पवित्र बाइबिल - Hindi Holy Bible

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 यशायाह - अध्याय 23

1 सोर के विषय भारी वचन। हे तर्शीश के जहाजों हाय, हाय, करो; क्योंकि वह उजड़ गया; वहां न तो कोई घर और न कोई शरण का स्थान है! यह बात उन को कित्तियों के देश में से प्रगट की गई है।

2 हे समुद्र के तीर के रहने वालों, जिन को समुद्र के पार जाने वाले सीदोनी व्यापारियों ने धन से भर दिया है, चुप रहो!

3 शीहोर का अन्न, और नील नदी के पास की उपज महासागर के मार्ग से उसको मिलती थी, क्योंकि वह और जातियों के लिये व्यापार का स्थान था।

4 हे सीदोन, लज्जित हो, क्योंकि समुद्र ने अर्थात समुद्र के दृढ़ स्थान ने यह कहा है, मैं ने न तो कभी जन्माने की पीड़ा जानी और न बालक को जन्म दिया, और न बेटों को पाला और न बेटियों को पोसा है।

5 जब सोर का समाचार मिस्र में पहुंचे, तब वे सुन कर संकट में पड़ेंगे।

6 हे समुद्र के तीर के रहने वालों हाय, हाय, करो! पार हो कर तर्शीश को जाओ।

7 क्या यह तुम्हारी प्रसन्नता से भरी हुई नगरी है जो प्राचीनकाल से बसी थी, जिसके पांव उसे बसने को दूर ले जाते थे?

8 सोर जो राजाओं की गद्दी पर बैठाती थी, जिसके व्योपारी हाकिम थे, और जिसके महाजन पृथ्वी भर में प्रतिष्ठित थे, उसके विरुद्ध किस ने ऐसी युक्ति की है?

9 सेनाओं के यहोवा ही ने ऐसी युक्ति की है कि समस्त गौरव के घमण्ड को तुच्छ कर दे और पृथ्वी के प्रतिष्ठितों का अपमान करवाए।

10 हे तर्शीश के निवासियों नील नदी की नाईं अपने देश में फैल जाओ; अब कुछ बन्धन नहीं रहा।

11 उसने अपना हाथ समुद्र पर बढ़ाकर राज्यों को हिला दिया है; यहोवा ने कनान के दृढ़ किलों के नाश करने की आज्ञा दी है।

12 और उसने कहा है, हे सीदोन, हे भ्रष्ट की हुई कुमारी, तू फिर प्रसन्न होने की नहीं; उठ, पार हो कर कित्तियों के पास जा, परन्तु वहां भी तुझे चैन न मिलेगा॥

13 कसदियों के देश को देखो, वह जाति अब न रही; अश्शूर ने उस देश को जंगली जन्तुओं का स्थान बनाया। उन्होंने अपने गुम्मट उठाए और राजभवनों को ढ़ा दिया, और उसको खण्डहर कर दिया।

14 हे तर्शीश के जहाजों, हाय, हाय, करो, क्योंकि तुम्हारा दृढ़ स्थान उजड़ गया है।

15 उस समय एक राजा के दिनों के अनुसार सत्तर वर्ष तक सोर बिसरा हुआ रहेगा। सत्तर वर्ष के बीतने पर सोर वेश्या की नाईं गीत गाने लगेगा।

16 हे बिसरी हुई वेश्या, वीणा ले कर नगर में घूम, भली भांति बजा, बहुत गीत गा, जिस से लोग फिर तुझे याद करें।

17 सत्तर वर्ष के बीतने पर यहोवा सोर की सुधि लेगा, और वह फिर छिनाले की कमाई पर मन लगा कर धरती भर के सब राज्यों के संग छिनाला करेगी।

18 उसके व्यापार की प्राप्ति, और उसके छिनाले की कमाई, यहोवा के लिये पवित्र की जाएगी; वह न भण्डार में रखी जाएगी न संचय की जाएगी, क्योंकि उसके व्यापार की प्राप्ति उन्हीं के काम में आएगी जो यहोवा के साम्हने रहा करेंगे, कि उन को भरपूर भोजन और चमकीला वस्त्र मिले॥

 यशायाह - अध्याय 24

1 सुनो, यहोवा पृथ्वी को निर्जन और सुनसान करने पर है, वह उसको उलटकर उसके रहने वालों को तितर बितर करेग।

2 और जैसी यजमान की वैसी याजक की; जैसी दास की वैसी स्वामी की; जैसी दासी की वैसी स्वामिनी की; जैसी लेने वाले की वैसी बेचने वाले की; जैसी उधार देने वाले की वैसी उधार लेने वाले की; जैसी ब्याज लेने वाले की वैसी ब्याज देने वाले की; सभों की एक ही दशा होगी।

3 पृथ्वी शून्य और सत्यानाश हो जाएगी; क्योंकि यहोवा ही ने यह कहा है॥

4 पृथ्वी विलाप करेगी और मुर्झाएगी, जगत कुम्हलाएगा और मुर्झा जाएगा; पृथ्वी के महान लोग भी कुम्हला जाएंगे।

5 पृथ्वी अपने रहने वालों के कारण अशुद्ध हो गई है, क्योंकि उन्होंने व्यवस्था का उल्लंघन किया और विधि को पलट डाला, और सनातन वाचा को तोड़ दिया है।

6 इस कारण पृथ्वी को शाप ग्रसेगा और उस में रहने वाले दोषी ठहरेंगे; और इसी कारण पृथ्वी के निवासी भस्म होंगे और थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।

7 नया दाखमधु जाता रहेगा, दाखलता मुर्झा जाएगी, और जितने मन में आनन्द करते हैं सब लम्बी लम्बी सांस लेंगे।

8 डफ का सुखदाई शब्द बन्द हो जाएगा, प्रसन्न होने वालों का कोलाहल जाता रहेगा, वीणा का सुखदाई शब्द शान्त हो जाएगा।

9 वे गाकर फिर दाखमधु न पीएंगे; पीने वाले को मदिरा कड़ुवी लगेगी।

10 गड़बड़ी मचाने वाली नगरी नाश होगी, उसका हर एक घर ऐसा बन्द किया जाएगा कि कोई पैठ न सकेगा।

11 सड़कों में लोग दाखमधु के लिये चिल्लाएंगे; आनन्द मिट जाएगा: देश का सारा हर्ष जाता रहेगा।

12 नगर उजाड़ ही उजाड़ रहेगा, और उसके फाटक तोड़ कर नाश किए जाएंगे।

13 क्योंकि पृथ्वी पर देश देश के लोगों में ऐसा होगा जैसा कि जलपाइयों के झाड़ने के समय, वा दाख तोड़ने के बाद कोई कोई फल रह जाते हैं॥

14 वे लोग गला खोल कर जयजयकार करेंगे, और यहोवा के महात्म्य को देख कर समुद्र से ललकारेंगे।

15 इस कारण पूर्व में यहोवा की महिमा करो, और समुद्र के द्वीपों में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का गुणानुवाद करो।

16 पृथ्वी की छोर से हमें ऐसे गीत की ध्वनि सुन पड़ती है, कि धर्मी की महिमा और बड़ाई हो। परन्तु मैं ने कहा, हाय, हाय! मैं नाश हो गया, नाश! क्योंकि विश्वासघाती विश्वासघात करते, वे बड़ा ही विश्वासघात करते हैं॥

17 हे पृथ्वी के रहने वालों तुम्हारे लिये भय और गड़हा और फन्दा है!

18 जो कोई भय के शब्द से भागे वह गड़हे में गिरेगा, और जो कोई गड़हे में से निकले वह फन्दे में फंसेगा। क्योंकि आकाश के झरोखे खुल जाएंगे, और पृथ्वी की नेव डोल उठेगी। पृथ्वी अत्यन्त कम्पायमान होगी।

19 वह मतवाले की नाईं बहुत डगमगाएगी

20 और मचान की नाईं डोलेगी; वह अपने पाप के बोझ से दब कर गिरेगी और फिर न उठेगी॥

21 उस समय ऐसा होगा कि यहोवा आकाश की सेना को आकाश में और पृथ्वी के राजाओं को पृथ्वी ही पर दण्ड देगा।

22 वे बंधुओं की नाईं गड़हे में इकट्ठे किए जाएंगे और बन्दीगृह में बन्द किए जाएंगे; और बहुत दिनों के बाद उनकी सुधि ली जाएगी।

23 तब चन्द्रमा संकुचित हो जाएगा और सूर्य लज्जित होगा; क्योंकि सेनाओं का यहोवा सिय्योन पर्वत पर और यरूशलेम में अपनी प्रजा के पुरनियों के साम्हने प्रताप के साथ राज्य करेगा॥

 यशायाह - अध्याय 25

1 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू ने आश्चर्यकर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियां की हैं।

2 तू ने नगर को डीह, और उस गढ़ वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को ऐसा उजाड़ा कि वह नगर नहीं रहा; वह फिर कभी बसाया न जाएगा।

3 इस कारण बलवन्त राज्य के लोग तेरी महिमा करेंगे; भयंकर अन्यजातियों के नगरों में तेरा भय माना जाएगा।

4 क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रोंके लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।

5 जैसे निर्जल देश में बादल की छाया से तपन ठण्डी होती है वैसे ही तू परदेशियों का कोलाहल और क्रूर लोगों को जयजयकार बन्द करता है॥

6 सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा।

7 और जो पर्दा सब देशों के लोगों पर पड़ा है, जो घूंघट सब अन्यजातियों पर लटका हुआ है, उसे वह इसी पर्वत पर नाश करेगा।

8 वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है॥

9 और उस समय यह कहा जाएगा, देखो, हमारा परमेश्वर यही है; हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उस से उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।

10 क्योंकि इस पर्वत पर यहोवा का हाथ सर्वदा बना रहेगा और मोआब अपने ही स्थान में ऐसा लताड़ा जाएगा जैसा घूरे में पुआल लताड़ा जाता है।

11 और वह उस में अपने हाथ इस प्रकार फैलाएगा, जैसे कोई तैरते हुए फैलाए; परन्तु वह उसके गर्व को तोड़ेगा; और उसकी चतुराई को निष्फल कर देगा।

12 और उसकी ऊंची ऊंची और दृढ़ शहरपनाहों को वह झुकाएगा और नीचा करेगा, वरन भूमि पर गिराकर मिट्टी में मिला देगा॥

 यशायाह - अध्याय 26

1 उस समय यहूदा देश में यह गीत गाया जाएगा, हमारा एक दृढ़ नगर है; उद्धार का काम देने के लिये वह उसकी शहरपनाह और गढ़ को नियुक्त करता है।

2 फाटकों को खोलो कि सच्चाई का पालन करने वाली एक धर्मी जाति प्रवेश करे।

3 जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।

4 यहोवा पर सदा भरोसा रख, क्योंकि प्रभु यहोवा सनातन चट्टान है।

5 वह ऊंचे पद वाले को झुका देता, जो नगर ऊंचे पर बसा है उसको वह नीचे कर देता। वह उसको भूमि पर गिराकर मिट्टी में मिला देता है।

6 वह पांवों से, वरन दरिद्रों के पैरों से रौंदा जाएगा॥

7 धर्मी का मार्ग सच्चाई है; तू जो स्वयं सच्चाई है, तू धर्मी की अगुवाई करता है।

8 हे यहोवा, तेरे न्याय के मार्ग में हम लोग तेरी बाट जोहते आए हैं; तेरे नाम के स्मरण की हमारे प्राणों में लालसा बनी रहती है।

9 रात के समय मैं जी से तरी लालसा करता हूं, मेरा सम्पूर्ण मन से यत्न के साथ तुझे ढूंढ़ता है। क्योंकि जब तेरे न्याय के काम पृथ्वी पर प्रगट होते हैं, तब जगत के रहने वाले धर्म की सीखते हैं।

10 दुष्ट पर चाहे दया भी की जाए तौभी वह धर्म को न सीखेगा; धर्मराज्य में भी वह कुटिलता करेगा, और यहोवा को महात्म्य उसे सूझ न पड़ेगा॥

11 हे यहोवा, तेरा हाथ बढ़ा हुआ है, पर वे नहीं देखते। परन्तु वे जानेंगे कि तुझे प्रजा के लिये कैसी जलन है, और लजाएंगे।

12 तेरे बैरी आग से भस्म होंगे। हे यहोवा, तू हमारे लिये शान्ति ठहराएगा, हम ने जो कुछ किया है उसे तू ही ने हमारे लिये किया है।

13 हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तेरे सिवाय और स्वामी भी हम पर प्रभुता करते थे, परन्तु तेरी कृपा से हम केवल तेरे ही नाम का गुणानुवाद करेंगे।

14 वे मर गए हैं, फिर कभी जीवित नहीं होंगे; उन को मरे बहुत दिन हुए, वे फिर नहीं उठने के; तू ने उनका विचार कर के उन को ऐसा नाश किया कि वे फिर स्मरण में न आएंगे।

15 परन्तु तू ने जाति को बढ़ाया; हे यहोवा, तू ने जाति को बढ़ाया है; तू ने अपनी महिमा दिखाई है और उस देश के सब सिवानों को तू ने बढ़ाया है॥

16 हे यहोवा, दु:ख में वे तुझे स्मरण करते थे, जब तू उन्हें ताड़ना देता था तब वे दबे स्वर से अपने मन की बात तुझ पर प्रगट करते थे।

17 जैसे गर्भवती स्त्री जनने के समय ऐंठती और पीड़ों के कारण चिल्ला उठती है, हम लोग भी, हे यहोवा, तेरे साम्हने वैसे ही हो गए हैं।

18 हम भी गर्भवती हुए, हम भी ऐंठें, हम ने मानो वायु ही को जन्म दिया। हम ने देश के लिये कोई उद्धार का काम नहीं किया, और न जगत के रहने वाले उत्पन्न हुए।

19 तेरे मरे हुए लोग जीवित होंगे, मुर्दे उठ खड़े होंगे। हे मिट्टी में बसने वालो, जाग कर जयजयकार करो! क्योंकि तेरी ओस ज्योति से उत्पन्न होती है, और पृथ्वी मुर्दों को लौटा देगी॥

20 हे मेरे लोगों, आओ, अपनी अपनी कोठरी में प्रवेश कर के किवाड़ों को बन्द करो; थोड़ी देर तक जब तक क्रोध शान्त न हो तब तक अपने को छिपा रखो।

21 क्योंकि देखो, यहोवा पृथ्वी निवासियों अधर्म का दण्ड देने के लिये अपने स्थान से चला आता है, और पृथ्वी अपना खून प्रगट करेगी और घात किए हुओं को और अधिक न छिपा रखेगी॥

 यशायाह - अध्याय 27

1 उस समय यहोवा अपनी कड़ी, बड़ी, और पोड़ तलवार से लिव्यातान नाम वेग और टेढ़े चलने वाले सर्प को दण्ड देगा, और जो अजगर समुद्र में रहता है उसको भी घात करेगा॥

2 उस समय एक सुन्दर दाख की बारी होगी, तुम उसका यश गाना!

3 मैं यहोवा उसकी रक्षा करता हूं; मैं झण झण उसको सींचता रहूंगा। ऐसा न हो कि कोई उसकी हानि करे।

4 मेरे मन में जलजलाहट नहीं है। यदि कोई भांति भांति के कटीले पेड़ मुझ से लड़ने को खड़े करता, तो मैं उन पर पांव बढ़ाकर उन को पूरी रीति से भस्म कर देता।

5 वा मेरे साथ मेल करने को वे मेरी शरण लें, वे मेरे साथ मेल कर लें॥

6 भविष्य में याकूब जड़ पकड़ेगा, और इस्राएल फूले-फलेगा, और उसके फलों से जगत भर जाएगा॥

7 क्या उसने उसे मारा जैसा उसने उसके मारने वालों को मारा था? क्या वह घात किया गया जैसे उसके घात किए हुए घात हुए?

8 जब तू ने उसे निकाला, तब सोच-विचार कर उसको दु:ख दिया: उसे ने पुरवाई के दिन उसको प्रचण्ड वायु से उड़ा दिया है।

9 इस से याकूब के अधर्म का प्रायश्चित किया जाएगा और उसके पाप के दूर होने का प्रतिफल यह होगा कि वे वेदी के सब पत्थरों को चूना बनाने के पत्थरों के समान चकनाचूर करेंगे, और अशेरा और सूर्य की प्रतिमाएं फिर खड़ी न रहेंगी।

10 क्योंकि गढ़वाला नगर निर्जन हुआ है, वह छोड़ी हुई बस्ती के समान निर्जन और जंगल हो गया है; वहां बछड़े चरेंगे और वहीं बैठेंगे, और पेड़ों की डालियों की फुनगी को खा लेंगे।

11 जब उसकी शाखाएं सूख जाएं तब तोड़ी जाएंगी; और स्त्रियां आकर उन को तोड़ कर जला देंगी। क्योंकि ये लोग निर्बुद्धि हैं; इसलिये उनका कर्ता उन पर दया न करेगा, और उनका रचने वाला उन पर अनुग्रह न करेगा॥

12 उस समय यहोवा महानद से ले कर मिस्र के नाले तक अपने अन्न को फटकेगा, और हे इस्राएलियों तुम एक एक कर के इकट्ठे किए जाओगे।

13 उस समय बड़ा नरसिंगा फूंका जाएगा, और जो अश्शूर देश में नाश हो रहे थे और जो मिस्र देश में बरबस बसाए हुए थे वे यरूशलेम में आकर पवित्र पर्वत पर यहोवा को दण्डवत करेंगे॥

 यशायाह - अध्याय 28

1 घमण्ड के मुकुट पर हाय! जो एप्रैम के मतवालों का है, और उनकी भड़कीली सुन्दरता पर जो मुर्झानेवाला फूल है, जो अति उपजाऊ तराई के सिरे पर दाखमधु से मतवालों की है।

2 देखो, प्रभु के पास एक बलवन्त और सामर्थी है जो ओले की वर्षा वा उजाड़ने वाली आंधी या बाढ़ की प्रचण्ड धार की नाईं है वह उसको कठोरता से भूमि पर गिरा देगा।

3 एप्रैमी मत वालों के घमण्ड का मुकुट पांव से लताड़ा जाएगा;

4 और उनकी भड़कीली सुन्दरता का मुर्झानेवाला फूल जो अति उपजाऊ तराई के सिरे पर है, वह ग्रीष्मकाल से पहिले पके अंजीर के समान होगा, जिसे देखने वाला देखते ही हाथ में ले और निगल जाए॥

5 उस समय सेनाओं का यहोवा स्वयं अपनी प्रजा के बचे हुओं के लिये सुन्दर और प्रतापी मुकुट ठहरेगा;

6 और जो न्याय करने को बैठते हैं उनके लिये न्याय करने वाली आत्मा और जो चढ़ाई करते हुए शत्रुओं को नगर के फाटक से हटा देते हैं, उनके लिये वह बल ठहरेगा॥

7 ये भी दाखमधु के कारण डगमगाते और मदिरा से लड़खड़ाते हैं; याजक और नबी भी मदिरा के कारण डगमगाते हैं, दाखमधु ने उन को भुला दिया है, वे मदिरा के कारण लड़खड़ाते और दर्शन पाते हुए भटक जाते, और न्याय में भूल करते हैं।

8 क्योंकि सब भोजन आसन वमन और मल से भरे हैं, कोई शुद्ध स्थान नहीं बचा॥

9 वह किस को ज्ञान सिखाएगा, और किस को अपने समाचार का अर्थ समझाएगा? क्या उन को जो दूध छुड़ाए हुए और स्तन से अलगाए हुए हैं? क्योंकि आज्ञा पर आज्ञा, आज्ञा पर आज्ञा,

10 नियम पर नियम, नियम पर नियम थोड़ा यहां, थोड़ा वहां॥

11 वह तो इन लोगों से परदेशी होंठों और विदेशी भाषा वालों के द्वारा बातें करेगा;

12 जिन से उसने कहा, विश्राम इसी से मिलेगा; इसी के द्वारा थके हुए को विश्राम दो; परन्तु उन्होंने सुनना न चाहा।

13 इसलिये यहोवा का वचन उनके पास आज्ञा पर आज्ञा, आज्ञा पर आज्ञा, नियम पर नियम, नियम पर नियम है, थोड़ा यहां, थोड़ा वहां, जिस से वे ठोकर खाकर चित्त गिरें और घायल हो जाएं, और फंदे में फंस कर पकड़े जाएं॥

14 इस कारण हे ठट्ठा करने वालो, यरूशलेमवासी प्रजा के हाकिमों, यहोवा का वचन सुनो!

15 तुम ने कहा है कि हम ने मृत्यु से वाचा बान्धी और अधोलोक से प्रतिज्ञा कराई है; इस कारण विपत्ति जब बाढ़ की नाईं बढ़ आए तब हमारे पास न आएगी; क्योंकि हम ने झूठ की शरण ली और मिथ्या की आड़ में छिपे हुए हैं।

16 इसलिये प्रभु यहोवा यों कहता है, देखो, मैं ने सिय्योन में नेव का पत्थर रखा है, एक परखा हुआ पत्थर, कोने का अनमोल और अति दृढ़ नेव के योग्य पत्थर: और जो कोई विश्वास रखे वह उतावली न करेगा।

17 और मैं न्याय को डोरी और धर्म को साहुल ठहराऊंगा; और तुम्हारा झूठ का शरणस्थान ओलों से बह जाएगा, और तुम्हारे छिपने का स्थान जल से डूब जाएगा।

18 तब जो वाचा तुम ने मृत्यु से बान्धी है वह टूट जाएगी, और जो प्रतिज्ञा तुम ने अधोलोक से कराई वह न ठहरेगी; जब विपत्ति बाढ़ की नाईं बढ़ आए, तब तुम उस में डूब ही जाओगे।

19 जब जब वह बढ़ आए, तब तब वह तुम को ले जाएगी; वह प्रति दिन वरन रात दिन बढ़ा करेंगी; और इस समाचार का सुनना ही व्याकुल होने का कारण होगा।

20 क्योंकि बिछौना टांग फैलाने के लिये छोटा, और ओढ़ना ओढ़ने के लिये सकरा है॥

21 क्योंकि यहोवा ऐसा उठ खड़ा होगा जैसा वह पराजीम नाम पर्वत पर खड़ा हुआ और जैसा गिबोन की तराई में उसने क्रोध दिखाया था; वह अब फिर क्रोध दिखाएगा, जिस से वह अपना काम करे, जो अचम्भित काम है, और वह कार्य करे जो अनोखा है।

22 इसलिये अब तुम ठट्ठा मत करो, नहीं तो तुम्हारे बन्धन कसे जाएंगे; क्योंकि मैं ने सेनाओं के प्रभु यहोवा से यह सुना है कि सारे देश का सत्यानाश ठाना गया है॥

23 कान लगाकर मेरी सुनो, ध्यान धरकर मेरा वचन सुनो।

24 क्या हल जोतने वाला बीज बोने के लिये लगातार जोतता रहता है? क्या वह सदा धरती को चीरता और हेंगाता रहता है?

25 क्या वह उसको चौरस कर के सौंफ को नहीं छितराता, जीरे को नहीं बखेरता और गेहूं को पांति पांति कर के और जव को उसके निज स्थान पर, और कठिये गेहूं को खेत की छोर पर नहीं बोता?

26 क्योंकि उसका परमेश्वर उसको ठीक ठीक काम करना सिखलाता और बतलाता है॥

27 दांवने की गाड़ी से तो सौंफ दाई नहीं जाती, और गाड़ी का पहिया जीरे के ऊपर नहीं चलाया जाता; परन्तु सौंफ छड़ी से, और जीरा सोंटें से झाड़ा जाता है।

28 रोटी के अन्न पर दायें की जाती है, परन्तु कोई उसको सदा दांवता नहीं रहता; और न गाड़ी के पहिये न घोड़े उस पर चलाता है, वह उसे चूर चूर नहीं करता।

29 यह भी सेनाओं के यहोवा की ओर से नियुक्त हुआ है, वह अद्भुत युक्ति वाला और महाबुद्धिमान है॥

 यशायाह - अध्याय 29

1 हाय, अरीएल, अरीएल, हाय उस नगर पर जिस में दाऊद छावनी किए हुए रहा! वर्ष पर वर्ष जाड़ते जाओ, उत्सव के पर्व अपने अपने समय पर मनाते जाओ।

2 तौभी मैं तो अरीएल को सकेती में डालूंगा, वहां रोना पीटना रहेगा, और वह मेरी दृष्टि में सचमुच अरीएल सा ठहरेगा।

3 और मैं चारों ओर तेरे विरुद्ध छावनी कर के तुझे कोटों से घेर लूंगा, और तेरे विरुद्ध गढ़ भी बनाऊंगा।

4 तब तू गिराकर भूमि में डाला जाएगा, और धूल पर से बोलेगा, और तेरी बात भूमि से धीमी धीमी सुनाई देगी; तेरा बोल भूमि पर से प्रेत का सा होगा, और तू धूल से गुनगुनाकर बोलेगा॥

5 तब तेरे परदेशी बैरियों की भीड़ सूक्ष्म धूलि की नाईं, और उन भयानक लोगों की भीड़ भूसे की नाईं उड़ाईं जाएगी।

6 और सेनाओं का यहोवा अचानक बादल गरजाता, भूमि को कम्पाता, और महाध्वनि करता, बवण्डर और आंधी चलाता, और नाश करने वाली अग्नि भड़काता हुआ उसके पास आएगा।

7 और जातियों की सारी भीड़ जो अरीएल से युद्ध करेगी, ओर जितने लोग उसके और उसके गढ़ के विरुद्ध लड़ेंगे और उसको सकेती में डालेंगे, वे सब रात के देखे हुए स्वप्न के समान ठहरेंगे।

8 और जैसा कोई भूखा स्वपन में तो देखता है कि वह खा रहा है, परन्तु जाग कर देखता है कि उसका पेट भूखा ही है, वा कोई प्यासा स्वपन में देखें की वह पी रहा है, परन्तु जाग कर देखता है कि उसका गला सूखा जाता है और वह प्यासा मर रहा है; वैसी ही उन सब जातियों की भीड़ की दशा होगी जो सिय्योन पर्वत से युद्ध करेंगी॥

9 ठहर जाओ और चकित होओ! वे मतवाले तो हैं, परन्तु दाखमधु से नहीं, वे डगमगाते तो हैं, परन्तु मदिरा पीने से नहीं!

10 यहोवा ने तुम को भारी नींद में डाल दिया है और उसने तुम्हारी नबीरूपी आंखों को बन्द कर दिया है और तुम्हारे दर्शीरूपी सिरों पर पर्दा डाला है।

11 इसलिये सारे दर्शन तुम्हारे लिये एक लपेटी और मुहर की हुई पुस्तक की बातों के समान हैं, जिसे कोई पड़े-लिखे मनुष्य को यह कहकर दे, इसे पढ़, और वह कहे, मैं नहीं पढ़ सकता क्योंकि इस पर मुहर की हुई है।

12 तब वही पुस्तक अनपढ़े को यह कह कर दी जाए, इसे पढ़, और वह कहे, मैं तो अनपढ़ हूं॥

13 और प्रभु ने कहा, ये लोग जो मुंह से मेरा आदर करते हुए समीप आते परन्तु अपना मन मुझ से दूर रखते हैं, और जो केवल मनुष्यों की आज्ञा सुन सुनकर मेरा भय मानते हैं।

14 इस कारण सुन, मैं इनके साथ अद्भुत काम वरन अति अद्भुत और अचम्भे का काम करूंगा; तब इनके बुद्धिमानों की बुद्धि नष्ट होगी, और इनके प्रवीणों की प्रवीणता जाती रहेगी॥

15 हाय उन पर जो अपनी युक्ति को यहोवा से छिपाने का बड़ा यत्न करते, और अपने काम अन्धेरे में कर के कहते हैं, हम को कौन देखता है? हम को कौन जानता है?

16 तुम्हारी कैसी उलटी समझ है! क्या कुम्हार मिट्टी के तुल्य गिना जाएगा? क्या बनाई हुई वस्तु अपने कर्त्ता के विषय कहे कि उसने मुझे नहीं बनाया, वा रची हुई वस्तु अपने रचने वाले के विषय कहे, कि वह कुछ समझ नहीं रखता?

17 क्या अब थोड़े ही दिनों के बीतने पर लबानोन फिर फलदाई बारी न बन जाएगा, और फलदाई बारी जंगल न गिनी जाएगी?

18 उस समय बहिरे पुस्तक की बातें सुनने लेगेंगे, और अन्धे जिन्हें अब कुछ नहीं सूझता, वे देखने लेगेंगे।

19 नम्र लोग यहोवा के कारण फिर आनन्दित होंगे, और दरिद्र मनुष्य इस्राएल के पवित्र के कारण मगन होंगे।

20 क्योंकि उपद्रवी फिर न रहेंगे और ठट्ठा करने वालों का अन्त होगा, और जो अनर्थ करने के लिये जागते रहते हैं, जो मनुष्यों को वचन में फंसाते हैं,

21 और जो सभा में उलहना देते उनके लिये फंदा लगाते, और धर्म को व्यर्थ बात के द्वारा बिगाड़ देते हैं, वे सब मिट जाएंगे॥

22 इस कारण इब्राहीम का छुड़ाने वाला यहोवा, याकूब के घराने के विषय यों कहता है, याकूब को फिर लज्जित होना न पड़ेगा, उसका मुख फिर नीचा न होगा।

23 क्योंकि जब उसके सन्तान मेरा काम देखेंगे, जो मैं उनके बीच में करूंगा, तब वे मेरे नाम को पवित्र मानेंगे, और इस्राएल के परमेश्वर का अति भय मानेंगे।

24 उस समय जिनका मन भटका हो वे बुद्धि प्राप्त करेंगे, और जो कुड़कुड़ाते हैं वह शिक्षा ग्रहण करेंगे॥

 यशायाह - अध्याय 30

1 यहोवा की यह वाणी है, हाय उन बलवा करने वाले लड़कों पर जो युक्ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बान्धते परन्तु मेरे आत्मा के सिखाये नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं।

2 वे मुझ से बिन पूछे मिस्र को जाते हैं कि फिरौन की रक्षा में रहे और मिस्र की छाया में शरण लें।

3 इसलिये फिरौन का शरणस्थान तुम्हारी लज्जा का, और मिस्र की छाया में शरण लेना तुम्हारी निन्दा का कारण होगा।

4 उसके हाकिम सोअन में आए तो हैं और उसके दूत अब हानेस में पहुंचे हैं।

5 वे सब एक ऐसी जाति के कारण लज्जित होंगे जिस से उनका कुछ लाभ न होगा, जो सहायता और लाभ के बदले लज्जा और नामधराई का कारण होगी॥

6 दक्खिन देश के पशुओं के विषय भारी वचन। वे अपनी धन सम्पति को जवान गदहों की पीठ पर, और अपने खजानों को ऊंटों के कूबड़ों पर लादे हुए, संकट और सकेती के देश में हो कर, जहां सिंह और सिंहनी, नाग और उड़ने वाले तेज विषधर सर्प रहते हैं, उन लोगों के पास जा रहे हैं जिन से उन को लाभ न होगा।

7 क्योंकि मिस्र की सहायता व्यर्थ और निकम्मी है, इस कारण मैं ने उसको बैठी रहने वाली रहब कहा है॥

8 अब जाकर इस को उनके साम्हने पत्थर पर खोद, और पुस्तक में लिख, कि वह भविष्य के लिये वरन सदा के लिये साक्षी बनी रहे।

9 क्योंकि वे बलवा करने वाले लोग और झूठ बोलने वाले लड़के हैं जो यहोवा की शिक्षा को सुनना नहीं चाहते।

10 वे दशिर्यों से कहते हैं, दर्शी मत बनो; और नबियों से कहते हैं, हमारे लिये ठीक नबूवत मत करो; हम से चिकनी चुपड़ी बातें बोलो, धोखा देने वाली नबूवत करो।

11 मार्ग से मुड़ो, पथ से हटो, और इस्राएल के पवित्र को हमारे साम्हने से दूर करो।

12 इस कारण इस्राएल का पवित्र यों कहता है, तुम लोग जो मेरे इस वचन को निकम्मा जानते और अन्धेर और कुटिलता पर भरोसा कर के उन्हीं पर टेक लगाते हो;

13 इस कारण यह अधर्म तुम्हारे लिये ऊंची भीत का टूटा हुआ भाग होगा जो फटकर गिरने पर हो, और वह अचानक पल भर में टूटकर गिर पड़ेगा,

14 और कुम्हार के बर्तन की नाईं फूट कर ऐसा चकनाचूर होगा कि उसके टुकड़ों का एक ठीकरा भी न मिलेगा जिस से अंगेठी में से आग ली जाए वा हौद में से जल निकाला जाए॥

15 प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहते और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है। परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया,

16 तुम ने कहा, नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़ कर भागेंगे, इसलिये तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करने वाले उस से भी तेज होंगे।

17 एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भागोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिये गाड़े जाते हैं।

18 तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं॥

19 हे सिय्योन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा।

20 और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे।

21 और जब कभी तुम दाहिनी वा बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो।

22 तब तुम वह चान्दी जिस से तुम्हारी खुदी हुई मूत्तियां मढ़ी हैं, और वह सोना जिस से तुम्हारी ढली हुई मूत्तियां आभूषित हैं, अशुद्ध करोगे। तुम उन को मैले कुचैले वस्त्र की नाईं फेंक दोगे और कहोगे, दूर हो।

23 और वह तुम्हारे लिये जल बरसाएगा कि तुम खेत में बीज बो सको, और भूमि की उपज भी उत्तम और बहुतायत से होगी। उस समय तुम्हारे जानवरों को लम्बी-चौड़ी चराई मिलेगी।

24 और बैल और गदहे जो तुम्हारी खेती के काम में आएंगे, वे सूप और डलिया से फटका हुआ स्वादिष्ट चारा खाएंगे।

25 और उस महासंहार के समय जब गुम्मट गिर पड़ेंगे, सब ऊंचे ऊंचे पहाड़ों और पहाडिय़ों पर नालियां और सोते पाए जाएंगे।

26 उस समय यहोवा अपनी प्रजा के लोगों का घाव बान्धेगा और उनकी चोट चंगा करेगा; तब चन्द्रमा का प्रकाश सूर्य का सा, और सूर्य का प्रकाश सातगुना होगा, अर्थात अठवारे भर का प्रकाश एक दिन में होगा॥

27 देखो, यहोवा दूर से चला आता है, उसका प्रकोप भड़क उठा है, और धूएं का बादल उठ रहा है; उसके होंठ क्रोध से भरे हुए और उसकी जीभ भस्म करने वाली आग के समान है।

28 उसकी सांस ऐसी उमण्डनेवाली नदी के समान है जो गले तक पहुंचती है; वह सब जातियों को नाश के सूप से फटकेगा, और देश देश के लोगों को भटकाने के लिये उनके जभड़ों में लगाम लगाएगा॥

29 तब तुम पवित्र पर्व की रात का सा गीत गाओगे, और जैसा लोग यहोवा के पर्वत की ओर उस से मिलने को, जो इस्राएल की चट्टान है, बांसुली बजाते हुए जाते हैं, वैसे ही तुम्हारे मन में भी आनन्द होगा।

30 और यहोवा अपनी प्रतापीवाणी सुनाएगा, और अपना क्रोध भड़काता और आग की लौ से भस्म करता हुआ, और प्रचण्ड आन्धी और अति वर्षा और ओलों के साथ अपना भुजबल दिखाएगा।

31 अश्शूर यहोवा के शब्द की शक्ति से नाश हो जाएगा, वह उसे सोंटे से मारेगा।

32 और जब जब यहोवा उसको दण्ड देगा, तब तब साथ ही डफ और वीणा बजेंगी; और वह हाथ बढ़ा कर उसको लगातार मारता रहेगा।

33 बहुत काल से तोपेत तैयार किया गया है, वह राजा ही के लिये ठहराया गया है, वह लम्बा चौड़ा और गहिरा भी बनाया गया है, वहां की चिता में आग और बहुत सी लकड़ी हैं; यहोवा की सांस जलती हुई गन्धक की धारा की नाईं उसको सुलगाएगी॥

 यशायाह - अध्याय 31

1 हाय उन पर जो सहायता पाने के लिये मिस्र को जाते हैं और घोड़ों का आसरा करते हैं; जो रथों पर भरोसा रखते क्योंकि वे बहुत हैं, और सवारों पर, क्योंकि वे अति बलवान हैं, पर इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं!

2 परन्तु वह भी बुद्धिमान है और दु:ख देगा, वह अपने वचन न टालेगा, परन्तु उठ कर कुकमिर्यों के घराने पर और अनर्थकारियों के सहायकों पर भी चढ़ाई करेगा।

3 मिस्री लोग ईश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, मांस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहायता करने वाले और सहायता चाहने वाले दोनों ठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएंगे।

4 फिर यहोवा ने मुझ से यों कहा, जिस प्रकार सिंह वा जवान सिंह जब अपने अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे हो कर उसके विरुद्ध बड़ी भीड़ लगाएं, तौभी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा।

5 पंख फैलाई हुई चिडिय़ों की नाईं सेनाओं का यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेगा; वह उसकी रक्षा कर के बचाएगा, और उसको बिन छूए ही उद्धार करेगा॥

6 हे इस्राएलियों, जिसके विरुद्ध तुम ने भारी बलवा किया है, उसी की ओर फिरो।

7 उस समय तुम लोग सोने चान्दी की अपनी अपनी मूतिर्यों से जिन्हें तुम बनाकर पापी हो गए हो घृणा करोगे।

8 तब अश्शूर उस तलवार से गिराया जाएगा जो मनुष्य की नहीं; वह उस तलवार का कौर हो जाएगा जो आदमी की नहीं; और वह तलवार के साम्हने से भागेगा और उसके जवान बेगार में पकड़े जाएंगे।

9 वह भय के मारे अपने सुन्दर भवन से जाता रहेगा, और उसके हाकिम घबराहट के कारण ध्वजा त्याग कर भाग जाएंगे, यहोवा जिस की अग्नि सिय्योन में और जिसका भट्ठा यरूशेलम में हैं, उसी की यह वाणी है॥

 यशायाह - अध्याय 32

1 देखो, एक राजा धर्म से राज्य करेगा, और राजकुमार न्याय से हुकूमत करेंगे।

2 हर एक मानो आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ होगा; या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया।

3 उस समय देखने वालों की आंखें धुंधली न होंगी, और सुनने वालों के कान लगे रहेंगे।

4 उतावलों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, और तुतलाने वालों की जीभ फुर्ती से और साफ बोलेगी।

5 मूढ़ फिर उदार न कहलाएगा और न कंजूस दानी कहा जाएगा।

6 क्योंकि मूढ़ तो मूढ़ता ही की बातें बोलता और मन में अनर्थ ही गढ़ता रहता है कि वह बिन भक्ति के काम करे और यहोवा के विरुद्ध झूठ कहे, भूखे को भूखा ही रहने दे और प्यासे का जल रोक रखे।

7 छली की चालें बुरी होती हैं, वह दुष्ट युक्तियां निकालता है कि दरिद्र को भी झूठी बातों में लूटे जब कि वे ठीक और नम्रता से भी बोलते हों।

8 परन्तु उदार मनुष्य उदारता ही की युक्तियां निकालता है, वह उदारता में स्थिर भी रहेगा॥

9 हे सुखी स्त्रियों, उठ कर मेरी सुनो; हे निश्चिन्त पुत्रियों, मेरे वचन की ओर कान लगाओ।

10 हे निश्चिन्त स्त्रियों, वर्ष भर से कुछ ही अधिक समय में तुम विकल हो जाओगी; क्योंकि तोड़ने को दाखें न होंगी और न किसी भांति के फल हाथ लगेंगे।

11 हे सुखी स्त्रियों, थरथराओ, हे निश्चिन्त स्त्रियों, विकल हो; अपने अपने वस्त्र उतार कर अपनी अपनी कमर में टाट कसो।

12 वे मनभाऊ खेतों और फलवन्त दाखलताओं के लिये छाती पीटेंगी।

13 मेरे लोगों के वरन प्रसन्न नगर के सब हर्ष भरे घरों में भी भांति भांति के कटीले पेड़ उपजेंगे।

14 क्योंकि राजभवन त्यागा जाएगा, कोलाहल से भरा नगर सुनसान हो जाएगा और पहाड़ी और उन पर के पहरूओं के घर सदा के लिये मांदे और जंगली गदहों को विहारस्थान और घरैलू पशुओं की चराई उस समय तक बने रहेंगे

15 जब तक आत्मा ऊपर से हम पर उण्डेला न जाए, और जंगल फलदायक बारी न बने, और फलदायक बारी फिर वन न गिनी जाए।

16 तब उस जंगल में न्याय बसेगा, और उस फलदायक बारी में धर्म रहेगा।

17 और धर्म का फल शांति और उसका परिणाम सदा का चैन और निश्चिन्त रहना होगा।

18 मेरे लोग शान्ति के स्थानों में निश्चिन्त रहेंगे, और विश्राम के स्थानों में सुख से रहेंगे।

19 और वन के विनाश के समय ओले गिरेंगे, और नगर पूरी रीति से चौपट हो जाएगा।

20 क्या ही धन्य हो तुम जो सब जलाशयों के पास बीज बोते, और बैलों और गदहों को स्वतन्त्रता से चराते हो॥

 यशायाह - अध्याय 33

1 हाथ तुझ नाश करने वाले पर जो नाश नहीं किया गया था; हाथ तुझ विश्वासघाती पर, जिसके साथ विश्वासघात नहीं किया गया! जब तू नाश कर चुके, तब तू नाश किया जाएगा; और जब तू विश्वासघात कर चुके, तब तेरे साथ विश्वासघात किया जाएगा॥

2 हे यहोवा, हम लोगों पर अनुग्रह कर; हम तेरी ही बाट जोहते हैं। भोर को तू उनका भुजबल, संकट के समय हमारा उद्धारकर्त्ता ठहर।

3 हुल्लड़ सुनते ही देश देश के लोग भाग गए, तेरे उठने पर अन्यजातियां तित्तर-बित्तर हुई।

4 और जैसे टिड्डियां चट करती हैं वैसे ही तुम्हारी लूट चट की जाएगी, और जैसे टिड्डियां टूट पड़ती हैं, वैसे ही वे उस पर टूट पड़ेंगे॥

5 यहोवा महान हुआ है, वह ऊंचे पर रहता है; उसने सिय्योन को न्याय और धर्म से परिपूर्ण किया है;

6 और उद्धार, बुद्धि और ज्ञान की बहुतायत तेरे दिनों का आधार होगी; यहोवा का भय उसका धन होगा॥

7 देख, उनके शूरवीर बाहर चिल्ला रहे हैं; संधि के दूत बिलक बिलककर रो रहे हैं।

8 राजमार्ग सुनसान पड़े हैं, उन पर बटोही अब नहीं चलते। उसने वाचा को टाल दिया, नगरों को तुच्छ जाना, उसने मनुष्य को कुछ न समझा।

9 पृथ्वी विलाप करती और मुर्झा गई है; लबानोन कुम्हला गया और उस पर सियाही छा गई है; शारोन मरूभूमि के समान हो गया; बाशान और कर्मेल में पतझड़ हो रहा है॥

10 यहोवा कहता है, अब मैं उठूंगा, मैं अपना प्रताप दिखाऊंगा; अब मैं महान ठहरूंगा।

11 तुम में सूखी घास का गर्भ रहेगा, तुम से भूसी उत्पन्न होगी; तुम्हारी सांस आग है जो तुम्हें भस्म करेगी।

12 देश देश के लोग फूंके हुए चूने के सामान हो जाएंगे, और कटे हुए कटीले पेड़ों की नाईं आग में जलाए जाएंगे॥

13 हे दूर दूर के लोगों, सुनो कि मैं ने क्या किया है? और तुम भी जो निकट हो, मेरा पराक्रम जान लो।

14 सिय्योन के पापी थरथरा गए हैं: भक्तिहीनों को कंपकंपी लगी है: हम में से कौन प्रचण्ड आग में रह सकता? हम में से कौन उस आग में बना रह सकता है जो कभी नहीं बुझेगी?

15 जो धर्म से चलता और सीधी बातें बोलता; जो अन्धेर के लाभ से घृणा करता, जो घूस नहीं लेता; जो खून की बात सुनने से कान बन्द करता, और बुराई देखने से आंख मूंद लेता है। वही ऊंचे स्थानों में निवास करेगा।

16 वह चट्टानों के गढ़ों में शरण लिए हुए रहेगा; उसको रोटी मिलेगी और पानी की घटी कभी न होगी॥

17 तू अपनी आंखों से राजा को उसकी शोभा सहित देखेगा; और लम्बे चौड़े देश पर दृष्टि करेगा।

18 तू भय के दिनों को स्मरण करेगा: लेखा लेने वाला और कर तौल कर लेने वाला कहां रहा? गुम्मटों का गिनने वाला कहां रहा?

19 जिनकी कठिन भाषा तू नहीं समझता, और जिनकी लड़बड़ाती जीभ की बात तू नहीं बूझ सकता उन निर्दय लोगों को तू फिर न देखेगा।

20 हमारे पर्व के नगर सिय्योन पर दृष्टि कर! तू अपनी आंखों से यरूशेलम को देखेगा, वह विश्राम का स्थान, और ऐसा तम्बू है जो कभी गिराया नहीं जाएगा, जिसका कोई खूंटा कभी उखाड़ा न जाएगा, और न कोई रस्सी कभी टूटेगी।

21 वहां महाप्रतापी यहोवा हमारे लिये रहेगा, वह बहुत बड़ी बड़ी नदियों और नहरों का स्थान होगा, जिस में डांड़वाली नाव न चलेगी और न शोभायमान जहाज उस में हो कर जाएगा।

22 क्योंकि यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है; वही हमारा उद्धार करेगा॥

23 तेरी रस्सियां ढीली हो गईं, वे मस्तूल की जड़ को दृढ़ न रख सकीं, और न पाल को तान सकीं॥ तब बड़ी लूट छीनकर बांटी गई, लंगड़े लोग भी लूट के भागी हुए।

24 कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं; और जो लाग उस में बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा॥

 यशायाह - अध्याय 34

1 हे जाति जाति के लोगों, सुनने के लिये निकट आओ, और हे राज्य राज्य के लोगों, ध्यान से सुनो! पृथ्वी भी, और जो कुछ उस में है, जगत और जो कुछ उस में उत्पन्न होता है, सब सुनो।

2 यहोवा सब जातियों पर क्रोध कर रहा है, और उनकी सारी सेना पर उसकी जलजलाहट भड़की हुई है, उसने उन को सत्यानाश होने, और संहार होने को छोड़ दिया है।

3 उनके मारे हुए फेंक दिये जाएंगे, और उनकी लोथों की दुर्गन्ध उठेगी; उनके लोहू से पहाड़ गल जाएंगे।

4 आकाश के सारे गण जाते रहेंगे और आकाश कागज की नाईं लपेटा जाएगा। और जैसे दाखलता वा अंजीर के वृक्ष के पत्ते मुर्झाकर गिर जाते हैं, वैसे ही उसके सारे गण धुंधले हो कर जाते रहेंगे॥

5 क्योंकि मेरी तलवार आकाश में पीकर तृप्त हुई है; देखो, वह न्याय करने को एदोम पर, और जिन पर मेरा शाप है उन पर पड़ेगी।

6 यहोवा की तलवार लोहू से भर गई है, वह चर्बी से और भेड़ों के बच्चों और बकरों के लोहू से, और मेढ़ों के गुर्दों की चर्बी से तृप्त हुई है। क्योंकि बोस्रा नगर में यहोवा का एक यज्ञ और एदोम देश में बड़ा संहार हुआ है।

7 उनके संग जंगली सांढ़ और बछड़े और बैल वध होंगे, और उनकी भूमि लोहू से भीग जाएगी और वहां की मिट्टी चर्बी से अघा जाएगी॥

8 क्योंकि पलटा लेने को यहोवा का एक दिन और सिय्योन का मुकद्दमा चुकाने का एक वर्ष नियुक्त है।

9 और एदोम की नदियां राल से और उसकी मिट्टी गन्धक से बदल जाएगी; उसकी भूमि जलती हुई राल बन जाएगी।

10 वह रात-दिन न बुझेगी; उसका धूंआ सदैव उठता रहेगा। युग युग वह उजाड़ पड़ा रहेगा; कोई उस में से हो कर कभी न चलेगा।

11 उस में धनेशपक्षी और साही पाए जाएंगे और वह उल्लू और कौवे का बसेरा होगा। वह उस पर गड़बड़ की डोरी और सुनसानी का साहूल तानेगा।

12 वहां न तो रईस होंगे और न ऐसा कोई होगा जो राज्य करने को ठहराया जाए; उसके सब हाकिमों का अन्त होगा॥

13 उसके महलों में कटीले पेड़, गढ़ों में बिच्छू पौधे और झाड़ उगेंगे। वह गीदड़ों का वासस्थान और शुतुर्मुगों का आंगन हो जाएगा।

14 वहां निर्जल देश के जन्तु सियारों के संग मिलकर बसेंगे और रोंआर जन्तु एक दूसरे को बुलाएंगे; वहां लीलीत नाम जन्तु वासस्थान पाकर चैन से रहेगा॥

15 वहां उड़ने वाली सांपिन का बिल होगा; वे अण्डे देकर उन्हें सेवेंगी और अपनी छाया में बटोर लेंगी; वहां गिद्ध अपनी साथिन के साथ इकट्ठे रहेंगे।

16 यहोवा की पुस्तक से ढूंढ़कर पढ़ो इन में से एक भी बात बिना पूरा हुए न रहेगी; कोई बिना जोड़ा न रहेगा। क्योंकि मैं ने अपने मुंह से यह आज्ञा दी है और उसी की आत्मा ने उन्हें इकट्ठा किया है।

17 उसी ने उनके लिये चिट्ठी डाली, उसी ने अपने हाथ से डोरी डालकर उस दंश को उनके लिये बांट दिया है; वह सर्वदा उनका ही बना रहेगा और वे पीढ़ी से पीढ़ी तब उस में बसे रहेंगे॥

 यशायाह - अध्याय 35

1 जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरूभूमि मगन हो कर केसर की नाईं फूलेगी;

2 वह अत्यन्त प्रफुल्लित होगी और आनन्द के साथ जयजयकार करेगी। उसकी शोभा लबानोन की सी होगी और वह कर्मेल और शारोन के तुल्य तेजोमय हो जाएगी। वे यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्वर का तेज देखेंगे॥

3 ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो।

4 घबराने वालों से कहो, हियाव बान्धो, मत डरो! देखो, तुम्हारा परमेश्वर पलटा लेने और प्रतिफल देने को आ रहा है। हां, परमेश्वर आकर तुम्हारा उद्धार करेगा॥

5 तब अन्धों की आंखे खोली जाएंगी और बहिरों के कान भी खोले जाएंगे;

6 तब लंगड़ा हरिण की सी चौकडिय़ां भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे। क्योंकि जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरूभूमि में नदियां बहने लगेंगी

7 मृगतृष्णा ताल बन जाएगी और सूखी भूमि में सोते फूटेंगे; और जिस स्थान में सियार बैठा करते हैं उस में घास और नरकट और सरकण्डे होंगे॥

8 और वहां एक सड़क अर्थात राजमार्ग होगा, उसका नाम पवित्र मार्ग होगा; कोई अशुद्ध जन उस पर से न चलने पाएगा; वह तो उन्हीं के लिये रहेगा और उस मार्ग पर जो चलेंगे वह चाहे मूर्ख भी हों तौभी कभी न भटकेंगे।

9 वहां सिंह न होगा ओर न कोई हिंसक जन्तु उस पर न चढ़ेगा न वहां पाया जाएगा, परन्तु छुड़ाए हुए उस में नित चलेंगे।

10 और यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा॥

 यशायाह - अध्याय 36

1 हिजकिय्याह राजा के चौदहवें वर्ष में, अश्शूर के राजा सन्हेरीब ने यहूदा के सब गढ़ वाले नगरों पर चढ़ाई कर के उन को ले लिया।

2 और अश्शूर के राजा ने रबशाके को बड़ी सेना देकर लाकीश से यरूशलेम के पास हिजकिय्याह राजा के विरुद्ध भेज दिया। और वह उत्तरी पोखरे की नाली के पास धोबियों के खेत की सड़क पर जा कर खड़ा हुआ।

3 तब हिल्किय्याह का पुत्र एल्याकीम जो राजघराने के काम पर नियुक्त था, और शेब्ना जो मन्त्री था, और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लेखक था, ये तीनों उससे मिलने को बाहर निकल गए॥

4 रबशाके ने उन से कहा, हिजकिय्याह से कहो, महाराजाधिराज अश्शूर का राजा यों कहता है कि तू किसका भरोसा किए बैठा है?

5 मेरा कहना है कि क्या मुंह से बातें बनाना ही युद्ध के लिये पराक्रम और युक्ति है? तू किस पर भरोसा रखता है कि तू ने मुझ से बलवा किया है?

6 सुन, तू तो उस कुचले हुए नरकट अर्थात मिस्र पर भरोसा रखता है; उस पर यदि कोई टेक लगाए तो वह उसके हाथ में चुभकर छेद कर देगा। मिस्र का राजा फिरौन उन सब के साथ ऐसा ही करता है जो उस पर भरोसा रखते हैं।

7 फिर यदि तू मुझ से कहे, हमारा भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है, तो क्या वह वही नहीं है जिसके ऊंचे स्थानों और वेदियों को ढा कर हिजकिय्याह ने यहूदा और यरूशलेम के लोगों से कहा कि तुम इस वेदी के साम्हने दण्डवत किया करो?

8 इसलिये अब मेरे स्वामी अश्शूर के राजा के साथ वाचा बान्ध तब मैं तुझे दो हजार घोड़े दूंगा यदि तू उन पर सवार चढ़ा सके।

9 फिर तू रथों और सवारों के लिये मिस्र पर भरोसा रखकर मेरे स्वामी के छोटे से छोटे कर्मचारी को भी कैसे हटा सकेगा?

10 क्या मैं ने यहोवा के बिना कहे इस देश को उजाड़ने के लिये चढ़ाई की है? यहोवा ने मुझ से कहा है, उस देश पर चढ़ाई कर के उसे उजाड़ दे॥

11 तब एल्याकीम, शेब्ना और योआह ने रबशाके से कहा, अपने दासों से अरामी भाषा में बात कर क्योंकि हम उसे समझते हैं; हम से यहूदी भाषा में शहरपनाह पर बैठे हुए लोगों के सुनते बातें न कर।

12 रबशाके ने कहा, क्या मेरे स्वामी ने मुझे तेरे स्वामी ही के वा तुम्हारे ही पास ये बातें कहने को भेजा है? क्या उसने मुझे उन लोगों के पास नहीं भेजा जो शहरपनाह पर बैठे हैं जिन्हें तुम्हारे संग अपनी विष्ठा खाना और अपना मूत्र पीना पड़ेगा?

13 तब रबशाके ने खड़े हो कर यहूदी भाषा में ऊंचे शब्द से कहा, महाराजाधिराज अश्शूर के राजा की बातें सुनो!

14 राजा यों कहता है, हिजकिय्याह तुम को धोखा न दे, क्योंकि वह तुम्हें बचा न सकेगा।

15 ऐसा न हो कि हिजकिय्याह तुम से यह कहकर भुलवा दे कि यहोवा निश्चय हम को बचाएगा कि यह नगर अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।

16 हिजकिय्याह की मत सुनो; अश्शूर का राजा कहता है, भेंट भेज कर मुझे प्रसन्न करो और मेरे पास निकल आओ; तब तुम अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष के फल खा पाओगे, और अपने अपने कुण्ड का पानी पिया करोगे;

17 जब तक मैं आकर तुम को ऐसे देश में न ले जाऊं जो तुम्हारे देश के समान अनाज और नये दाखमधु का देश और रोटी और दाख की बारियों का देश है।

18 ऐसा न हो कि हिजकिय्याह यह कहकर तुम को बहकाए कि यहोवा हम को बचाएगा। क्या और जातियों के देवताओं ने अपने अपने देश को अश्शूर के राजा के हाथ से बचाया है?

19 हमात और अर्पाद के देवता कहां रहे? सपर्वैम के देवता कहां रहे? क्या उन्होंने शोमरोन को मेरे हाथ से बचाया?

20 देश देश के देवतओं में से ऐसा कौन है जिसने अपने देश को मेरे हाथ से बचाया हो? फिर क्या यहोवा यरूशलेम को मेरे हाथ से बचाएगा?

21 परन्तु वे चुप रहे और उसके उत्तर में एक बात भी न कही, क्योंकि राजा की ऐसी आज्ञा थी कि उसको उत्तर न देना।

22 तब हिल्किय्याह का पुत्र एल्याकीम जो राजघराने के काम पर नियुक्त था और शेब्ना जो मन्त्री था और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लेखक था, इन्होंने हिजकिय्याह के पास वस्त्र फाड़े हुए जा कर रबशाके की बातें कह सुनाईं॥

 यशायाह - अध्याय 37

1 जब हिजकिय्याह राजा ने यह सुना, तब वह अपने वस्त्र फाड़ और टाट ओढ़ कर यहोवा के भवन में गया।

2 और उसने एल्याकीम को जो राजघराने के काम पर नियुक्त था और शेब्ना मन्त्री को और याजकों के पुरनियों को जो सब टाट ओढ़े हुए थे, आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेज दिया।

3 उन्होंने उस से कहा, हिजकिय्याह यों कहता है कि आज का दिन संकट और उलहने और निन्दा का दिन है, बच्चे जन्मने पर हुए पर जच्चा को जनने का बल न रहा।

4 सम्भव है कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने रबशाके की बातें सुनी जिसे उसके स्वामी अश्शूर के राजा ने जीवते परमेश्वर की निन्दा करने को भेजा है, और जो बातें तेरे परमेश्वर यहोवा ने सुनी हैं उन्हें दपटे; सो तू इन बचे हुओं के लिये जो रह गए हैं, प्रार्थना कर॥

5 जब हिजकिय्याह राजा के कर्मचारी यशायाह के पास आए।

6 तब यशायाह ने उन से कहा, अपने स्वामी से कहो, यहोवा यों कहता है कि जो वचन तू ने सुने हैं जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों में मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर।

7 सुन, मैं उसके मन में प्रेरणा करूंगा जिस से वह कुछ समचार सुनकर अपने देश को लौट जाए; और मैं उसको उसी देश में तलवार से मरवा डालूंगा॥

8 तब रबशाके ने लौटकर अश्शूर के राजा को लिब्ना नगर से युद्ध करते पाया; क्योंकि उसने सुना था कि वह लाकीश के पास से उठ गया है।

9 उसने कूश के राजा तिर्हाका के विषय यह सुना कि वह उस से लड़ने को निकला है। तब उसने हिजकिय्याह के पास दूतों को यह कहकर भेजा।

10 कि तुम यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यों कहना, तेरा परमेश्वर जिस पर तू भरोसा करता है, यह कहकर तुझे धोखा न देने पाए कि यरूशलेम अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।

11 देख, तू ने सुना है कि अश्शूर के राजाओं ने सब देशों से कैसा व्यवहार किया कि उन्हें सत्यानाश ही कर दिया।

12 फिर क्या तू बच जाएगा? गोज़ान और हारान और रेसेप में रहने वाली जिन जातियों को और तलस्सार में रहने वाले एदेनी लोगों को मेरे पुरखाओं ने नाश किया, क्या उनके देवताओं ने उन्हें बचा लिया?

13 हमात का राजा, अर्पाद का राजा, सपर्वैम नगर का राजा, और हेना और इव्वा के राजा, ये सब कहां गए?

14 इस पत्री को हिजकिय्याह ने दूतों के हाथ से ले कर पढ़ा; तब उसने यहोवा के भवन में जा कर उस पत्री को यहोवा के साम्हने फैला दिया।

15 और यहोवा से यह प्रार्थना की,

16 हे सेनाओं के यहोवा, हे करूबों पर विराजमान इस्राएल के परमेश्वर, पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही परमेश्वर है; आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है।

17 हे यहोवा, कान लगाकर सुन; यहोवा आंख खोल कर देख; और सन्हेरीब के सब वचनों को सुन ले, जिसने जीवते परमेश्वर की निन्दा करने को लिख भेजा है।

18 हे यहोवा, सच तो है कि अश्शूर के राजाओं ने सब जातियों के देशों को उजाड़ा है

19 और उनके देवताओं को आग में झोंका है; क्योंकि वे ईश्वर न थे, वे केवल मनुष्यों की कारीगरी, काठ और पत्थर ही थे; इस कारण वे उन को नाश कर सके।

20 अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू हमें उसके हाथ से बचा जिस से पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है॥

21 तब आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह कहला भेजा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, तू ने जो अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विषय में मुझ से प्रार्थना की है,

22 उसके विषय यहोवा ने यह वचन कहा है, सिय्योन की कुमारी कन्या तुझे तुच्छ जानती है और ठट्ठोंमें उड़ाती है; यरूशलेम की पुत्री तुझ पर सिर हिलाती है॥

23 तू ने किस की नामधराई और निन्दा की है? और तू जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड किया है, वह किस के विरुद्ध किया है? इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध!

24 अपने कर्मचारियों के द्वारा तू ने प्रभु की निन्दा कर के कहा है कि बहुत से रथ ले कर मैं पर्वतों की चोटियों पर वरन लबानोन के बीच तक चढ़ आया हूं; मैं उसके ऊंचे ऊंचे देवदारों और अच्छे अच्छे सनौबरों को काट डालूंगा और उसके दूर दूर के ऊंचे स्थानों में और उसके वन की फलदाई बारियों में प्रवेश करूंगा।

25 मैं ने खुदवा कर पानी पिया और मिस्र की नहरों में पांव धरते ही उन्हें सुखा दिया।

26 क्या तू ने नहीं सुना कि प्राचीनकाल से मैं ने यही ठाना और पूर्वकाल से इसकी तैयारी की थी? इसलिये अब मैं ने यह पूरा भी किया है कि तू गढ़ वाले नगरों को खण्डहर की खण्डहर कर दे।

27 इसी कारण उनके रहने वालों का बल घट गया और वे विस्मित और लज्जित हुए: वे मैदान के छोटे छोटे पेड़ों और हरी घास और छत पर की घास और ऐसे अनाज के समान हो गए जो बढ़ने से पहिले ही सूख जाता है॥

28 मैं तो तेरा बैठना, कूच करना और लौट आना जानता हूं; और यह भी कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता है।

29 इस कारण कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में पड़ी हैं, मैं तेरी नाक में नकेल डालकर और तेरे मुंह में अपनी लगाम लगाकर जिस मार्ग से तू आया है उसी मार्ग से तुझे लौटा दूंगा॥

30 और तेरे लिये यह चिन्ह होगा कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगे, और दूसरे वर्ष वह जो उस से उत्पन्न हो, और तीसरे वर्ष बीज बोकर उसे लवने पाओगे और दाख की बारियां लगाने और उनका फल खाने पाओगे।

31 और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे और फूलें-फलेंगे;

32 क्योंकि यरूशलेम से बचे हुए और सिय्योन पर्वत से भागे हुए लोग निकलेंगे। सेनाओं का यहोवा अपनी जलन के कारण यह काम करेगा॥

33 इसलिये यहोवा अश्शूर के राजा कि विषय यों कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा; और न वह ढाल ले कर इसके साम्हने आने वा इसके विरुद्ध दमदमा बान्धने पाएगा।

34 जिस मार्ग से वह आया है उसी से वह लौट भी जाएगा और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है।

35 क्योंकि मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त, इस नगर की रक्षा कर के उसे बचाऊंगा॥

36 तब यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरूषों को मारा; और भोर को जब लोग सवेरे उठे तब क्या देखा कि लोथ ही लोथ पड़ी हैं।

37 तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया और लौटकर नीनवे में रहने लगा।

38 वहां वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में दण्डवत कर रहा था कि इतने में उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शरेसेन ने उसको तलवार से मारा और अरारात देश में भाग गए। और उसका पुत्र एसर्हद्दोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा॥

 यशायाह - अध्याय 38

1 उन दिनों में हिजकिय्याह ऐसा रोगी हुआ कि वह मरने पर था। और आमोस के पुत्र यशायाह नबी ने उसके पास जा कर कहा, यहोवा यों कहता है, अपने घराने के विषय जो आज्ञा देनी हो वह दे, क्योंकि तू न बचेगा मर ही जाएगा।

2 तब हिजकिय्याह ने भीत की ओर मुंह फेर कर यहोवा से प्रार्थना कर के कहा;

3 हे यहोवा, मैं बिनती करता हूं, स्मरण कर कि मैं सच्चाई और खरे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर चलता आया हूं और जो तेरी दृष्टि में उचित था वही करता आया हूं। और हिजकिय्याह बिलक बिलककर रोने लगा।

4 तब यहोवा का यह वचन यशायाह के पास पहुंचा,

5 जा कर हिजकिय्याह से कह कि तेरे मूलपुरूष दाऊद का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, मैं ने तेरी प्रार्थना सुनी और तेरे आंसू देखे हैं; सुन, मैं तेरी आयु पन्द्रह वर्ष और बढ़ा दूंगा।

6 अश्शूर के राजा के हाथ से मैं तेरी और इस नगर की रक्षा कर के बचाऊंगा॥

7 यहोवा अपने इस कहे हुए वचन को पूरा करेगा,

8 और यहोवा की ओर से इस बात का तेरे लिये यह चिन्ह होगा कि धूप की छाया जो आहाज की धूपघड़ी में ढल गई है, मैं दस अंश पीछे की ओर लौटा दूंगा। सो वह छाया जो दस अंश ढल चुकी थी लौट गई॥

9 यहूदा के राजा हिजकिय्याह का लेख जो उसने लिखा जब वह रोगी हो कर चंगा हो गया था, वह यह है:

10 मैं ने कहा, अपनी आयु के बीच ही मैं अधोलोक के फाटकों में प्रवेश करूंगा; क्योंकि मेरी शेष आयु हर ली गई है।

11 मैं ने कहा, मैं याह को जीवितों की भूमि में फिर न देखने पाऊंगा; इस लोक के निवासियों मैं फिर न देखूंगा।

12 मेरा घर चरवाहे के तम्बू की नाईं उठा लिया गया है; मैं ने जोलाहे की नाईं अपने जीवन को लपेट दिया है; वह मुझे तांत से काट लेगा; एक ही दिन में तू मेरा अन्त कर डालेगा।

13 मैं भोर तक अपने मन को शान्त करता रहा; वह सिंह की नाईं मेरी सब हड्डियों को तोड़ता है; एक ही दिन में तू मेरा अन्त कर डालता है।

14 मैं सूपाबेने वा सारस की नाईं च्यूं च्यूं करता, मैं पिण्डुक की नाईं विलाप करता हूं। मेरी आंखें ऊपर देखते देखते पत्थरा गई हैं। हे यहोवा, मुझ पर अन्धेर हो रहा है; तू मेरा सहारा हो!

15 मैं क्या कहूं? उसी ने मुझ से प्रतिज्ञा की और पूरा भी किया है। मैं जीवन भर कडुआहट के साथ धीरे धीरे चलता रहूंगा॥

16 हे प्रभु, इन्हीं बातों से लोग जीवित हैं, और इन सभों से मेरी आत्मा को जीवन मिलता है। तू मुझे चंगा कर और मुझे जीवित रख!

17 देख, शान्ति ही के लिये मुझे बड़ी कडुआहट मिली; परन्तु तू ने स्नेह कर के मुझे विनाश के गड़हे से निकाला है, क्योंकि मेरे सब पापों को तू ने अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया है।

18 क्योंकि अधोलोक तेरा धन्यवाद नहीं कर सकता, न मृत्यु तेरी स्तुति कर सकती है; जो कबर में पड़ें वे तेरी सच्चाई की आशा नहीं रख सकते

19 जीवित, हाँ जीवित ही तेरा धन्यवाद करता है, जैसा मैं आज कर रहा हूं; पिता तेरी सच्चाई का समाचार पुत्रों को देता है॥

20 यहोवा मेरा उद्धार करेगा, इसलिये हम जीवन भर यहोवा के भवन में तार वाले बाजों पर अपने रचे हुए गीत गातें रहेंगे॥

21 यशायाह ने कहा था, अंजीरों की एक टिकिया बना कर हिजकिय्याह के फोड़े पर बान्धी जाए, तब वह बचेगा।

22 और हिजकिय्याह ने पूछा था कि इसका क्या चिन्ह है कि मैं यहोवा के भवन को फिर जाने पाऊंगा?

 यशायाह - अध्याय 39

1 उस समय बलदान का पुत्र मरोदक बलदान, जो बाबुल का राजा था, उसने हिजकिय्याह के रोगी होने और फिर चंगे हो जाने की चर्चा सुनकर उसके पास पत्री और भेंट भेजी।

2 इन से हिजकिय्याह ने प्रसन्न हो कर अपने अनमोल पदार्थों का भण्डार और चान्दी, सोना, सुगन्ध द्रव्य, उत्तम तेल ओर भण्डारों में जो जो वस्तुएं थी, वे सब उन को दिखलाईं। हिजकिय्याह के भवन और राज्य भर में कोई ऐसी वस्तु नहीं रह गई जो उसने उन्हें न दिखाई हो।

3 तब यशायाह नबी ने हिजकिय्याह राजा के पास जा कर पूछा, वे मनुष्य क्या कह गए? और वे कहां से तेरे पास आए थे? हिजकिय्याह ने कहा, वे तो दूर देश से अर्थात बाबुल से मेरे पास आए थे।

4 फिर उसने पूछा, तेरे भवन में उन्होंने क्या क्या देखा है? हिजकिय्याह ने कहा, जो कुछ मेरे भवन में है वह सब उन्होंने देखे है; मेरे भण्डारों में कोई ऐसी वस्तु नहीं जो मैं ने उन्हें न दिखाई हो॥

5 तब यशायाह ने हिजकिय्याह से कहा, सेनाओं के यहोवा का यह वचन सुन ले:

6 ऐसे दिन आने वाले हैं, जिन में जो कुछ तेरे भवन में है और जो कुछ आज के दिन तक तेरे पुरखाओं का रखा हुआ तेरे भण्डारों में हैं, वह सब बाबुल को उठ जाएगा; यहोवा यह कहता है कि कोई वस्तु न बचेगी।

7 और जो पुत्र तेरे वंश में उत्पन्न हों, उन में से भी कितनों को वे बंधुआई में ले जाएंगे; और वह खोजे बनकर बाबुल के राजभवन में रहेंगे।

8 हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, यहोवा का वचन जो तू ने कहा है वह भला ही है। फिर उसने कहा, मेरे दिनों में तो शान्ति और सच्चाई बनी रहेगी॥

 यशायाह - अध्याय 40

1 तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है, मेरी प्रजा को शान्ति दो, शान्ति!

2 यरूशलेम से शान्ति की बातें कहो; और उस से पुकार कर कहो कि तेरी कठिन सेवा पूरी हुई है, तेरे अधर्म का दण्ड अंगीकार किया गया है: यहोवा के हाथ से तू अपने सब पापों का दूना दण्ड पा चुका है॥

3 किसी की पुकार सुनाई देती है, जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो।

4 हर एक तराई भर दी जाए और हर एक पहाड़ और पहाड़ी गिरा दी जाए; जो टेढ़ा है वह सीधा और जो ऊंचा नीचा है वह चौरस किया जाए।

5 तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है॥

6 बोलने वाले का वचन सुनाई दिया, प्रचार कर! मैं ने कहा, मैं क्या प्रचार करूं? सब प्राणी घास हैं, उनकी शोभा मैदान के फूल के समान है।

7 जब यहोवा की सांस उस पर चलती है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; नि:सन्देह प्रजा घास है।

8 घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा॥

9 हे सिय्योन को शुभ समचार सुनाने वाली, ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जा; हे यरूशलेम को शुभ समाचार सुनाने वाली, बहुत ऊंचे शब्द से सुना, ऊंचे शब्द से सुना, मत डर; यहूदा के नगरों से कह, अपने परमेश्वर को देखो!

10 देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ दिखाता हुआ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है।

11 वह चरवाहे की नाईं अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे धीरे ले चलेगा॥

12 किस ने महासागर को चुल्लू से मापा और किस के बित्ते से आकाश का नाप हुआ, किस ने पृथ्वी की मिट्टी को नपवे में भरा और पहाड़ों को तराजू में और पहाडिय़ों को कांटे में तौला है?

13 किस ने यहोवा की आत्मा को मार्ग बताया वा उसका मन्त्री हो कर उसको ज्ञान सिखाया है?

14 उसने किस से सम्मति ली और किस ने उसे समझाकर न्याय का पथ बता दिया और ज्ञान सिखा कर बुद्धि का मार्ग जता दिया है?

15 देखो, जातियां तो डोल की एक बून्द वा पलड़ों पर की धूलि के तुल्य ठहरीं; देखो, वह द्वीपों को धूलि के किनकों सरीखे उठाता है।

16 लबानोन भी ईधन के लिये थोड़ा होगा और उस में के जीव-जन्तु होमबलि के लिये बस न होंगे।

17 सारी जातियां उसके साम्हने कुछ नहीं हैं, वे उसकी दृष्टि में लेश और शून्य से भी घट ठहरीं हैं॥

18 तुम ईश्वर को किस के समान बताओगे और उसकी उपमा किस से दोगे?

19 मूरत! कारीगर ढालता है, सोनार उसको सोने से मढ़ता और उसके लिये चान्दी की सांकलें ढाल कर बनाता है।

20 जो कंगाल इतना अर्पण नहीं कर सकता, वह ऐसा वृक्ष चुन लेता है जो न घुने; तब एक निपुण कारीगर ढूंढकर मूरत खुदवाता और उसे ऐसा स्थिर कराता है कि वह हिल न सके॥

21 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? क्या तुम को आरम्भ ही से नहीं बताया गया? क्या तुम ने पृथ्वी की नेव पड़ने के समय ही से विचार नहीं किया?

22 यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है; और पृथ्वी के रहने वाले टिड्डी के तुल्य है; जो आकाश को मलमल की नाईं फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;

23 जो बड़े बड़े हाकिमों को तुच्छ कर देता है, और पृथ्वी के अधिकारियों को शून्य के समान कर देता है॥

24 वे रोपे ही जाते, वे बोए ही जाते, उनके ठूंठ भूमि में जड़ ही पकड़ पाते कि वह उन पर पवन बहाता और वे सूख जाते, और आंधी उन्हें भूसे की नाईं उड़ा ले जाती है॥

25 सो तुम मुझे किस के समान बताओगे कि मैं उसके तुल्य ठहरूं? उस पवित्र का यही वचन है।

26 अपनी आंखें ऊपर उठा कर देखो, किस ने इन को सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले ले कर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उन में के कोई बिना आए नहीं रहता॥

27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता?

28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।

29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है।

30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं;

31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे॥

 यशायाह - अध्याय 41

1 हे द्वीपों, मेरे साम्हने चुप रहो; देश देश के लोग नया बल प्राप्त करें; वे समीप आकर बोलें; हम आपस में न्याय के लिये एक दूसरे के समीप आएं॥

2 किस ने पूर्व दिशा से एक को उभारा है, जिसे वह धर्म के साथ अपने पांव के पास बुलाता है? वह जातियों को उसके वश में कर देता और उसको राजाओं पर अधिकारी ठहराता है; उसकी तलवार वह उन्हें धूल के समान, और उसके धनुष से उड़ाए हुए भूसे के समान कर देता है।

3 वह उन्हें खदेड़ता और ऐसे मार्ग से, जिस पर वह कभी न चला था, बिना रोक टोक आगे बढ़ता है।

4 किस ने यह काम किया है और आदि से पीढिय़ों को बुलाता आया है? मैं यहोवा, जो सब से पहिला, और अन्त के समय रहूंगा; मैं वहीं हूं॥

5 द्वीप देखकर डरते हैं, पृथ्वी के दूर देश कांप उठे और निकट आ गए हैं।

6 वे एक दूसरे की सहायता करते हैं और उन में से एक अपने भाई से कहता है, हियाव बान्ध!

7 बढ़ई सोनार को और हथौड़े से बराबर करने वाला निहाई पर मारने वाले को यह कहकर हियाव बन्धा रहा है, जोड़ तो अच्छी है, सो वह कील ठोंक ठोंककर उसको ऐसा दृढ़ करता है कि वह स्थिर रहे॥

8 हे मेरे दास इस्राएल, हे मेरे चुने हुए याकूब, हे मेरे प्रेमी इब्राहीम के वंश;

9 तू जिसे मैं ने पृथ्वी के दूर दूर देशों से लिया और पृथ्वी की छोर से बुला कर यह कहा, तू मेरा दास है, मैं ने तुझे चुना है और तजा नहीं;

10 मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा॥

11 देख, जो तुझ से क्रोधित हैं, वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से झगड़ते हैं उनके मुंह काले होंगे और वे नाश हो कर मिट जाएंगे।

12 जो तुझ से लड़ते हैं उन्हें ढूंढने पर भी तू न पएगा; जो तुझ से युद्ध करते हैं वे नाश हो कर मिट जाएंगे।

13 क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दहिना हाथ पकड़कर कहूंगा, मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा॥

14 हे कीड़े सरीखे याकूब, हे इस्राएल के मनुष्यों, मत डरो! यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरी सहयता करूंगा; इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ाने वाला है।

15 देख, मैं ने तुझे छुरीवाले दांवने का एक नया और चोखा यन्त्र ठहराया है; तू पहाड़ों को दांय दांयकर सूक्षम धूलि कर देगा, और पहाडिय़ों को तू भूसे के समान कर देगा।

16 तू उन को फटकेगा, और पवन उन्हें उड़ा ले जाएगी, और आंधी उन्हें तितर-बितर कर देगी। परन्तु तू यहोवा के कारण मगन होगा; और इस्राएल के पवित्र के कारण बड़ाई मारेगा॥

17 जब दीन और दरिद्र लोग जल ढूंढ़ने पर भी न पाएं और उनका तालू प्यास के मारे सूख जाए; मैं यहोवा उनकी बिनती सुनूंगा, मैं इस्राएल का परमेश्वर उन को त्याग न दूंगां

18 मैं मुण्डे टीलों से भी नदियां और मैदानों के बीच में सोते बहऊंगा; मैं जंगल को ताल और निर्जल देश को सोते ही सोते कर दूंगा।

19 मैं जंगल में देवदार, बबूल, मेंहदी, और जलपाई उगाऊंगा; मैं अराबा में सनौवर, तिधार वृक्ष, और सीधा सनौबर इकट्ठे लगाऊंगा;

20 जिस से लोग देखकर जान लें, और सोचकर पूरी रीति से समझ लें कि यह यहोवा के हाथ का किया हुआ और इस्राएल के पवित्र का सृजा हुआ है॥

21 यहोवा कहता है, अपना मुकद्दमा लड़ो; याकूब का राजा कहता है, अपने प्रमाण दो।

22 वे उन्हें देकर हम को बताएं कि भविष्य में क्या होगा? पूर्वकाल की घटनाएं बताओ कि आदि में क्या क्या हुआ, जिस से हम उन्हें सोच कर जान सकें कि भविष्य में उनका क्या फल होगा; वा होने वाली घटनाएं हम को सुना दो।

23 भविष्य में जो कुछ घटेगा वह बताओ, तब हम मानेंगे कि तुम ईश्वर हो; भला वा बुरा; कुछ तो करो कि हम देख कर एक चकित हो जाएं।

24 देखो, तुम कुछ नहीं हो, तुम से कुछ नहीं बनता; जो कोई तुम्हें चाहता है वह घृणित है॥

25 मैं ने एक को उत्तर दिशा से उभारा, वह आ भी गया है; वह पूर्व दिशा से है और मेरा नाम लेता है; जैसा कुम्हार गिली मिट्टी को लताड़ता है, वैसा ही वह हाकिमों को कीच के समान लताड़ देगा।

26 किस ने इस बात को पहिले से बताया था, जिस से हम यह जानते? किस ने पूर्वकाल से यह प्रगट किया जिस से हम कहें कि वह सच्चा है? कोई भी बताने वाला नहीं, कोई भी सुनाने वाला नहीं, तुम्हारी बातों का कोई भी सुनाने वाला नहीं है।

27 मैं ही ने पहिले सिय्योन से कहा, देख, उन्हें देख, और मैं ने यरूशलेम को एक शुभ समाचार देने वाला भेजा।

28 मैं ने देखने पर भी किसी को न पाया; उन में से कोई मन्त्री नहीं जो मेरे पूछने पर कुछ उत्तर दे सके।

29 सुनो, उन सभों के काम अनर्थ हैं; उनके काम तुच्छ हैं, और उनकी ढली हुई मूर्तियां वायु और मिथ्या हैं॥

 यशायाह - अध्याय 42

1 मेरे दास को देखो जिसे मैं संभाले हूं, मेरे चुने हुए को, जिस से मेरा जी प्रसन्न है; मैं ने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह अन्यजातियों के लिये न्याय प्रगट करेगा।

2 न वह चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, न सड़क में अपनी वाणी सुनायेगा।

3 कुचले हुए नरकट को वह न तोड़ेगा और न टिमटिमाती बत्ती को बुझाएगा; वह सच्चाई से न्याय चुकाएगा।

4 वह न थकेगा और न हियाव छोड़ेगा जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे; और द्वीपों के लोग उसकी व्यवस्था की बाट जाहेंगे॥

5 ईश्वर जो आकाश का सृजने और तानने वाला है, जो उपज सहित पृथ्वी का फैलाने वाला और उस पर के लोगों को सांस और उस पर के चलने वालों को आत्मा देने वाला यहावो है, वह यों कहता है:

6 मुझ यहोवा ने तुझ को धर्म से बुला लिया है; मैं तेरा हाथ थाम कर तेरी रक्षा करूंगा; मैं तुझे प्रजा के लिये वाचा और जातियों के लिये प्रकाश ठहराऊंगा; कि तू अन्धों की आंखें खोले,

7 बंधुओं को बन्दीगृह से निकाले और जो अन्धियारे में बैठे हैं उन को काल कोठरी से निकाले।

8 मैं यहोवा हूं, मेरा नाम यही है; अपनी महिमा मैं दूसरे को न दूंगा और जो स्तुति मेरे योग्य है वह खुदी हुई मूरतों को न दूंगा।

9 देखो, पहिली बातें तो हो चुकी हैं, अब मैं नई बातें बताता हूं; उनके होने से पहिले मैं तुम को सुनाता हूं॥

10 हे समुद्र पर चलने वालो, हे समुद्र के सब रहने वालो, हे द्वीपो, तुम सब अपने रहने वालो समेत यहोवा के लिये नया गीत गाओ और पृथ्वी की छोर से उसकी स्तुति करो।

11 जंगल और उस में की बस्तियां और केदार के बसे हुए गांव जयजयकार करें; सेला के रहने वाले जयजयकार करें, वे पहाड़ों की चोटियों पर से ऊंचे शब्द से ललकारें।

12 वे यहोवा की महिमा प्रगट करें और द्वीपों में उसका गुणानुवाद करें।

13 यहोवा वीर की नाईं निकलेगा और योद्धा के समान अपनी जलन भड़काएगा, वह ऊंचे शब्द से ललकारेगा और अपने शत्रुओं पर जयवन्त होगा॥

14 बहुत काल से तो मैं चुप रहा और मौन साधे अपने को रोकता रहा; परन्तु अब जच्चा की नाईं चिल्लाऊंगा मैं हांफ हांफकर सांस भरूंगा।

15 पहाड़ों और पहडिय़ों को मैं सुखा डालूंगा और उनकी सब हरियाली झुलसा दूंगा; मैं नदियों को द्वीप कर दूंगा और तालों को सुखा डालूंगा।

16 मैं अन्धों को एक मार्ग से ले चलूंगा जिसे वे नहीं जानते और उन को ऐसे पथों से चलाऊंगा जिन्हें वे नहीं जानते। उनके आगे मैं अन्धियारे को उजियाला करूंगा और टेढ़े मार्गों को सीधा करूंगा। मैं ऐसे ऐसे काम करूंगा और उन को न त्यागूंगा।

17 जो लोग खुदी हुई मूरतों पर भरोसा रखते और ढली हुई मूरतों से कहते हैं कि तुम हमारे ईश्वर हो, उन को पीछे हटना और अत्यन्त लज्जित होना पड़ेगा॥

18 हे बहिरो, सुनो; हे अन्धो, आंख खोलो कि तुम देख सको!

19 मेरे दास के सिवाय कौन अन्धा है? और मेरे भेजे हुए दूत के तुल्य कौन बहिरा है? मेरे मित्र के समान कौन अन्धा था यहोवा के दास के तुल्य अन्धा कौन है?

20 तू बहुत सी बातों पर दृष्टि करता है परन्तु उन्हें देखता नहीं है; कान तो खुले हैं परन्तु सुनता नहीं है॥

21 यहोवा को अपनी धामिर्कता के निमित्त ही यह भाया है कि व्यवस्था की बड़ाई अधिक करे।

22 परन्तु ये लोग लुट गए हैं, ये सब के सब गड़हियों में फंसे हुए और काल कोठरियों में बन्द किए हुए हैं; ये पकड़े गए और कोई इन्हें नहीं छुड़ाता; ये लुट गए और कोई आज्ञा नहीं देता कि फेर दो।

23 तुम में से कौन इस पर कान लगाएगा? कौन ध्यान धर के होनहार के लिये सुनेगा?

24 किस ने याकूब को लुटवाया और इस्राएल को लुटेरों के वश में कर दिया? क्या यहोवा ने यह नहीं किया जिसके विरुद्ध हम ने पाप किया, जिसके मार्गों पर उन्होंने चलना न चाहा और न उसकी व्यवस्था को माना?

25 इस कारण उस पर उसने अपने क्रोध की आग भड़काई और युद्ध का बल चलाना; और यद्यिप आग उसके चारों ओर लग गई, तौभी वह न समझा; वह जल भी गया, तौभी न चेता॥

 यशायाह - अध्याय 43

1 हे इस्राएल तेरा रचने वाला और हे याकूब तेरा सृजनहार यहोवा अब यों कहता है, मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम ले कर बुलाया है, तू मेरा ही है।

2 जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी।

3 क्योंकि मैं यहोवा तेरा परमेश्वर हूं, इस्राएल का पवित्र मैं तेरा उद्धारकर्ता हूं। तेरी छुड़ौती में मैं मिस्र को और तेरी सन्ती कूश और सबा को देता हूं।

4 मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूं, इस कारण मैं तेरी सन्ती मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूंगा।

5 मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूं; मैं तेरे वंश को पूर्व से ले आऊंगा, और पच्छिम से भी इकट्ठा करूंगा।

6 मैं उत्तर से कहूंगा, दे दे, और दक्खिन से कि रोक मत रख; मेरे पुत्रों को दूर से और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी की छोर से ले आओ;

7 हर एक को जो मेरा कहलाता है, जिस को मैं ने अपनी महिमा के लिये सृजा, जिस को मैं ने रचा और बनाया है॥

8 आंख रहते हुए अन्धों को और कान रहते हुए बहिरों को निकाल ले आओ!

9 जाति जाति के लोग इकट्ठे किए जाएं और राज्य राज्य के लोग एकत्रित हों। उन में से कौन यह बात बता सकता वा बीती हुई बातें हमें सुना सकता है? वे अपने साक्षी ले आएं जिस से वे सच्चे ठहरें, वे सुन लें और कहें, यह सत्य है।

10 यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने इसलिये चुना है कि समझ कर मेरी प्रतीति करो और यह जान लो कि मैं वही हूं। मुझ से पहिले कोई ईश्वर न हुआ और न मेरे बाद कोई होगा।

11 मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं।

12 मैं ही ने समाचार दिया और उद्धार किया और वर्णन भी किया, जब तुम्हारे बीच में कोई पराया देवता न था; इसलिये तुम ही मेरे साक्षी हो, यहोवा की यह वाणी है।

13 मैं ही ईश्वर हूं और भविष्य में भी मैं ही हूं; मेरे हाथ से कोई छुड़ा न सकेगा; जब मैं काम करना चाहूं तब कौन मुझे रोक सकेगा॥

14 तुम्हारा छुड़ाने वाला और इस्राएल का पवित्र यहोवा यों कहता है, तुम्हारे निमित्त मैं ने बाबुल को भेजा है, और उसके सब रहने वालों को भगोड़ों की दशा में और कसदियों को भी उन्हीं के जहाजों पर चढ़ाकर ले आऊंगा जिन के विषय वे बड़ा बोल बोलते हैं।

15 मैं यहोवा तुम्हारा पवित्र, इस्राएल का सृजनहार, तुम्हारा राजा हूं।

16 यहोवा जो समुद्र में मार्ग और प्रचण्ड धारा में पथ बनाता है,

17 जो रथों और घोड़ों को और शूरवीरों समेत सेना को निकाल लाता है, (वे तो एक संग वहीं रह गए और फिर नहीं उठ सकते, वे बुझ गए, वे सन की बत्ती की नाईं बुझ गए हैं।) वह यों कहता है,

18 अब बीती हुई घटनाओं का स्मरण मत करो, न प्राचीनकाल की बातों पर मन लगाओ।

19 देखो, मैं एक नई बात करता हूं; वह अभी प्रगट होगी, क्या तुम उस से अनजान रहोगे? मैं जंगल में एक मार्ग बनाऊंगा और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा।

20 गीदड़ और शुतर्मुर्ग आदि जंगली जन्तु मेरी महिमा करेंगे; क्योंकि मैं अपनी चुनी हुई प्रजा के पीने के लिये जंगल में जल और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा।

21 इस प्रजा को मैं ने अपने लिये बनाया है कि वे मेरा गुणानुवाद करें॥

22 तौभी हे याकूब, तू ने मुझ से प्रार्थना नहीं की; वरन हे इस्राएल तू मुझ से उकता गया है!

23 मेरे लिये होमबलि करने को तू मेम्ने नहीं लाया और न मेलबलि चढ़ा कर मेरी महिमा की है। देख, मैं ने अन्नबलि चढ़ाने की कठिन सेवा तुझ से नहीं कराई, न तुझ से धूप ले कर तुझे थका दिया है।

24 तू मेरे लिये सुगन्धित नरकट रूपऐ से मोल नहीं लाया और न मेलबलियों की चर्बी से मुझे तृप्त किया। परन्तु तू ने अपने पापों के कारण मुझ पर बोझ लाट दिया है, और अपने अधर्म के कामों से मुझे थका दिया है॥

25 मैं वही हूं जो अपने नाम के निमित्त तेरे अपराधों को मिटा देता हूं और तेरे पापों को स्मरण न करूंगा।

26 मुझे स्मरण करो, हम आपस में विवाद करें; तू अपनी बात का वर्णन कर जिस से तू निर्दोष ठहरे।

27 तेरा मूलपुरूष पापी हुआ और जो जो मेरे और तुम्हारे बीच बिचवई हुए, वे मुझ से बलवा करते चले आए हैं।

28 इस कारण मैं ने पवित्रस्थान के हाकिमों को अपवित्र ठहराया, मैं ने याकूब को सत्यानाश और इस्राएल को निन्दित होने दिया है॥

 यशायाह - अध्याय 44

1 परन्तु अब हे मेरे दास याकूब, हे मेरे चुने हुए इस्राएल, सुन ले!

2 तेरा कर्त्ता यहोवा, जो तुझे गर्भ ही से बनाता आया और तेरी सहायता करेगा, यों कहता है, हे मेरे दास याकूब, हे मेरे चुने हुए यशूरून, मत डर!

3 क्योंकि मैं प्यासी भूमि पर जल और सूखी भूमि पर धाराएं बहाऊंगा; मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा और तेरी सन्तान पर अपनी आशीष उण्डेलूंगा।

4 वे उन मजनुओं की नाईं बढ़ेंगे जो धाराओं के पास घास के बीच में होते हैं।

5 कोई कहेगा, मैं यहोवा का हूं, कोई अपना नाम याकूब रखेगा, कोई अपने हाथ पर लिखेगा, मैं यहोवा का हूं, और अपना कुलनाम इस्राएली बताएगा॥

6 यहोवा, जो इस्राएल का राजा है, अर्थात सेनाओं का यहोवा जो उसका छुड़ाने वाला है, वह यों कहता है, मैं सब से पहिला हूं, और मैं ही अन्त तक रहूंगा; मुझे छोड़ कोई परमेश्वर है ही नहीं।

7 और जब से मैं ने प्राचीनकाल में मनुष्यों को ठहराया, तब से कौन हुआ जो मेरी नाईं उसको प्रचार करे, वा बताए वा मेरे लिये रचे अथवा होनहार बातें पहिले ही से प्रगट करे?

8 मत डरो और न भयमान हो; क्या मैं ने प्राचीनकाल ही से ये बातें तुम्हें नहीं सुनाईं और तुम पर प्रगट नहीं कीं? तुम मेरे साक्षी हो। क्या मुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है? नहीं, मुझे छोड़ कोई चट्टान नहीं; मैं किसी और को नहीं जानता॥

9 जो मूरत खोदकर बनाते हैं, वे सब के सब व्यर्थ हैं और जिन वस्तुओं में वे आनन्द ढूंढते उन से कुछ लाभ न होगा; उसके साक्षी, न तो आप कुछ देखते और न कुछ जानते हैं, इसलिये उन को लज्जित होना पड़ेगा।

10 किस ने देवता वा निष्फल मूरत ढाली है?

11 देख, उसके सब संगियों को तो लज्जित होना पड़ेगा, कारीगर तो मनुष्य ही है; वे सब के सब इकट्ठे हो कर खड़े हों; वे डर जाएंगे; वे सब के सब लज्जित होंगे।

12 लोहार एक बसूला अंगारों में बनाता और हथौड़ों से गढ़कर तैयार करता है, अपने भुजबल से वह उसको बनाता है; फिर वह भूखा हो जाता है और उसका बल घटता है, वह पानी नहीं पीता और थक जाता है।

13 बढ़ई सूत लगाकर टांकी से रखा करता है और रन्दनी से काम करता और परकार से रेखा खींचता है, वह उसका आकार और मनुष्य की सी सुन्दरता बनाता है ताकि लोग उस घर में रखें।

14 वह देवदार को काटता वा वन के वृक्षों में से जाति जाति के बांजवृक्ष चुनकर सेवता है, वह एक तूस का वृक्ष लगाता है जो वर्षा का जल पाकर बढ़ता है।

15 तब वह मनुष्य के ईंधन के काम में आता है; वह उस में से कुछ सुलगाकर तापता है, वह उसको जलाकर रोटी बनाता है; उसी से वह देवता भी बनाकर उसको दण्डवत करता है; वह मूरत खुदवाकर उसके साम्हने प्रणाम करता है।

16 उसका एक भाग तो वह आग में जलाता और दूसरे भाग से मांस पकाकर खाता है, वह मांस भूनकर तृप्त होता; फिर तपाकर कहता है, अहा, मैं गर्म हो गया, मैं ने आग देखी है!

17  उसके बचे हुए भाग को लेकर वह एक देवता अर्थात एक मूरत खोदकर बनाता है; तब वह उसके साम्हने प्रणाम और दण्डवत करता और उस से प्रार्थना कर के कहता है, मुझे बचा ले, क्योंकि तू मेरा देवता है। वे कुछ नहीं जानते, न कुछ समझ रखते हैं;

18 क्योंकि उनकी आंखें ऐसी मून्दी गई हैं कि वे देख नहीं सकते; और उनकी बुद्धि ऐसी कि वे बूझ नहीं सकते।

19 कोई इस पर ध्यान नहीं करता, और न किसी को इतना ज्ञान वा समझ रहती है कि कह सके, उसका एक भाग तो मैं ने जला दिया और उसके कोयलों पर रोटी बनाईं; और मांस भूनकर खाया है; फिर क्या मैं उसके बचे हुए भाग को घिनौनी वस्तु बनाऊं? क्या मैं काठ को प्रणाम करूं?

20 वह राख खाता है; भरमाई हुई बुद्धि के कारण वह भटकाया गया है और वह न अपने को बचा सकता और न यह कह सकता है, क्या मेरे दाहिने हाथ में मिथ्या नहीं?

21 हे याकूब, हे इस्राएल, इन बातों को स्मरण कर, तू मेरा दास है, मैं ने तुझे रचा है; हे इस्राएल, तू मेरा दास है, मैं तुझ को न बिसराऊंगा।

22 मैं ने तेरे अपराधों को काली घटा के समान और तेरे पापों को बादल के समान मिटा दिया है; मेरी ओर फिर लौट आ, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है॥

23 हे आकाश, ऊंचे स्वर से गा, क्योंकि यहोवा ने यह काम किया है; हे पृथ्वी के गहिरे स्थानों, जयजयकार करो; हे पहाड़ों, हे वन, हे वन के सब वृक्षों, गला खोल कर ऊंचे स्वर से गाओ! क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया है और इस्राएल में महिमावान होगा॥

24 यहोवा, तेरा उद्धारकर्त्ता, जो तुझे गर्भ ही से बनाता आया है, यों कहता है, मैं यहोवा ही सब का बनाने वाला हूं जिसने अकेले ही आकाश को ताना और पृथ्वी को अपनी ही शक्ति से फैलाया है।

25 मैं झूठे लोगों के कहे हुए चिन्हों को व्यर्थ कर देता और भावी कहने वालों को बावला कर देता हूं; जो बुद्धिमानों को पीछे हटा देता और उनकी पण्डिताई को मूर्खता बनाता हूं;

26 और अपने दास के वचन को पूरा करता और अपने दूतों की युक्ति को सफल करता हूं; जो यरूशलेम के विषय कहता है, वह फिर बसाई जाएगी और यहूदा के नगरों के विषय, वे फिर बनाए जाएंगे और मैं उनके खण्डहरों को सुधारूंगा;

27 जो गहिरे जल से कहता है, तू सूख जा, मैं तेरी नदियों को सुखाऊंगा;

28 जो कुस्रू के विषय में कहता है, वह मेरा ठहराया हुआ चरवाहा है और मेरी इच्छा पूरी करेगा; यरूशलेम के विषय कहता है, वह बसाई जाएगी और मन्दिर के विषय कि तेरी नेव डाली जाएगी॥

 

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