भी न खोया।

10 शमौन पतरस ने तलवार, जो उसके पास थी, खींची और महायाजक के दास पर चलाकर, उसका दाहिना कान उड़ा दिया, उस दास का नाम मलखुस था।

11 तब यीशु ने पतरस से कहा, अपनी तलवार काठी में रख: जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है क्या मैं उसे न पीऊं?

12 तब सिपाहियों और उन के सूबेदार और यहूदियों के प्यादों ने यीशु को पकड़कर बान्ध लिया।

13 और पहिले उसे हन्ना के पास ले गए क्योंकि वह उस वर्ष के महायाजक काइफा का ससुर था।

14 यह वही काइफा था, जिस ने यहूदियों को सलाह दी थी कि हमारे लोगों के लिये एक पुरूष का मरना अच्छा है।

15 शमौन पतरस और एक और चेला भी यीशु के पीछे हो लिए: यह चेला महायाजक का जाना पहचाना था और यीशु के साथ महायाजक के आंगन में गया।

16 परन्तु पतरस बाहर द्वार पर खड़ा रहा, तब वह दूसरा चेला जो महायाजक का जाना पहचाना था, बाहर निकला, और द्वारपालिन से कहकर, पतरस को भीतर ले आया।

17 उस दासी ने जो द्वारपालिन थी, पतरस से कहा, क्या तू भी इस मनुष्य के चेलों में से है? उस ने कहा, मैं नहीं हूं।

18 दास और प्यादे जाड़े के कारण को एले धधकाकर खड़े ताप रहे थे और पतरस भी उन के साथ खड़ा ताप रहा था॥

19 तक महायाजक ने यीशु से उसके चेलों के विषय में और उसके उपदेश के विषय में पूछा।

20 यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि मैं ने जगत से खोलकर बातें की; मैं ने सभाओं और आराधनालय में जहां सब यहूदी इकट्ठे हुआ करते हैं सदा उपदेश किया और गुप्त में कुछ भी नहीं कहा।

21 तू मुझ से क्यों पूछता है? सुनने वालों से पूछ: कि मैं ने उन से क्या कहा? देख वे जानते हैं; कि मैं ने क्या क्या कहा

22 तब उस ने यह कहा, तो प्यादों में से एक ने जो पास खड़ा था, यीशु को थप्पड़ मारकर कहा, क्या तू महायाजक को इस प्रकार उत्तर देता है।

23 यीशु ने उसे उत्तर दिया, यदि मैं ने बुरा कहा, तो उस बुराई पर गवाही दे; परन्तु यदि भला कहा, तो मुझे क्यों मारता है?

24 हन्ना ने उसे बन्धे हुए काइफा महायाजक के पास भेज दिया॥

25 शमौन पतरस खड़ा हुआ ताप रहा था। तब उन्होंने उस से कहा; क्या तू भी उसके चेलों में से है? उस ने इन्कार करके कहा, मैं नहीं हूं।

26 महायाजक के दासों में से एक जो उसके कुटुम्ब में से था, जिसका कान पतरस ने काट डाला था, बोला, क्या मैं ने तुझे उसके साथ बारी में न देखा था?

27 पतरस फिर इन्कार कर गया और तुरन्त मुर्ग ने बांग दी॥

28 और वे यीशु को काइफा के पास से किले को ले गए और भोर का समय था, परन्तु वे आप किले के भीतर न गए ताकि अशुद्ध न हों परन्तु फसह खा सकें।

29 तब पीलातुस उन के पास बाहर निकल आया और कहा, तुम इस मनुष्य पर किस बात की नालिश करते हो?

30 उन्होंने उस को उत्तर दिया, कि यदि वह कुकर्मी न होता तो हम उसे तेरे हाथ न सौंपते।

31 पीलातुस ने उन से कहा, तुम ही इसे ले जाकर अपनी व्यवस्था के अनुसार उसका न्याय करो: यहूदियों ने उस से कहा, हमें अधिकार नहीं कि किसी का प्राण लें।

32 यह इसलिये हुआ, कि यीशु की वह बात पूरी हो जो उस ने यह पता देते हुए कही थी, कि उसका मरना कैसा होगा॥

33 तब पीलातुस फिर किले के भीतर गया और यीशु को बुलाकर, उस से पूछा, क्या तू यहूदियों का राजा है?

34 यीशु ने उत्तर दिया, क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या औरों ने मेरे विषय में तुझ से कही?

35 पीलातुस ने उत्तर दिया, क्या मैं यहूदी हूं? तेरी ही जाति और महायाजकों ने तुझे मेरे हाथ सौंपा, तू ने क्या किया है?

36 यीशु ने उत्तर दिया, कि मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु अब मेरा राज्य यहां का नहीं।

37 पीलातुस ने उस से कहा, तो क्या तू राजा है? यीशु ने उत्तर दिया, कि तू कहता है, क्योंकि मैं राजा हूं; मैं ने इसलिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।

38 पीलातुस ने उस से कहा, सत्य क्या है? और यह कहकर वह फिर यहूदियों के पास निकल गया और उन से कहा, मैं तो उस में कुछ दोष नहीं पाता।

39 पर तुम्हारी यह रीति है कि मैं फसह में तुम्हारे लिये एक व्यक्ति को छोड़ दूं सो क्या तुम चाहते हो, कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूं?

40 तब उन्होंने फिर चिल्लाकर कहा, इसे नहीं परन्तु हमारे लिये बरअब्बा को छोड़ दे; और बरअब्बा डाकू था॥

 यूहन्ना - अध्याय 19

1 इस पर पीलातुस ने यीशु को लेकर कोड़े लगवाए।

2 और सिपाहियों ने कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा, और उसे बैंजनी वस्त्र पहिनाया।

3 और उसके पास आ आकर कहने लगे, हे यहूदियों के राजा, प्रणाम! और उसे थप्पड़ भी मारे।

4 तक पीलातुस ने फिर बाहर निकलकर लोगों से कहा, देखो, मैं उसे तुम्हारे पास फिर बाहर लाता हूं; ताकि तुम जानो कि मैं कुछ भी दोष नहीं पाता।

5 तक यीशु कांटों का मुकुट और बैंजनी वस्त्र पहिने हुए बाहर निकला और पीलातुस ने उन से कहा, देखो, यह पुरूष।

6 जब महायाजकों और प्यादों ने उसे देखा, तो चिल्लाकर कहा, कि उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर: पीलातुस ने उन से कहा, तुम ही उसे लेकर क्रूस पर चढ़ाओ; क्योंकि मैं उस में दोष नहीं पाता।

7 यहूदियों ने उस को उत्तर दिया, कि हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उस ने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र बनाया।

8 जब पीलातुस ने यह बात सुनी तो और भी डर गया।

9 और फिर किले के भीतर गया और यीशु से कहा, तू कहां का है? परन्तु यीशु ने उसे कुछ भी उत्तर न दिया।

10 पीलातुस ने उस से कहा, मुझ से क्यों नहीं बोलता? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।

11 यीशु ने उत्तर दिया, कि यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता; इसलिये जिस ने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है, उसका पाप अधिक है।

12 इस से पीलातुस ने उसे छोड़ देना चाहा, परन्तु यहूदियों ने चिल्ला चिल्लाकर कहा, यदि तू इस को छोड़ देगा तो तेरी भक्ति कैसर की ओर नहीं; जो कोई अपने आप को राजा बनाता है वह कैसर का साम्हना करता है।

13 ये बातें सुनकर पीलातुस यीशु को बाहर लाया और उस जगह एक चबूतरा था जो इब्रानी में गब्बता कहलाता है, और न्याय आसन पर बैठा।

14 यह फसह की तैयारी का दिन था और छठे घंटे के लगभग था: तब उस ने यहूदियों से कहा, देखो, यही है, तुम्हारा राजा!

15 परन्तु वे चिल्लाए कि ले जा! ले जा! उसे क्रूस पर चढ़ा: पीलातुस ने उन से कहा, क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढ़ाऊं? महायाजकों ने उत्तर दिया, कि कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं।

16 तब उस ने उसे उन के हाथ सौंप दिया ताकि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए॥

17 तब वे यीशु को ले गए। और वह अपना क्रूस उठाए हुए उस स्थान तक बाहर गया, जो खोपड़ी का स्थान कहलाता है और इब्रानी में गुलगुता।

18 वहां उन्होंने उसे और उसके साथ और दो मनुष्यों को क्रूस पर चढ़ाया, एक को इधर और एक को उधर, और बीच में यीशु को।

19 और पीलातुस ने एक दोष-पत्र लिखकर क्रूस पर लगा दिया और उस में यह लिखा हुआ था, यीशु नासरी यहूदियों का राजा।

20 यह दोष-पत्र बहुत यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि वह स्थान जहां यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था नगर के पास था और पत्र इब्रानी और लतीनी और यूनानी में लिखा हुआ था।

21 तब यहूदियों के महायाजकों ने पीलातुस से कहा, यहूदियों का राजा मत लिख परन्तु यह कि “उस ने कहा, मैं यहूदियों का राजा हूं”।

22 पीलातुस ने उत्तर दिया, कि मैं ने जो लिख दिया, वह लिख दिया॥

23 जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सिपाही के लिये एक भाग और कुरता भी लिया, परन्तु कुरता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था: इसलिये उन्होंने आपस में कहा, हम इस को न फाडें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि वह किस का होगा।

24 यह इसलिये हुआ, कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कि उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बांट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली: सो सिपाहियों ने ऐसा ही किया।

25 परन्तु यीशु के क्रूस के पास उस की माता और उस की माता की बहिन मरियम, क्लोपास की पत्नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थी।

26 यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा; हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है।

27 तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया॥

28 इस के बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूं।

29 वहां एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, सो उन्होंने सिरके में भिगोए हुए इस्पंज को जूफे पर रखकर उसके मुंह से लगाया।

30 जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए॥

31 और इसलिये कि वह तैयारी का दिन था, यहूदियों ने पीलातुस से बिनती की कि उन की टांगे तोड़ दी जाएं और वे उतारे जाएं ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें, क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था।

32 सो सिपाहियों ने आकर पहिले की टांगें तोड़ीं तब दूसरे की भी, जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे।

33 परन्तु जब यीशु के पास आकर देखा कि वह मर चुका है, तो उस की टांगें न तोड़ीं।

34 परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उस में से तुरन्त लोहू और पानी निकला।

35 जिस ने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उस की गवाही सच्ची है; और वह जानता है, कि सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो।

36 ये बातें इसलिये हुईं कि पवित्र शास्त्र की यह बात पूरी हो कि उस की कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी।

37 फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, कि जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे॥

38 इन बातों के बाद अरमतियाह के यूसुफ ने, जो यीशु का चेला था, ( परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था), पीलातुस से बिनती की, कि मैं यीशु की लोथ को ले जाऊं, और पीलातुस ने उस की बिनती सुनी, और वह आकर उस की लोथ ले गया।

39 निकुदेमुस भी जो पहिले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया।

40 तब उन्होंने यीशु की लोथ को लिया और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध द्रव्य के साथ कफन में लपेटा।

41 उस स्थान पर जहां यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक बारी थी; और उस बारी में एक नई कब्र थी; जिस में कभी कोई न रखा गया था।

42 सो यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण, उन्होंने यीशु को उसी में रखा, क्योंकि वह कब्र निकट थी॥

 यूहन्ना - अध्याय 20

1 सप्ताह के पहिले दिन मरियम मगदलीनी भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई, और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा।

2 तब वह दौड़ी और शमौन पतरस और उस दूसरे चेले के पास जिस से यीशु प्रेम रखता था आकर कहा, वे प्रभु को कब्र में से निकाल ले गए हैं; और हम नहीं जानतीं, कि उसे कहां रख दिया है।

3 तब पतरस और वह दूसरा चेला निकलकर कब्र की ओर चले।

4 और दोनों साथ साथ दौड़ रहे थे, परन्तु दूसरा चेला पतरस से आगे बढ़कर कब्र पर पहिले पहुंचा।

5 और झुककर कपड़े पड़े देखे: तौभी वह भीतर न गया।

6 तब शमौन पतरस उसके पीछे पीछे पहुंचा और कब्र के भीतर गया और कपड़े पड़े देखे।

7 और वह अंगोछा जो उसके सिर से बन्धा हुआ था, कपड़ों के साथ पड़ा हुआ नहीं परन्तु अलग एक जगह लपेटा हुआ देखा।

8 तब दूसरा चेला भी जो कब्र पर पहिले पहुंचा था, भीतर गया और देखकर विश्वास किया।

9 वे तो अब तक पवित्र शास्त्र की वह बात न समझते थे, कि उसे मरे हुओं में से जी उठना होगा।

10 तब ये चेले अपने घर लौट गए।

11 परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोते रोते कब्र की ओर झुककर,

12 दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी।

13 उन्होंने उस से कहा, हे नारी, तू क्यों रोती है? उस ने उन से कहा, वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती कि उसे कहां रखा है।

14 यह कहकर वह पीछे फिरी और यीशु को खड़े देखा और न पहचाना कि यह यीशु है।

15 यीशु ने उस से कहा, हे नारी तू क्यों रोती है? किस को ढूंढ़ती है? उस ने माली समझकर उस से कहा, हे महाराज, यदि तू ने उसे उठा लिया है तो मुझ से कह कि उसे कहां रखा है और मैं उसे ले जाऊंगी।

16 यीशु ने उस से कहा, मरियम! उस ने पीछे फिरकर उस से इब्रानी में कहा, रब्बूनी अर्थात हे गुरू।

17 यीशु ने उस से कहा, मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के पास जाकर उन से कह दे, कि मैं अपने पिता, और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं।

18 मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया, कि मैं ने प्रभु को देखा और उस ने मुझ से ये बातें कहीं॥

19 उसी दिन जो सप्ताह का पहिला दिन था, सन्ध्या के समय जब वहां के द्वार जहां चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले।

20 और यह कहकर उस ने अपना हाथ और अपना पंजर उन को दिखाए: तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए।

21 यीशु ने फिर उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूं।

22 यह कहकर उस ने उन पर फूंका और उन से कहा, पवित्र आत्मा लो।

23 जिन के पाप तुम क्षमा करो वे उन के लिये क्षमा किए गए हैं जिन के तुम रखो, वे रखे गए हैं॥

24 परन्तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तो उन के साथ न था।

25 जब और चेले उस से कहने लगे कि हम ने प्रभु को देखा है: तब उस ने उन से कहा, जब तक मैं उस के हाथों में कीलों के छेद न देख लूं, और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं, और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूं, तब तक मैं प्रतीति नहीं करूंगा॥

26 आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था, और द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा, तुम्हें शान्ति मिले।

27 तब उस ने थोमा से कहा, अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।

28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!

29 यीशु ने उस से कहा, तू ने तो मुझे देखकर विश्वास किया है, धन्य वे हैं जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया॥

30 यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के साम्हने दिखाए, जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए।

31 परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ॥

 यूहन्ना - अध्याय 21

1 इन बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियास झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया और इस रीति से प्रगट किया।

2 शमौन पतरस और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, और गलील के काना नगर का नतनएल और जब्दी के पुत्र, और उसके चेलों में से दो और जन इकट्ठे थे।

3 शमौन पतरस ने उन से कहा, मैं मछली पकड़ने को जाता हूं: उन्होंने उस से कहा, हम भी तेरे साथ चलते हैं: सो वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा।

4 भोर होते ही यीशु किनारे पर खड़ा हुआ; तौभी चेलों ने न पहचाना कि यह यीशु है।

5 तब यीशु ने उन से कहा, हे बाल को, क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है? उन्होंने उत्तर दिया कि नहीं।

6 उस ने उन से कहा, नाव की दाहनी ओर जाल डालो, तो पाओगे, तब उन्होंने जाल डाला, और अब मछिलयों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके।

7 इसलिये उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, यह तो प्रभु है: शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा।

8 परन्तु और चेले डोंगी पर मछिलयों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, कोई दो सौ हाथ पर थे।

9 जब किनारे पर उतरे, तो उन्होंने कोएले की आग, और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी।

10 यीशु ने उन से कहा, जो मछिलयां तुम ने अभी पकड़ी हैं, उन में से कुछ लाओ।

11 शमौन पतरस ने डोंगी पर चढ़कर एक सौ तिर्पन बड़ी मछिलयों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा, और इतनी मछिलयां होने से भी जाल न फटा।

12 यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है।

13 यीशु आया, और रोटी लेकर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी।

14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए॥

15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा।

16 उस ने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर।

17 उस ने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उस ने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा।

18 मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा।

19 उस ने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले।

20 पतरस ने फिरकर उस चेले को पीछे आते देखा, जिस से यीशु प्रेम रखता था, और जिस ने भोजन के समय उस की छाती की और झुककर पूछा हे प्रभु, तेरा पकड़वाने वाला कौन है?

21 उसे देखकर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, इस का क्या हाल होगा?

22 यीशु ने उस से कहा, यदि मैं चाहूं कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या? तू मेरे पीछे हो ले।

23 इसलिये भाइयों में यह बात फैल गई, कि वह चेला न मरेगा; तौभी यीशु ने उस से यह नहीं कहा, कि यह न मरेगा, परन्तु यह कि यदि मैं चाहूं कि यह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे इस से क्या?

24 यह वही चेला है, जो इन बातों की गवाही देता है और जिस ने इन बातों को लिखा है और हम जानते हैं, कि उस की गवाही सच्ची है।

25 और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूं, कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे जगत में भी न समातीं॥

 

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